बांसवाड़ा. अजमेर विद्युत वितरण निगम के बांसवाड़ा वृत्त के निजीकरण के विरोध में तमाम कर्मचारी संगठन एकजुट हो गए हैं. संयुक्त संघर्ष समिति के गठन के बाद आंदोलन का आगाज शुक्रवार को धरना प्रदर्शन के साथ हो गया. राज्य सरकार के इस निर्णय के खिलाफ कर्मचारियों ने नारेबाजी के साथ जमकर प्रदर्शन किया और चेतावनी दी इस निर्णय को नहीं बदलने की स्थिति में आंदोलन को और उग्र रूप दिया जाएगा. बाद में एमडी के नाम अधीक्षण अभियंता से मुलाकात कर उन्हें अपनी मांगों के समर्थन में ज्ञापन दिया.
इस आंदोलन की सुगबुगाहट के बीच निगम की ओर से तीन अधिकारियों को भेज वार्ता भी की गई, लेकिन उन्हें कोई कामयाबी नहीं मिल पाई और कर्मचारी संगठन अपनी मांगों पर अड़े रहे. संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले आंदोलन की शुरुआत निगम के सहायक अभियंता शहर दफ्तर से धरना प्रदर्शन के साथ हुई.
भारतीय मजदूर संघ, इंटक, राजस्थान विद्युत तकनीकी कर्मचारी एसोसिएशन से संबद्ध कर्मचारी यहां एकत्र हुए और बांसवाड़ा वृत्त के ठेकाकरण के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की. इस मौके पर इंटेक्स श्रमिक संगठन के जिला अध्यक्ष शंभू सिंह भाटी ने कहाकि सरकार का यह निर्णय जनता के साथ-साथ कर्मचारियों के हितों के खिलाफ है. इसके लिए कर्मचारियों को एकजुटता से संघर्ष करना होगा.
भारतीय मजदूर संघ के महेश भावसार ने आरोप लगाया कि निगम प्रबंधन की ओर से उनके साथ धोखा किया गया. जब कर्मचारी एमबीसी का काम पूरा करने को सहमत है तो आखिरकार ठेके पर देने की क्या जरूरत आ पड़ी. तकनीकी एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष भगवतीलाल डिंडोर ने अपने संबोधन में कहा कि धीरे धीरे सरकारी उपक्रम बेचे जा रहे हैं जबकि यह जनता से सीधे जुड़े हुए हैं और हजारों लोगों को रोजगार मिल रहा है, ठेकाकरण शोषण को बढ़ावा देगा, इसे हरगिज बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
पढ़ें- बांसवाड़ा: अतिक्रमण के खिलाफ नगर निगम की कार्रवाई, मुख्य मार्ग पर खड़े केबिन किए जब्त
उन्होंने कहा कि आंदोलन के क्रम में 19 अक्टूबर को वृत्त मुख्यालय पर प्रदर्शन का कार्यक्रम यथावत रहेगा और आंदोलन को विस्तार दिया जाएगा. पावर एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष विकास नायक भी कर्मचारियों के समर्थन में आ गया. भारतीय मजदूर संघ के तेज सिंह शेखावत, देवी लाल तेली, परीक्षित शाह, इंटक के तरुण जोन, महेश कल्ला, अब्बास खान पठान, तकनीकी एसोसिएशन के प्रकाश यादव, कृपाल सिंह, जाहिद मोहम्मद, कशन डिंडोर, राजेंद्र यादव रिंकू प्रजापत आदि भी मौजूद थे.
फिलहाल जिस प्रकार से सारे कर्मचारी संगठनों की एकता से इस मामले में एक होते दिखाई दे रहे हैं उससे निजी करण की राह मुश्किल होती दिखाई दे रही है. निजीकरण की राह मुश्किल होती दिखाई दे रही है.