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सीएम गहलोत का बांसवाड़ा दौरा आज...एक सप्ताह में दूसरी बार आएंगे

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत शनिवार को बांसवाड़ा आ रहे हैं. यह उनका 1 सप्ताह के भीतर दूसरा दौरा है. मात्र पांचवे ही दिन उनका फिर से बांसवाड़ा आना राजनीतिक हलकों में कई प्रकार की चर्चाओं को जन्म दे रहा है.

बांसवाड़ा दौरे पर सीएम गहलोत
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Published : Apr 6, 2019, 9:49 AM IST

बांसवाड़ा. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत शनिवार को बांसवाड़ा आ रहे हैं. यह उनका 1 सप्ताह के भीतर दूसरा दौरा है. मात्र पांचवे ही दिन उनका फिर से बांसवाड़ा आना राजनीतिक हलकों में कई प्रकार की चर्चाओं को जन्म दे रहा है. हालांकि पार्टी के स्थानीय नेता गहलोत के दूसरी बार आगमन को नामांकन रैली का हिस्सा बता रहे हैं.

वहीं राजनीतिक जानकार पार्टी की आंतरिक कलह इसका प्रमुख कारण मानकर चल रहे हैं. मेवाड़ की पांच प्रमुख लोकसभा सीटों में बांसवाड़ा पार्टी के लिए प्रकार से हॉट सीट मानकर चल रही है. इस सीट पर पिछले कुछ अरसे में कोई भी पार्टी लगातार अपना परचम नहीं फहरा पाई. पिछले दो दशक से यहां हर चुनाव में जनता भाजपा कांग्रेस को बराबर का मौका दे रही है. इसे देखते हुए कांग्रेस पार्टी इसे अपने लिए अवसर मानकर चल रही है.

वहीं पार्टी के अंदरूनी हालात किसी से छुपे नहीं है. पार्टी बागीदौरा विधायक महेंद्रजीत सिंह मालवीय और पार्टी के राष्ट्रीय नेता रघुवीर सिंह मीणा इन दो गुटों में बंटी हुई है. बांसवाड़ा से पार्टी ने इस चुनाव में ताराचंद भगोरा पर चौथी बार विश्वास जताया है. पूर्व में तीन बार भगोरा देश की सबसे बड़ी पंचायत में पहुंच चुके हैं. भगोरा को रघुवीर सिंह मीणा खेमे का माना जाता है. इसके अलावा राज्य मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए जाने से भी पूर्व मंत्री मालवीया गहलोत से भी खासे नाराज माने जाते हैं. इस नाराजगी को उन्होंने गत 1 अप्रैल को उन्हीं के विधानसभा क्षेत्र में पार्टी की जनसभा के दौरान राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पांडे के सामने जाहिर कर दी थी. उन्होंने इशारे ही इशारों में जंगल में मोर नाचा किसने देखा की बात कहकर अपने दर्द को पार्टी के समक्ष रखा था. मालवीय की नाराजगी भगोरा के लिए चिंताजनक हो सकती है. मुख्यमंत्री गहलोत इस खतरे से अनभिज्ञ नहीं है. पांचवें ही दिन उनका बांसवाड़ा आने का कार्यक्रम इस गुटबाजी को खत्म करने के अलावा नई पार्टी भारतीय ट्राइबल पार्टी के खतरे से निपटना भी है.

बांसवाड़ा दौरे पर सीएम गहलोत

माना जा रहा है कि बांसवाड़ा जिले की चौरासी और सागवाड़ा दो विधानसभा सीटों के जीतने के बाद गहलोत सरकार को सपोर्ट कांग्रेस के लिए ज्यादा नुकसानदेह हो सकता है, क्योंकि चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा ने भी दोनों को एक ही थाली के चट्टे बट्टे के रूप में प्रचारित किया जा रहा है. यह कांग्रेस के लिए चुनाव में घातक सिद्ध हो सकता है. गहलोत इस बारे में भी स्थानीय नेताओं को कोई मंत्र दे सकते हैं, ताकि भाजपा को इस मुद्दे पर जनता के बीच जवाब दिया जा सके. इस संबंध में ईटीवी भारत ने पार्टी के जिला अध्यक्ष चांदमल जैन से बातचीत की तो उन्होंने गुटबाजी जैसी किसी बात से इनकार करते हुए कहा कि पार्टी एकजुट है और यह सीट हम जीतेंगे. हॉट सीट जैसी कोई बात नहीं है. मुख्यमंत्री बांसवाड़ा के अलावा उदयपुर और राजसमंद बी नामांकन रैली में शामिल होंगे.

