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अधिकारी के इशारे पर ली 40,000 की रिश्वत, ACB ने लिपिक सहित दो को दबोचा

लंबे समय के बाद आखिरकार एंटी करप्शन ब्यूरो मंगलवार को एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया. ब्यूरो ने जिले की अरथुना पंचायत समिति में इस कार्रवाई को अंजाम दिया.

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Published : Apr 9, 2019, 8:45 PM IST

40,000 की रिश्वत

बांसवाड़ा. ब्यूरो टीम ने पंचायत समिति के बाबू को भी गिरफ्तार कर लिया. संबंधित अधिकारी ने भनक पड़ने पर अपना मोबाइल स्विच ऑफ कर लिया. फिल्हाल भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो रिश्वत के इस मामले में उसकी भूमिका को लेकर जांच कर रहा है.

दरअसल, जानबूझकर ग्राम पंचायत का रिकॉर्ड में कमियां निकाल कर अपने अधिनस्थ कर्मचारी से रिश्वत लेने का सनसनीखेज मामला खुला है. अधिकारी इशारों-इशारों में बाबू को रिश्वत की राशि लेने की बात कहकर फील्ड में निकल गया. डर से बाबू ने भी किसी अन्य के जरिए घूस लेना उचित समझा और एक सुपरवाइजर को लगा दिया. ब्यूरो ने रंगे हाथ ₹40000 की रिश्वत के साथ सुपरवाइजर को दबोच लिया.

एंटी करप्शन ब्यूरो ने दिया कार्रवाई को अंजाम

प्राप्त जानकारी के अनुसार, अरथुना पंचायत समिति के पंचायत प्रसार अधिकारी मुकेश मोड़ द्वारा कुछ माह पहले जोलाना ग्राम पंचायत का रिकॉर्ड जब्त कर लिया गया और उसमें कमियां निकाल कर कनिष्ठ सहायक धनराज परमार को नोटिस थमा दिया. इससे परमार घबरा गया और मोड़ के पास पहुंचा. वहां नोट द्वारा कमियों की पूर्ति कर मामले को रफा-दफा करने एवं नोटिस को शामिल फाइल करने की एवज में ₹50000 की मांग की. इस पूरे मामले के बाद अंत में ₹40000 में सौदेबाजी तय हुई. इसके बाद परमार एंटी करप्शन ब्यूरो बांसवाड़ा पहुंचा और DYSP हेरंब जोशी के समक्ष शिकायत पेश की.

ब्यूरो टीम द्वारा 18 और 25 मार्च को इसका सत्यापन कराया. शिकायत सही पाई जाने के बाद ब्यूरो टीम मौके की तलाश में थी. उक्त राशि मंगलवार को मुकेश मोड़ को दी जानी थी. यह देखते हुए जोशी अपने टीम के सदस्यों राजकुमार राणावत, गणेश लबाना, रतन सिंह, गणेश प्रसाद, राजेश निनामा एवं जितेंद्र सिंह जाला की टीम मौके पर पहुंच गए. परमार जैसे ही राशि लेकर पहुंचा पंचायत प्रसार अधिकारी मुकेश मोड पटेल ने इशारे ही इशारे में वरिष्ठ लिपिक भरत मनात को राशि लेने को कहते हुए इंस्पेक्शन पर निकल गया.

भरत भी कार्रवाई की आशंका में घबरा गया और पंचायत समिति की निर्माणाधीन नई बिल्डिंग के सुपरवाइजर गणेश लबाना को उक्त राशि दिए जाने की बात कही. भरत ने बाकायदा गणेश को फोन कर इसकी इत्तला भी दी और परमार को निर्माणाधीन बिल्डिंग पर भेज दिया. यहां जैसे ही कनिष्ठ सहायक ने गणेश लबाना को ₹40000 की रिश्वत राशि थमाई, गांठ लगाए बैठी ब्यूरो टीम ने उसे दबोच लिया. उसने यह राशि भरत के निर्देश पर लेना बताया तो टीम उसे लेकर पंचायत समिति पहुंच गई और भरत को भी दबोच लिया.

