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बांसवाड़ा: जलकुंभी से आजाद होगा डायलॉब तालाब, बनेगा प्रमुख पिकनिक स्पॉट - नगर परिषद

बांसवाड़ा शहर के सौंदर्यीकरण के अंतर्गत नगर परिषद डायलॉब तालाब को फिर से आबाद करने जा रही है. जलकुंभी हटाने के लिए करीब 12 लाख रुपए के प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया गया है. इसके बाद भी जलकुंभी नहीं फैल पाए, इसके लिए ठेकेदार से अगले 3 साल के लिए करार किया गया है.

Banswara news, Dialob pond, City Council
जलकुंभी से आजाद होगा डायलॉब तालाब
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Published : Jun 11, 2020, 3:31 PM IST

बांसवाड़ा. शहरवासियों को पिकनिक स्पॉट के रूप में एक और सौगात मिलने जा रही है. गौरीशंकर उपाध्याय पार्क के बाद नगर परिषद शहर के प्रमुख तालाबों को नया रूप देने का काम हाथ में ले रही है. यह काम चरणबद्ध तरीके से होग. पहले चरण में डायलॉब तालाब को डेवलप किया जा रहा है. इस प्रोजेक्ट पर परिषद ने काम भी शुरू कर दिया है. फिलहाल जलकुंभी ने डायलॉब को पूरी तरह से अपनी जकड़न में ले रखा है, जिसे हटाने का काम शुरू कर दिया गया है. इसके बाद राज तालाब के सौंदर्यीकरण को हाथ में लिया जाएगा.

बांसवाड़ा: जलकुंभी से आजाद होगा डायलॉब तालाब

दोनों ही तालाब अति प्राचीन और ऐतिहासिक है. जयपुर मार्ग से आने पर डायलॉब शहर में एंट्री होती है, जो कि अमूमन पानी से लबालब रहता है, लेकिन पिछले कुछ सालों से देखरेख के अभाव में इसकी हालत बदतर हो चुकी है. जहां जलकुंभी ने तालाब को अपनी जकड़ में ले लिया. वहीं घाट आदि भी क्षतिग्रस्त हो चुके हैं और जलकुंभी के कारण दुर्गंध बनी रहती है. इसके चलते कुछ वर्षों पहले सुबह और शाम लोगों की जो चहल-पहल बनी रहती थी, जो एक प्रकार से खत्म हो चुकी है.

यह भी पढ़ें- बाड़ेबंदी से विधायक बाबूलाल का इनकार, बोले- कांग्रेस मेरी मां, हम सब कांग्रेस के साथ

कुछ ऐसे ही हालात राज तालाब का भी है. नगर परिषद के गत बोर्ड द्वारा भी इनकी सफाई पर लाखों रुपए खर्च किए, परंतु नतीजा ढाक के तीन पात वाला रहा. जैसे ही जलकुंभी हटाने का काम बंद किया गया, तेजी से इसने तालाब को फिर से अपनी जकड़न में ले लिया. पता चला है कि पिछले 4 साल में अकेले इस तालाब पर ही करीब 36 लाख रुपए खर्च हो चुके हैं.

निजी जमीन से फैलाव

यह तालाब दो पार्ट में बंटा है. आधा हिस्सा नगर परिषद का है, तो आधा निजी खातेदारी में दर्ज है. नगर परिषद द्वारा अपने हिस्से से जलकुंभी हटाने के बाद दूसरे हिस्से से फिर तेजी से फैलाव कर लेती है. हालांकि रस्सी के जरिए जमीन को अलग-अलग रखा गया है, परंतु ध्यान नहीं रखने पर महज कुछ दिनों में यह तेजी से पूरे तालाब को अपनी गिरफ्त में ले लेती है.

12 लाख रुपए में ठेका

शहर के सौंदर्यीकरण के अंतर्गत नगर परिषद डायलॉब को फिर से आबाद करने जा रही है. जलकुंभी हटाने के लिए करीब 12 लाख रुपए के प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया गया है. इसके बाद भी जलकुंभी नहीं फैल पाए, इसके लिए ठेकेदार से अगले 3 साल के लिए करार किया गया है. जलकुंभी को नियमित तौर से हटाने का काम ठेकेदार के जिम्मे रहेगा और इसके लिए उसे प्रतिमाह 2 हजार रुपए का भुगतान किया जाएगा.