बांसवाड़ा. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत शनिवार को बांसवाड़ा आ रहे हैं. यह उनका 1 सप्ताह के भीतर दूसरा दौरा है. मात्र पांचवे ही दिन उनका फिर से बांसवाड़ा आना राजनीतिक हलकों में कई प्रकार की चर्चाओं को जन्म दे रहा है. हालांकि पार्टी के स्थानीय नेता गहलोत के दूसरी बार आगमन को नामांकन रैली का हिस्सा बता रहे हैं.

वहीं राजनीतिक जानकार पार्टी की आंतरिक कलह इसका प्रमुख कारण मानकर चल रहे हैं. मेवाड़ की पांच प्रमुख लोकसभा सीटों में बांसवाड़ा पार्टी के लिए प्रकार से हॉट सीट मानकर चल रही है. इस सीट पर पिछले कुछ अरसे में कोई भी पार्टी लगातार अपना परचम नहीं फहरा पाई. पिछले दो दशक से यहां हर चुनाव में जनता भाजपा कांग्रेस को बराबर का मौका दे रही है. इसे देखते हुए कांग्रेस पार्टी इसे अपने लिए अवसर मानकर चल रही है.

वहीं पार्टी के अंदरूनी हालात किसी से छुपे नहीं है. पार्टी बागीदौरा विधायक महेंद्रजीत सिंह मालवीय और पार्टी के राष्ट्रीय नेता रघुवीर सिंह मीणा इन दो गुटों में बंटी हुई है. बांसवाड़ा से पार्टी ने इस चुनाव में ताराचंद भगोरा पर चौथी बार विश्वास जताया है. पूर्व में तीन बार भगोरा देश की सबसे बड़ी पंचायत में पहुंच चुके हैं. भगोरा को रघुवीर सिंह मीणा खेमे का माना जाता है. इसके अलावा राज्य मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए जाने से भी पूर्व मंत्री मालवीया गहलोत से भी खासे नाराज माने जाते हैं. इस नाराजगी को उन्होंने गत 1 अप्रैल को उन्हीं के विधानसभा क्षेत्र में पार्टी की जनसभा के दौरान राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पांडे के सामने जाहिर कर दी थी. उन्होंने इशारे ही इशारों में जंगल में मोर नाचा किसने देखा की बात कहकर अपने दर्द को पार्टी के समक्ष रखा था. मालवीय की नाराजगी भगोरा के लिए चिंताजनक हो सकती है. मुख्यमंत्री गहलोत इस खतरे से अनभिज्ञ नहीं है. पांचवें ही दिन उनका बांसवाड़ा आने का कार्यक्रम इस गुटबाजी को खत्म करने के अलावा नई पार्टी भारतीय ट्राइबल पार्टी के खतरे से निपटना भी है.

बांसवाड़ा दौरे पर सीएम गहलोत

माना जा रहा है कि बांसवाड़ा जिले की चौरासी और सागवाड़ा दो विधानसभा सीटों के जीतने के बाद गहलोत सरकार को सपोर्ट कांग्रेस के लिए ज्यादा नुकसानदेह हो सकता है, क्योंकि चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा ने भी दोनों को एक ही थाली के चट्टे बट्टे के रूप में प्रचारित किया जा रहा है. यह कांग्रेस के लिए चुनाव में घातक सिद्ध हो सकता है. गहलोत इस बारे में भी स्थानीय नेताओं को कोई मंत्र दे सकते हैं, ताकि भाजपा को इस मुद्दे पर जनता के बीच जवाब दिया जा सके. इस संबंध में ईटीवी भारत ने पार्टी के जिला अध्यक्ष चांदमल जैन से बातचीत की तो उन्होंने गुटबाजी जैसी किसी बात से इनकार करते हुए कहा कि पार्टी एकजुट है और यह सीट हम जीतेंगे. हॉट सीट जैसी कोई बात नहीं है. मुख्यमंत्री बांसवाड़ा के अलावा उदयपुर और राजसमंद बी नामांकन रैली में शामिल होंगे.