काम के बाद मोबाइल किया स्विच ऑफ...
एंटी करप्शन ब्यूरो बांसवाड़ा के डीवाईएसपी जोशी के अनुसार ब्यूरो टीम द्वारा मौके पर ही भरत से पंचायत प्रसार अधिकारी मुकेश से मोबाइल पर बात की गई. भरत ने मुकेश से कहा कि काम हो गया है. यह सुनकर शातिर मुकेश ने अपना मोबाइल स्विच ऑफ कर लिया. उसके बाद ब्यूरो द्वारा उसे कई बार कॉल की गई लेकिन मोबाइल स्विच ऑफ रहा.

...नहीं तो चपरासी चढ़ जाता बलि..
पता चला है कि पहले मुकेश रिश्वत की राशि प्रभु लाल नाम के चपरासी के जरिए लेने वाला था लेकिन मंगलवार को अचानक छुट्टी पर जाने से उसे अपनी प्लानिंग बदलनी पड़ी और भरत को इशारे में राशि लेने की बात कहते हुए वहां से फील्ड पर निकल गया. जोशी के अनुसार भरत और गणेश को गिरफ्तार कर लिया गया और इस मामले में पंचायत प्रसार अधिकारी मुकेश मोड की भूमिका की जांच कर रहे हैं. मुकेश 2015 में भी घड़ी पंचायत समिति में ₹100000 की रिश्वत लेते हुए एंटी करप्शन के हत्थे चढ़ा था. उस समय मुकेश पंचायत समिति के विकास अधिकारी का काम संभाल रहा था. जिसके बाद मुकेश को अरथुना भेज दिया गया.

बांसवाड़ा. ब्यूरो टीम ने पंचायत समिति के बाबू को भी गिरफ्तार कर लिया. संबंधित अधिकारी ने भनक पड़ने पर अपना मोबाइल स्विच ऑफ कर लिया. फिल्हाल भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो रिश्वत के इस मामले में उसकी भूमिका को लेकर जांच कर रहा है.

दरअसल, जानबूझकर ग्राम पंचायत का रिकॉर्ड में कमियां निकाल कर अपने अधिनस्थ कर्मचारी से रिश्वत लेने का सनसनीखेज मामला खुला है. अधिकारी इशारों-इशारों में बाबू को रिश्वत की राशि लेने की बात कहकर फील्ड में निकल गया. डर से बाबू ने भी किसी अन्य के जरिए घूस लेना उचित समझा और एक सुपरवाइजर को लगा दिया. ब्यूरो ने रंगे हाथ ₹40000 की रिश्वत के साथ सुपरवाइजर को दबोच लिया.

एंटी करप्शन ब्यूरो ने दिया कार्रवाई को अंजाम

प्राप्त जानकारी के अनुसार, अरथुना पंचायत समिति के पंचायत प्रसार अधिकारी मुकेश मोड़ द्वारा कुछ माह पहले जोलाना ग्राम पंचायत का रिकॉर्ड जब्त कर लिया गया और उसमें कमियां निकाल कर कनिष्ठ सहायक धनराज परमार को नोटिस थमा दिया. इससे परमार घबरा गया और मोड़ के पास पहुंचा. वहां नोट द्वारा कमियों की पूर्ति कर मामले को रफा-दफा करने एवं नोटिस को शामिल फाइल करने की एवज में ₹50000 की मांग की. इस पूरे मामले के बाद अंत में ₹40000 में सौदेबाजी तय हुई. इसके बाद परमार एंटी करप्शन ब्यूरो बांसवाड़ा पहुंचा और DYSP हेरंब जोशी के समक्ष शिकायत पेश की.

ब्यूरो टीम द्वारा 18 और 25 मार्च को इसका सत्यापन कराया. शिकायत सही पाई जाने के बाद ब्यूरो टीम मौके की तलाश में थी. उक्त राशि मंगलवार को मुकेश मोड़ को दी जानी थी. यह देखते हुए जोशी अपने टीम के सदस्यों राजकुमार राणावत, गणेश लबाना, रतन सिंह, गणेश प्रसाद, राजेश निनामा एवं जितेंद्र सिंह जाला की टीम मौके पर पहुंच गए. परमार जैसे ही राशि लेकर पहुंचा पंचायत प्रसार अधिकारी मुकेश मोड पटेल ने इशारे ही इशारे में वरिष्ठ लिपिक भरत मनात को राशि लेने को कहते हुए इंस्पेक्शन पर निकल गया.