इसके बाद यहां पर ट्रैकिंग, फुटपाथ आकर्षक लाइटिंग का काम भी कराया जाएगा. नगर परिषद सभापति जैनेंद्र त्रिवेदी के अनुसार हम दोनों ही तालाब को नया लुक देने जा रहे हैं. इसकी शुरुआत डायलॉब तालाब से कर दी गई है. अगले चरण में राज तालाब को हाथ में लिया जाएगा, हमारा प्रयास रहेगा कि पार्क के बाद शहर के लोगों को एक नया पिकनिक स्पॉट उपलब्ध कराया जाए.

बांसवाड़ा. शहरवासियों को पिकनिक स्पॉट के रूप में एक और सौगात मिलने जा रही है. गौरीशंकर उपाध्याय पार्क के बाद नगर परिषद शहर के प्रमुख तालाबों को नया रूप देने का काम हाथ में ले रही है. यह काम चरणबद्ध तरीके से होग. पहले चरण में डायलॉब तालाब को डेवलप किया जा रहा है. इस प्रोजेक्ट पर परिषद ने काम भी शुरू कर दिया है. फिलहाल जलकुंभी ने डायलॉब को पूरी तरह से अपनी जकड़न में ले रखा है, जिसे हटाने का काम शुरू कर दिया गया है. इसके बाद राज तालाब के सौंदर्यीकरण को हाथ में लिया जाएगा.

बांसवाड़ा: जलकुंभी से आजाद होगा डायलॉब तालाब

दोनों ही तालाब अति प्राचीन और ऐतिहासिक है. जयपुर मार्ग से आने पर डायलॉब शहर में एंट्री होती है, जो कि अमूमन पानी से लबालब रहता है, लेकिन पिछले कुछ सालों से देखरेख के अभाव में इसकी हालत बदतर हो चुकी है. जहां जलकुंभी ने तालाब को अपनी जकड़ में ले लिया. वहीं घाट आदि भी क्षतिग्रस्त हो चुके हैं और जलकुंभी के कारण दुर्गंध बनी रहती है. इसके चलते कुछ वर्षों पहले सुबह और शाम लोगों की जो चहल-पहल बनी रहती थी, जो एक प्रकार से खत्म हो चुकी है.

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कुछ ऐसे ही हालात राज तालाब का भी है. नगर परिषद के गत बोर्ड द्वारा भी इनकी सफाई पर लाखों रुपए खर्च किए, परंतु नतीजा ढाक के तीन पात वाला रहा. जैसे ही जलकुंभी हटाने का काम बंद किया गया, तेजी से इसने तालाब को फिर से अपनी जकड़न में ले लिया. पता चला है कि पिछले 4 साल में अकेले इस तालाब पर ही करीब 36 लाख रुपए खर्च हो चुके हैं.

निजी जमीन से फैलाव

यह तालाब दो पार्ट में बंटा है. आधा हिस्सा नगर परिषद का है, तो आधा निजी खातेदारी में दर्ज है. नगर परिषद द्वारा अपने हिस्से से जलकुंभी हटाने के बाद दूसरे हिस्से से फिर तेजी से फैलाव कर लेती है. हालांकि रस्सी के जरिए जमीन को अलग-अलग रखा गया है, परंतु ध्यान नहीं रखने पर महज कुछ दिनों में यह तेजी से पूरे तालाब को अपनी गिरफ्त में ले लेती है.

12 लाख रुपए में ठेका

शहर के सौंदर्यीकरण के अंतर्गत नगर परिषद डायलॉब को फिर से आबाद करने जा रही है. जलकुंभी हटाने के लिए करीब 12 लाख रुपए के प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया गया है. इसके बाद भी जलकुंभी नहीं फैल पाए, इसके लिए ठेकेदार से अगले 3 साल के लिए करार किया गया है. जलकुंभी को नियमित तौर से हटाने का काम ठेकेदार के जिम्मे रहेगा और इसके लिए उसे प्रतिमाह 2 हजार रुपए का भुगतान किया जाएगा.

इसके बाद यहां पर ट्रैकिंग, फुटपाथ आकर्षक लाइटिंग का काम भी कराया जाएगा. नगर परिषद सभापति जैनेंद्र त्रिवेदी के अनुसार हम दोनों ही तालाब को नया लुक देने जा रहे हैं. इसकी शुरुआत डायलॉब तालाब से कर दी गई है. अगले चरण में राज तालाब को हाथ में लिया जाएगा, हमारा प्रयास रहेगा कि पार्क के बाद शहर के लोगों को एक नया पिकनिक स्पॉट उपलब्ध कराया जाए.

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