Intro:बांसवाड़ा। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत शनिवार को बांसवाड़ा आ रहे हैं। यह उनका 1 सप्ताह के भीतर दूसरा दौरा है। मात्र पांचवे ही दिन उनका फिर से बांसवाड़ा आना राजनीतिक हलकों में कई प्रकार की चर्चाओं को जन्म दे रहा है। हालांकि पार्टी के स्थानीय नेता गहलोत के दूसरी बार आगमन को नामांकन रैली का हिस्सा बता रहे हैं वहीं राजनीतिक जानकार पार्टी की आंतरिक कलह इसका प्रमुख कारण मानकर चल रहे हैं। मेवाड़ की पांच प्रमुख लोकसभा सीटों में बांसवाड़ा पार्टी के लिए प्रकार से हॉट सीट मानकर चल रही है। इस सीट पर पिछले कुछ अरसे में कोई भी


Body:पार्टी लगातार अपना परचम नहीं करा पाई। पिछले दो दशक से यहां हर चुनाव में जनता भाजपा कांग्रेस को बराबर का मौका दे रही है। इसे देखते हुए कांग्रेस पार्टी इसे अपने लिए अवसर मानकर चल रही है वहीं पार्टी के अंदरूनी हालात किसी से छुपे नहीं है। पार्टी बागीदौरा विधायक महेंद्रजीत सिंह मालवीय और पार्टी के राष्ट्रीय नेता रघुवीर सिंह मीणा इन दो गुटों में बटी हुई है। बांसवाड़ा से पार्टी ने इस चुनाव में ताराचंद भगोरा पर चौथी बार विश्वास जताया है। पूर्व में तीन बार भगोरा देश की सबसे बड़ी पंचायत में पहुंच चुके हैं। भगोरा को रघुवीर सिंह मीणा खेमे का


Conclusion:माना जाता है। इसके अलावा राज्य मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए जाने से भी पूर्व मंत्री मालवीया गहलोत से भी खासे नाराज माने जाते हैं। इस नाराजगी को उन्होंने गत 1 अप्रैल को उन्हीं के विधानसभा क्षेत्र में पार्टी की जनसभा के दौरान राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पांडे के सामने जाहिर कर दी थी। उन्होंने इशारे ही इशारों में जंगल में मोर नाचा किसने देखा की बात कहकर अपने दर्द को पार्टी के समक्ष रखा था। मालवीय की नाराजगी भगोरा के लिए चिंताजनक हो सकती है। मुख्यमंत्री गहलोत इस खतरे से अनभिज्ञ नहीं है। पांचवे ही दिन उनका बांसवाड़ा आने का कार्यक्रम इस गुटबाजी को खत्म करने के अलावा नई पार्टी भारतीय ट्राइबल पार्टी के खतरे से निपटना भी है। माना जा रहा है कि बांसवाड़ा जिले की चौरासी और सागवाड़ा दो विधानसभा सीटों के जीतने के बाद गहलोत सरकार को सपोर्ट कांग्रेस के लिए ज्यादा नुकसानदेह हो सकता है क्योंकि चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा द्वारा भी दोनों को एक ही थाली के चट्टे बट्टे के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। यह कांग्रेस के लिए चुनाव में घातक सिद्ध हो सकता है। गहलोत इस बारे में भी स्थानीय नेताओं को कोई मंत्र दे सकते हैं ताकि भाजपा को इस मुद्दे पर जनता के बीच जवाब दिया जा सके। इस संबंध में ईटीवी भारत ने पार्टी के जिला अध्यक्ष चांदमल जैन से बातचीत की तो उन्होंने गुटबाजी जैसी किसी बात से इंकार करते हुए कहा कि पार्टी एकजुट है और यह सीट हम जीतेंगे। हॉट सीट जैसी कोई बात नहीं है। मुख्यमंत्री बांसवाड़ा के अलावा उदयपुर और राजसमंद बी नामांकन रैली में शामिल होंगे।
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