बांसवाड़ा. जिले के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में पर्यावरण प्रदूषण एवं नियंत्रण विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन इपिक- 2020 का आयोजन सोमवार को किया गया. जिसके पहले दिन पर्यावरण प्रदूषण पर 21 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए. विषय विशेषज्ञों की ओर से व्यापक मंथन के साथ प्रदूषण की रोकथाम किस प्रकार की जा सकती है, इस पर भी अपने सुझाव दिए.
सम्मेलन का उद्घाटन मुख्य अतिथि महाराणा प्रताप यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रोफेसर एन एस राठौड़ और आईआईएससी बेंगलुरु के प्रोफेसर एन सी शिवप्रकाश ने किया. विशेष अतिथि के तौर पर वॉल विश्वविद्यालय दक्षिण अफ्रीका से डॉक्टर मिशेल पिल्ले और वाल्मी औरंगाबाद से डॉ. अविनाश एस गरुड़कर वाटर से डिपार्टमेंट के पूर्व अधिकारी दीपक श्रीवास्तव थे.
कार्यक्रम के संयोजक अजय भट्ट ने अतिथियों का स्वागत करते हुए सम्मेलन की अवधारणा आवश्यकता और उद्देश्यों के बारे में बताया. कॉलेज प्राचार्य डॉ. शिवलाल ने कॉलेज और बांसवाड़ा शहर की विस्तृत जानकारी देते हुए पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम के लिए कॉलेज द्वारा किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी.
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इस मौके पर डॉ. पिल्ले ने बताया कि प्रदूषण की रोकथाम का प्रयास हर व्यक्ति को अपने स्तर पर करना होगा. उन्होंने शिक्षा के पर्यावरण सुरक्षा में योगदान के बारे में भी बताया. डॉक्टर गरुड़कर ने जलवायु परिवर्तन से देश के जल संसाधनों पर होने वाले असर के बारे में विस्तार से बताया. वहीं दीपक श्रीवास्तव ने पानी, हवा, मृदा, प्रदूषण और कचरे के निस्तारण में सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं की योगदान और जिम्मेदारियों के बारे में जानकारी दी.
मुख्य अतिथि प्रोफेसर राठौड़ ने कृषि क्षेत्र में होने वाले प्रदूषण इसकी रोकथाम के लिए किए जा रहे प्रयासों के बारे में बताया. साथ ही नवीनीकरण ऊर्जा के स्त्रोत के उपयोग पर जोर दिया. वहीं उन्होंने प्रदूषण की रोकथाम के लिए 4 सी की अवधारणा के बारे में भी जानकारी दी.
इस दौरान महाराणा सयाजीराव यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अरुण आर्य ,एस एच नेशनल कॉलेज मुंबई की डॉक्टर मोना केजरीवाल और जीजीटीयू के अशोक काकोरिया ने भी शोध पत्र प्रस्तुत किए. वहीं प्राचार्य डॉक्टर शिव प्रकाश ने बताया कि पहले दिन तीन सत्रों में कुल 21 शोध पत्रों पर चर्चा की गई. समापन मंगलवार को विभिन्न शोधार्थियों के शोध पत्र वाचन के साथ होगा.