बांसवाड़ा. मानसून के बाद अगस्त और सितंबर महीने में जिले में भारी बारिश दर्ज की गई. नदी-नालों में उफान और भारी बारिश के चलते खरीफ की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई थी. फसल तो दूर की बात है, मवेशियों के लिए चारे-पानी तक की किल्लत झेलनी पड़ी थी.
सरकार के निर्देशानुसार 15 अक्टूबर तक के ब्योरे की गिरदावरी रिपोर्ट भेजी गई. क्योंकि बांसवाड़ा जिला अतिवृष्टि प्रभावित जिलों में शुमार है. ऐसे में जिला प्रशासन द्वारा पहले से ही इसकी तैयारी कर ली गई थी. पटवार हलकों से समय से पहले गिरदावरी रिपोर्ट पहुंच गई. रिपोर्ट को देखते हुए जिले में फसलों के बड़े पैमाने पर बर्बादी का अंदाजा लगाया जा सकता है.
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गिरदावरी रिपोर्ट के मुताबिक औसत रूप से जिलेभर में 63 प्रतिशत फसल के खराब होने का अनुमान लगाया जा रहा है. वैसे तो जिले भर में फसलों को नुकसान पहुंचा है लेकिन, सर्वाधिक बर्बादी बागीदौरा तहसील क्षेत्र में सामने आई है. यहां 71 प्रतिशत फसल पूरी तरह से सड़ गई है.
बांसवाड़ा से गिरदावरी रिपोर्ट राज्य सरकार के पाले में पहुंच गई है. नियमानुसार 33 प्रतिशत खराबे के साथ ही सरकारी राहत की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. सभी जिला मुख्यालयों से गिरदावरी रिपोर्ट 25 अक्टूबर तक पहुंचने की उम्मीद है. इसके बाद ही सरकार पॉलिसी तय करेगी. देखने वाली बात यह होगी कि सरकार आखिर कितने प्रतिशन फसलों के खराबी को सही मानती है. उसी के अनुरूप बजट जारी होगा.
कार्यवाहक अतिरिक्त जिला कलेक्टर पर्वत सिंह चुंडावत के अनुसार फसली खराबे को देखते हुए उन्होंने पहले ही गिरदावरी के निर्देश जारी कर दिए थे. 15 अक्टूबर तक गिरदावरी रिपोर्ट आनी थी. विभिन्न तहसीलों से गिरदावरी आने के बाद जिले की रिपोर्ट तैयार की गई जिसमें औसत रूप से 63 प्रतिशत फसल को खराब माना गया. गिरदावरी रिपोर्ट सरकार को सौंपने के बाद अब प्रभावित किसानों को किस प्रकार राह दी जानी है. इसे लेकर सरकार के अगले आदेश का इंतजार करना होगा.