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बांसवाड़ा: बनाना था भवन और बना दिया कैदखाना, एक करोड़ लागत की बिल्डिंग में दरवाजा निकालना ही भूल गए अभियंता - mahatma gandhi hospital banswara

बांसवाड़ा के महात्मा गांधी चिकित्सालय में अभियंताओं ने बिना किसी डिजाइनिंग के एक करोड़ का भवन तैयार कर दिया है. चिकित्सालय में आउटडोर पर निर्माणधीन सर्जिकल वार्ड की गत वर्ष सरकार की ओर से 25 बेड की क्षमता के वार्ड निर्माण को मंजूरी दी गई थी. जिसके तहत वार्ड के साथ-साथ यहां ऑपरेशन थिएटर के निर्माण का भी प्रावधान किया गया था.

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बांसवाड़ा के महात्मा गांधी चिकित्सालय में बिना दरवाजे के तैयार हुआ भवन
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Published : Nov 6, 2020, 7:57 PM IST

बांसवाड़ा. जिले के महात्मा गांधी चिकित्सालय के आउटडोर पर निर्माणधीन सर्जिकल वार्ड की गत वर्ष सरकार की ओर से 25 बेड की क्षमता के वार्ड निर्माण को मंजूरी दी गई थी. जिसके तहत वार्ड के साथ-साथ यहां ऑपरेशन थिएटर के निर्माण का भी प्रावधान किया गया था.

बांसवाड़ा के महात्मा गांधी चिकित्सालय में बिना दरवाजे के तैयार हुआ भवन

साथ ही चिकित्सालय प्रशासन की ओर से वार्ड निर्माण की पूरी जिम्मेदारी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को सौंपी गई थी. जिसपर हॉस्पिटल प्रशासन ने अपनी पूरी डिमांड का प्रपोजल तैयार कर मिशन अभियंता को सौंप दिया था. जहां साल 2019 में डिजाइन तैयार कर चिकित्सालय प्रशासन को भेजा गया और उसी के अनुरूप निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया था. वहीं अब जब वार्ड निर्माण का कार्य तकरीबन पूरा हो गया है तो, डिजाइनिंग की बड़ी खामी सामने आ गई है.

बता दें कि वार्ड निर्माणधीन में आवाजाही के लिए कोई भी दरवाजा नहीं रखा गया है. जिसपर वार्ड के पीछे की ओर से एकमात्र दरवाजे के तौर पर केवल ढाई फीट का स्थान रखा गया है. जानकारों का कहना है कि बिना दरवाजे के आखिरकार ग्राउंड फ्लोर से इस नवनिर्मित वार्ड तक किस प्रकार पहुंचा जाएगा, क्योंकि ग्राउंड फ्लोर पर भी इमरजेंसी सहित कई महत्वपूर्ण वार्ड हैं, उनमें तोड़फोड़ करना संभव नहीं है.

ऐसी स्थिति में इस वार्ड तक आखिरकार स्टाफ और मरीजों को किस प्रकार लाया और ले जाया जाएगा, इस पर हॉस्पिटल प्रबंधन भी कुछ कहने की स्थिति में नहीं है. वार्ड को एक प्रकार से कैदखाना की तरह बना दिया गया है और वार्ड तक पहुंचने के विकल्प को ही अभियंता नजर अंदाज कर गए. हालांकि निर्माण के दौरान निर्माण सामग्री क्रेन के जरिए ही नीचे से ऊपर तक पहुंचाई गई लेकिन ठेकेदार ने भी आने वाली दिक्कत को अधिकारियों के समक्ष नहीं उठाया.

