बांसवाड़ा. 17 नवंबर, 1913 को मानगढ़ धाम की पहाड़ी पर संप सभा में एकत्र 1507 आदिवासियों को अंग्रेजों ने गोलियां से भून डाला था. इनकी शहादत को याद करने के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार सुबह यहां पहुंचे. इस दौरान सीएम अशोक गहलोत ने दो मांगे पीएम के सामने रखीं. हालांकि पीएम मोदी ने दोनों को लेकर कोई घोषणा नहीं की.
बांसवाड़ा जिले में इस समय 2 सबसे बड़ी मांग है एक है मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक घोषित (Demand of declaring Mangarh Dham National monument) करना और दूसरा बांसवाड़ा को रतलाम से वाया बांसवाड़ा होते हुए डूंगरपुर जाने वाली रेलवे लाइन से जोड़ना. गहलोत ने प्रधानमंत्री के समक्ष बांसवाड़ा के रेल के सपने को रखा. मुख्यमंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि जब प्रदेश की आर्थिक स्थिति अच्छी थी तो ढ़ाई सौ करोड़ रुपए दिए. जमीन अभी एक्वायर हुई और काम भी शुरू हुआ. फिर अचानक से काम रोक दिया गया. सरकार बदल गई और प्रोजेक्ट को पूरी तरह बंद कर दिया गया. प्रधानमंत्री जी अगर रेल की सौगात देंगे तो आदिवासी अंचल के लिए बहुत बड़ी बात होगी.
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प्रधानमंत्री ने मुद्दा ही नहीं छेड़ा: गहलोत के भाषण के तत्काल बाद प्रधानमंत्री ने अपना भाषण दिया. मंच पर बांसवाड़ा डूंगरपुर के सांसद कनक मल कटारा भी मौजूद थे. प्रधानमंत्री ने 19 मिनट के भाषण को आदिवासी समाज के बलिदान और उनके महानायक पर ही केंद्रित रखा. राष्ट्रीय स्मारक को लेकर थोड़ी सी चर्चा तो की पर घोषणा नहीं (PM Modi mentions Mangarh Dham in his speech) की. दूसरी ओर रेल के मुद्दे को तो छेड़ा ही नहीं.
रेल के लिए आंदोलन भी हुए और रैलियां भी: वागड़ में यानी बांसवाड़ा में रेल लाने के लिए कई आंदोलन हो चुके हैं. सैकड़ों बार बांसवाड़ा कलेक्ट्री पर धरना प्रदर्शन कर नेता और अधिकारियों को ज्ञापन दिए गए हैं. यहां तक कि एक बार देश के पूर्व रेलमंत्री को चांदी की रेल भी भेंट की गई थी. मकसद था किसी तरह बांसवाड़ा को रेलवे लाइन से जोड़ दिया जाए.
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मानगढ़ धाम पर हुई सभा को सबसे पहले केंद्रीय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने संबोधित किया. उन्होंने मोदी को दुनिया का बड़ा नेता बताया और इशारा भी किया कि आज राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया जाएगा. इसके बाद कार्यक्रम को शिवगंगा संस्थान के महेश शर्मा जो कि प्रधानमंत्री के मित्र भी बताए जाते हैं, उन्होंने संबोधित किया. तीसरे नंबर पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संबोधित किया. उन्होंने मध्यप्रदेश में शहीद हुए आदिवासी भीमाबाई, शंकर भाई जैसे कई लोगों के नाम लिए. उन्होंने एक छोटी सी कविता भी सुनाई. इसमें उन्होंने कहा कि पूजे न गए शहीद तो वीर कहां से आएंगे. उन्होंने कहा मोदी दुनिया भर में जाते हैं और लोग उन्हें वहां मानते हैं.
यह कहा भूपेंद्र भाई पटेल: गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र भाई पटेल ने पहले श्रद्धांजलि दी और इसके बाद मोदी की तारीफ की. उन्होंने कहा कि मोदी ने हमें संकल्प दिलाया है कि हमें विरासत पर गर्व करना है और इसे आगे बढ़ाना है. हर घर तिरंगा जैसे अभियान चलाए. मोदी देश दुनिया में कहीं पर भी जाते हैं. पूरी दुनिया उनके सम्मान में खड़ी हो जाती है. दुनिया का कोई मुल्क नहीं, जहां उनका स्वागत और सम्मान नहीं किया गया.
मोदी का स्वागत गांधी के कारण होता है: सभा को पांचवे वक्ता के रूप में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने संबोधित किया. उन्होंने कहा कि देश के किसी भी हिस्से में चले जाओ, गुलामी की जंजीरों से मुक्ति के लिए आदिवासियों ने हमेशा संघर्ष किया है. उन्होंने कहा प्रधानमंत्री किसी भी देश में जाते हैं तो उनका सम्मान होता है. ऐसा इसलिए क्योंकि वह लोग लोकतंत्र का सम्मान करते हैं. यह जानते हैं कि हमारा देश महात्मा गांधी का देश है. महात्मा गांधी के ही कारण देश के प्रधानमंत्री को सम्मान मिलता है. उन्होंने आदिवासी अंचल की बात करते हुए हरिदेव जोशी जैसे महानायकओं के नाम भी लिए.
मोदी के सम्मान में लहराए तिरंगा: मोदी का तय कार्यक्रम 11:00 बजे मंच पर आना था जिससे 1 मिनट भी वह आगे पीछे नहीं हुए. तय समय पर प्रधानमंत्री मोदी मंच पर आए, तो लोगों ने तिरंगा लहरा कर उनका स्वागत और सम्मान किया. हजारों की संख्या में लोग तिरंगा लेकर कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंचे थे.