भरत भी कार्रवाई की आशंका में घबरा गया और पंचायत समिति की निर्माणाधीन नई बिल्डिंग के सुपरवाइजर गणेश लबाना को उक्त राशि दिए जाने की बात कही. भरत ने बाकायदा गणेश को फोन कर इसकी इत्तला भी दी और परमार को निर्माणाधीन बिल्डिंग पर भेज दिया. यहां जैसे ही कनिष्ठ सहायक ने गणेश लबाना को ₹40000 की रिश्वत राशि थमाई, गांठ लगाए बैठी ब्यूरो टीम ने उसे दबोच लिया. उसने यह राशि भरत के निर्देश पर लेना बताया तो टीम उसे लेकर पंचायत समिति पहुंच गई और भरत को भी दबोच लिया.

काम के बाद मोबाइल किया स्विच ऑफ...
एंटी करप्शन ब्यूरो बांसवाड़ा के डीवाईएसपी जोशी के अनुसार ब्यूरो टीम द्वारा मौके पर ही भरत से पंचायत प्रसार अधिकारी मुकेश से मोबाइल पर बात की गई. भरत ने मुकेश से कहा कि काम हो गया है. यह सुनकर शातिर मुकेश ने अपना मोबाइल स्विच ऑफ कर लिया. उसके बाद ब्यूरो द्वारा उसे कई बार कॉल की गई लेकिन मोबाइल स्विच ऑफ रहा.

...नहीं तो चपरासी चढ़ जाता बलि..
पता चला है कि पहले मुकेश रिश्वत की राशि प्रभु लाल नाम के चपरासी के जरिए लेने वाला था लेकिन मंगलवार को अचानक छुट्टी पर जाने से उसे अपनी प्लानिंग बदलनी पड़ी और भरत को इशारे में राशि लेने की बात कहते हुए वहां से फील्ड पर निकल गया. जोशी के अनुसार भरत और गणेश को गिरफ्तार कर लिया गया और इस मामले में पंचायत प्रसार अधिकारी मुकेश मोड की भूमिका की जांच कर रहे हैं. मुकेश 2015 में भी घड़ी पंचायत समिति में ₹100000 की रिश्वत लेते हुए एंटी करप्शन के हत्थे चढ़ा था. उस समय मुकेश पंचायत समिति के विकास अधिकारी का काम संभाल रहा था. जिसके बाद मुकेश को अरथुना भेज दिया गया.

Intro:खबर से संबंधित विजुअल और बाईट मेल पर भेजी गई है
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बांसवाड़ा। लंबे समय बाद आखिरकार एंटी करप्शन ब्यूरो मंगलवार को एक बड़ी कार्रवाई करने में सफल रहा। ब्यूरो ने जिले की अरथुना पंचायत समिति मैं इस कार्रवाई को अंजाम दिया। जानबूझकर ग्राम पंचायत का रिकॉर्ड में कमियां निकाल कर अपने अधिनस्थ कर्मचारी से रिश्वत लेने का सनसनीखेज मामला खुला। अधिकारी इशारों इशारों में बाबू को रिश्वत की राशि लेने की बात कहकर फील्ड में निकल गया। डर के मारे बाबू ने भी किसी अन्य के जरिए घूस लेना उचित समझा और एक सुपरवाइजर को लगा दिया। ब्यूरो ने रंगे हाथ ₹40000 की रिश्वत