पढ़ें: राजस्थान पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा 2020ः कोरोना गाइडलाइन की पालना के साथ अभ्यर्थियों को दिया गया परीक्षा केंद्रों में प्रवेश

साथ ही भवन कंप्लीट होने के बाद जब दरवाजे की बात सामने आई तो अभियंताओं में भी खलबली मच गई. महात्मा गांधी चिकित्सालय के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. अनिल भाटी ने भी माना है कि निर्माण के दौरान इस खामी की ओर किसी का ध्यान नहीं गया. जिसके बाद अब एनएचएम के अभियंता नीचे से वार्ड तक पहुंचने का मार्ग तलाश कर रहे हैं लेकिन फिलहाल ऐसी कोई जगह सामने नहीं आ रही है. हालांकि भवन सुपुर्द नहीं हुआ है ऐसे में पीछे वाले भाग की ओर से दरवाजा रखने का प्रपोजल अभियंता के सामने रखा है. इसके बाद यह तकनीकी फाल्ट निकाले जाने के बाद ही इसे टेकओवर किया जाएगा.

बांसवाड़ा. जिले के महात्मा गांधी चिकित्सालय के आउटडोर पर निर्माणधीन सर्जिकल वार्ड की गत वर्ष सरकार की ओर से 25 बेड की क्षमता के वार्ड निर्माण को मंजूरी दी गई थी. जिसके तहत वार्ड के साथ-साथ यहां ऑपरेशन थिएटर के निर्माण का भी प्रावधान किया गया था.

बांसवाड़ा के महात्मा गांधी चिकित्सालय में बिना दरवाजे के तैयार हुआ भवन

साथ ही चिकित्सालय प्रशासन की ओर से वार्ड निर्माण की पूरी जिम्मेदारी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को सौंपी गई थी. जिसपर हॉस्पिटल प्रशासन ने अपनी पूरी डिमांड का प्रपोजल तैयार कर मिशन अभियंता को सौंप दिया था. जहां साल 2019 में डिजाइन तैयार कर चिकित्सालय प्रशासन को भेजा गया और उसी के अनुरूप निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया था. वहीं अब जब वार्ड निर्माण का कार्य तकरीबन पूरा हो गया है तो, डिजाइनिंग की बड़ी खामी सामने आ गई है.

बता दें कि वार्ड निर्माणधीन में आवाजाही के लिए कोई भी दरवाजा नहीं रखा गया है. जिसपर वार्ड के पीछे की ओर से एकमात्र दरवाजे के तौर पर केवल ढाई फीट का स्थान रखा गया है. जानकारों का कहना है कि बिना दरवाजे के आखिरकार ग्राउंड फ्लोर से इस नवनिर्मित वार्ड तक किस प्रकार पहुंचा जाएगा, क्योंकि ग्राउंड फ्लोर पर भी इमरजेंसी सहित कई महत्वपूर्ण वार्ड हैं, उनमें तोड़फोड़ करना संभव नहीं है.

ऐसी स्थिति में इस वार्ड तक आखिरकार स्टाफ और मरीजों को किस प्रकार लाया और ले जाया जाएगा, इस पर हॉस्पिटल प्रबंधन भी कुछ कहने की स्थिति में नहीं है. वार्ड को एक प्रकार से कैदखाना की तरह बना दिया गया है और वार्ड तक पहुंचने के विकल्प को ही अभियंता नजर अंदाज कर गए. हालांकि निर्माण के दौरान निर्माण सामग्री क्रेन के जरिए ही नीचे से ऊपर तक पहुंचाई गई लेकिन ठेकेदार ने भी आने वाली दिक्कत को अधिकारियों के समक्ष नहीं उठाया.

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साथ ही भवन कंप्लीट होने के बाद जब दरवाजे की बात सामने आई तो अभियंताओं में भी खलबली मच गई. महात्मा गांधी चिकित्सालय के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. अनिल भाटी ने भी माना है कि निर्माण के दौरान इस खामी की ओर किसी का ध्यान नहीं गया. जिसके बाद अब एनएचएम के अभियंता नीचे से वार्ड तक पहुंचने का मार्ग तलाश कर रहे हैं लेकिन फिलहाल ऐसी कोई जगह सामने नहीं आ रही है. हालांकि भवन सुपुर्द नहीं हुआ है ऐसे में पीछे वाले भाग की ओर से दरवाजा रखने का प्रपोजल अभियंता के सामने रखा है. इसके बाद यह तकनीकी फाल्ट निकाले जाने के बाद ही इसे टेकओवर किया जाएगा.

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