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1991 के संकट में कामगारों को अरब कंट्री से फ्री में लाया गया था, महामारी के दौर में टिकट क्यों?

बांसवाड़ा में अप्रवासी भारतीयों के परिवारजनों द्वारा सरकार से अप्रवासी भारतीय को फ्री में देश लाने की मांग रखी गई है. गौरतलब है कि सरकार प्रवासी भारतीयों को देश ला रही है, लेकिन उनसे एयरलिफ्टिंग के बूते टिकट लिया जा रहा है.

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प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन
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Published : May 14, 2020, 4:43 PM IST

बांसवाड़ा. कोरोना महामारी के इस दौर में पूरी दुनिया में हाहाकार मचा है और लोग अपने-अपने देशों को जा रहे हैं. अरब कंट्री में हमारे देश के हजारों लोग फंसे हैं, जिनके पास ना खाने को दाना है और ना ही रहने को ठिकाना. एक ओर वे लोग परेशान है तो दूसरी ओर यहां पर उनके परिवार के लोग आर्थिक विपन्नता का सामना कर रहे हैं.

संकट की इस घड़ी में कामगारों को सरकार देश ला रही है. यह एक सराहनीय फैसला है, लेकिन टिकट लेने के फैसले का भी विरोध किया जा रहा है. अरब कंट्री में रह रहे अप्रवासी भारतीय पिछले दो माह से बेरोजगार बैठे हैं. ऐसे में सरकार को फ्री में उनकी घर वापसी करवानी चाहिए.

अप्रवासी भारतीय को फ्री में देश लाने की मांग

पढ़ेंः मुख्य सचेतक महेश जोशी ने रखी सरकार से नए म्युनिसिपल लॉ बनाने की मांग

इस आशय की मांग अप्रवासी भारतीयों के परिवारजनों द्वारा केंद्र सरकार से की गई है. उदय सेवा संस्थान के जरिए प्रधानमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को दिए गए ज्ञापन में परिजनों ने कहा कि जब से कोरोना वायरस का संक्रमण फैला है, तब से अरब देशों में निवासरत वागड़ अंचल के हजारों लोग बेरोजगारी का सामना कर रहे हैं. एक के कमरे में 10-10 लोग रहने को मजबूर है.

रोजगार के अभाव में अब उनके सामने पेट भरने का भी संकट उत्पन्न हो गया है. केंद्र सरकार अब उन लोगों को अपने देश में ला रही है, जो कि निश्चित ही एक अच्छा फैसला है लेकिन एयरलिफ्टिंग के बूते टिकट लिया जा रहा है, जबकि अधिकांश लोगों की हालत खस्ताहाल है और टिकट के पैसे तक उनके पास नहीं है.

पढ़ेंः COVID-19: बीते 12 घंटों में 66 नए कोरोना केस, 2 माह की बच्ची और बुजुर्ग की मौत, कुल आंकड़ा पहुंचा 4,394 पर

संस्थान के अध्यक्ष महेश पांचाल ने कहा कि 1991 में खाड़ी युद्ध के वक्त तत्कालीन सरकार ने अपने देश के लोगों की निशुल्क एयरलिफ्टिंग करवाई थी, जबकि उस समय में ना खाने पीने का संकट था और ना ही बेरोजगारी जैसी कोई बात. जबकि इस वक्त पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है. केंद्र सरकार को उन लोगों को निशुल्क देश में लाए जाने की व्यवस्था करना चाहिए क्योंकि वे लोग पहले से ही बेरोजगारी के चलते आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं.

बांसवाड़ा. कोरोना महामारी के इस दौर में पूरी दुनिया में हाहाकार मचा है और लोग अपने-अपने देशों को जा रहे हैं. अरब कंट्री में हमारे देश के हजारों लोग फंसे हैं, जिनके पास ना खाने को दाना है और ना ही रहने को ठिकाना. एक ओर वे लोग परेशान है तो दूसरी ओर यहां पर उनके परिवार के लोग आर्थिक विपन्नता का सामना कर रहे हैं.

संकट की इस घड़ी में कामगारों को सरकार देश ला रही है. यह एक सराहनीय फैसला है, लेकिन टिकट लेने के फैसले का भी विरोध किया जा रहा है. अरब कंट्री में रह रहे अप्रवासी भारतीय पिछले दो माह से बेरोजगार बैठे हैं. ऐसे में सरकार को फ्री में उनकी घर वापसी करवानी चाहिए.

अप्रवासी भारतीय को फ्री में देश लाने की मांग

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इस आशय की मांग अप्रवासी भारतीयों के परिवारजनों द्वारा केंद्र सरकार से की गई है. उदय सेवा संस्थान के जरिए प्रधानमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को दिए गए ज्ञापन में परिजनों ने कहा कि जब से कोरोना वायरस का संक्रमण फैला है, तब से अरब देशों में निवासरत वागड़ अंचल के हजारों लोग बेरोजगारी का सामना कर रहे हैं. एक के कमरे में 10-10 लोग रहने को मजबूर है.

रोजगार के अभाव में अब उनके सामने पेट भरने का भी संकट उत्पन्न हो गया है. केंद्र सरकार अब उन लोगों को अपने देश में ला रही है, जो कि निश्चित ही एक अच्छा फैसला है लेकिन एयरलिफ्टिंग के बूते टिकट लिया जा रहा है, जबकि अधिकांश लोगों की हालत खस्ताहाल है और टिकट के पैसे तक उनके पास नहीं है.

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संस्थान के अध्यक्ष महेश पांचाल ने कहा कि 1991 में खाड़ी युद्ध के वक्त तत्कालीन सरकार ने अपने देश के लोगों की निशुल्क एयरलिफ्टिंग करवाई थी, जबकि उस समय में ना खाने पीने का संकट था और ना ही बेरोजगारी जैसी कोई बात. जबकि इस वक्त पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है. केंद्र सरकार को उन लोगों को निशुल्क देश में लाए जाने की व्यवस्था करना चाहिए क्योंकि वे लोग पहले से ही बेरोजगारी के चलते आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं.

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