Body:के साथ सुपरवाइजर को दबोच लिया। ब्यूरो टीम ने इसके तुरंत बाद पंचायत समिति के बाबू को भी गिरफ्तार कर लिया। संबंधित अधिकारी ने भनक पड़ने पर अपना मोबाइल स्विच ऑफ कर लिया। फिलहाल भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो रिश्वत के इस मामले में उसकी भूमिका को लेकर जांच कर रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार अरथुना पंचायत समिति के पंचायत प्रसार अधिकारी मुकेश मोड़ द्वारा कुछ माह पहले जोलाना ग्राम पंचायत का रिकॉर्ड जप्त कर लिया और उसमें कमियां निकाल कर कनिष्ठ सहायक धनराज परमार को नोटिस थमा दिया। इससे परमार घबरा गया और मोड़ के पास पहुंचा। वहां नोट द्वारा कमियों की पूर्ति कर मामले को रफा-दफा करने एवं नोटिस को शामिल फाइल करने की एवज में ₹50000 की मांग की। अंत में


Conclusion:₹40000 में सौदेबाजी तय हुई। इसके बाद परमार एंटी करप्शन ब्यूरो बांसवाड़ा पहुंचा और डीवाईएसपी हेरंब जोशी के समक्ष शिकायत पेश की। ब्यूरो टीम द्वारा 18 और 25 मार्च को इसका सत्यापन कराया। शिकायत सही पाई जाने के बाद ब्यूरो टीम मौके की तलाश में थी। उक्त राशि मंगलवार को मुकेश मोड़ को दी जानी थी। यह देखते हुए डीवाईएसपी जोशी अपने टीम के सदस्यों राजकुमार राणावत गणेश लबाना रतन सिंह गणेश प्रसाद राजेश निनामा एम जितेंद्र सिंह जाला की टीम मौके पर पहुंच गए। परमार जैसे ही राशि लेकर पहुंचा पंचायत प्रसार अधिकारी मुकेश मोड पटेल ने इशारे ही इशारे में वरिष्ठ लिपिक भरत मनात को राशि लेने को कहते हुए इंस्पेक्शन पर निकल गया। भरत भी कार्रवाई की आशंका में घबरा गया और पंचायत समिति की निर्माणाधीन नई बिल्डिंग के सुपरवाइजर गणेश लबाना को उक्त राशि दिए जाने की बात कही। भरत ने बाकायदा गणेश को फोन कर इसकी इत्तला भी दी और परमार को निर्माणाधीन बिल्डिंग पर भेज दिया। यहां जैसे ही कनिष्ठ सहायक ने गणेश लबाना को ₹40000 की रिश्वत राशि थमाई, गांठ लगाए बैठी ब्यूरो टीम ने उसे दबोच लिया। उसने यह राशि भरत के निर्देश पर लेना बताया तो टीम उसे लेकर पंचायत समिति पहुंच गई और भरत को भी दबोच लिया।
काम हो गया फोर मोबाइल स्विच ऑफ
एंटी करप्शन ब्यूरो बांसवाड़ा के डीवाईएसपी जोशी के अनुसार ब्यूरो टीम द्वारा मौके पर ही भरत से पंचायत प्रसार अधिकारी मुकेश से मोबाइल पर बात करें गई। भरत ने मुकेश से कहा कि काम हो गया। यह सुनकर शातिर मुकेश ने अपना मोबाइल स्विच ऑफ कर लिया। उसके बाद ब्यूरो द्वारा उसे कई बार कॉल की गई लेकिन मोबाइल स्विच ऑफ रहा।
वरना चपरासी चढ़ जाता बलि
पता चला है कि पहले मुकेश रिश्वत की राशि प्रभु लाल नाम के चपरासी के जरिए लेने वाला था लेकिन मंगलवार को अचानक छुट्टी पर जाने से उसे अपनी प्लानिंग बदलनी पड़ी और भरत को इशारे में राशि लेने की बात कहते हुए वहां से फील्ड पर निकल गया। जोशी के अनुसार हमने भरत और गणेश को गिरफ्तार कर लिया है और इस मामले में पंचायत प्रसार अधिकारी मुकेश मोड की भूमिका की जांच कर रहे हैं। मुकेश 2015 में भी घड़ी पंचायत समिति में ₹100000 की रिश्वत लेते हुए एंटी करप्शन के हत्थे चढ़ा था। उस समय मुकेश पंचायत समिति के विकास अधिकारी का काम संभाल रहा था। उसके बाद मुकेश को अरथुना भेज दिया गया।
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