बांसवाड़ा. आदिवासी अंचल में बसे शक्तिपीठ माता त्रिपुरा सुंदरी मंदिर में बुधवार सुबह घट स्थापना की गई है. माता त्रिपुरा सुंदरी को तरतई माता यानी तुरंत फल देने वाली माता कहा जाता है. पंचाल समाज की आराध्य देवी माता त्रिपुरा सुंदरी के दरबार में यूं तो हमेशा ही भक्तों की भीड़ रहती है पर नवरात्रि के अवसर पर हजारों की संख्या में भक्तों पहुंचते हैं.
माताजी को लगाते हैं नारियल का भोग : गांव-गांव ढाणी-ढाणी से पहुंचने वाले भक्त यूं तो अपनी पसंद का भोग लगाते हैं पर यहां पर परंपरा है कि माता जी को नारियल का भोग धराया जाता है. वहीं, दोपहर में रोटी,सब्जी,दाल-चावल जिस तरह एक सामान्य व्यक्ति अपने घर खाना खाता है वैसे ही माता जी का थाली से भोग लगाया जाता हैं. विशेष आयोजनों पर पूरी और सीरा का भी भोग लगाया जाता है. जबकि भक्त मंडल के की तरफ से अष्टमी के दिन भव्य हवन किया जाता है इसके बाद विशेष भोग धराया जाता है.
देश के 52 शक्तिपीठ में से एक हैं मां त्रिपुरा सुंदरी : माताजी के विभिन्न स्वरूप और उनके शक्तिपीठ पूरे देश में है, जिनमें से एक बांसवाड़ा शहर से करीब 21 किलोमीटर दूर अरावली की पहाड़ियों में वागड़ क्षेत्र का प्रसिद्ध मां त्रिपुरा सुंदरी स्थित है. मंदिर के वर्तमान स्वरूप को 2 वर्ष पूर्व विभिन्न शिलाओं को अभिमंत्रित कर बनाया गया है.
घटस्थापना पंडित डॉक्टर निंकुज मोहन पंड्या करा रहे हैं, जबकि यजमान की भूमिका में मंदिर मंडल समिति के अध्यक्ष कांतिलाल पंचाल के साथ ही समाज के वरिष्ठजन मौजूद है. माताजी का दरबार सुबह 6:00 बजे से रात 9:00 बजे तक निर्विघ्नं भक्तों के लिए खुला रहेगा. भक्तों के लिए अलग-अलग समय अलग-अलग पंडितों के नेतृत्व में दर्शन कराए जाएंगे. वहीं, पुलिस के द्वारा मंदिर परिसर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं.