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बांसवाड़ा: तहसीलदार ने विकलांग की मदद कर पेश की मिसाल - rajasthan,

बांसवाड़ा के घाटोल में नायब तहसीलदार और पटवार संघ घाटोल एक अनाथ और बेसहाय विकलांग के लिए आगे बढ़े और तहसील परिसर में चंदा एकत्रित कर अनाथ विकलांग को आर्थिक सहयाता दी.

बांसवाड़ा: तहसीलदार ने विकलांग की मदद कर पेश की मिसाल
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Published : Jul 26, 2019, 10:53 AM IST

बांसवाड़ा. घाटोल में नायब तहसीलदार और पटवार संघ ने एक अनाथ और बेसहाय विकलांग की मदद की. दरअसल गुरूवार को घाटोल नायब तहसील कार्यालय के बाहर बैठा एक बेसहाय विकलांग गुमसुन वहां आते जाते लोगों को देख रहा था. सुबह से बैठे इस विकलांग पर नायब तहसीदार प्रवीण रतनु की नजर पड़ी तो नायब तहसीलदार ने विकलांग से अकेले बैठने का कारण पूछा. विकलांग ने अपना नाम रामचन्द्र सागवाड़ा पंचायत समिति के कानेला ग्राम पंचायत का होना बताया. उसके परिवार में एक 8 साल की बहन के अलावा आगे पीछे कोई नहीं है. शरीर से 70 फीसदी विकलांग होने से कमाने में असमर्थ है.

बांसवाड़ा: तहसीलदार ने विकलांग की मदद कर पेश की मिसाल

दोनों भाई बहिन के भरण पोषण की जिम्मेदरी स्वयं पर है. ऐसे में बहिन की पढाई के लिए रुपयों की आवश्यकता होने से वह बस से जावरा अपनी मौसी के पास जा रहा था. लेकिन बस वाले को देने के लिए टिकिट का पैसा नही होने से बस वाले ने रास्ते में ही बस से उतार दिया. अब घर जाने के लिए पैसा नहीं है. नायब तहसीलदार ने रामचंद्र की व्याथा सुनकर कानेला पटवारी को फोन किया और युवक की जानकारी निकाली तो युवक की बात सही निकली. नायब तहसीलदार ने पटवार संघ को बुलाया और रामचन्द्र की मदद के लिए चंदा एकत्रित कर रामचन्द्र को तहसील कार्यालय में नहलाकर, शेविंग करवाई और नये कपड़े पहनाकर विकलांग रामचन्द्र को 3300 रु नकद देकर रोडवेज में बैठाकर घर भेजा.

सरकार की योजनाए रामचन्द्र से कोसो दूर
रामचन्द्र ने बताया की उसके पिता की 5 साल पहले बीमारी से मौत हो गई. जिसके बाद उसकी मां उसे और छोटी बहन को अकेला छोड़कर नाते चली गई. रामचन्द्र शरीर से विकलांग होने के बाद भी अपनी बहन को पाल पोसकर बड़ा किया और सरकारी स्कुल में पढ़ा रहा है. रामचन्द्र को विकलांग पेंशन सहित अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा. रामचन्द्र अपने रिश्तेदारों से मदद मांग कर अपना और अपनी बहन का गुजारा चलाता है. लेकिन अब रिश्तेदार भी मुंह फेरने लगे है. राशन का गेंहू भी इसे 3 रुपये किलो मिलता है.

बांसवाड़ा. घाटोल में नायब तहसीलदार और पटवार संघ ने एक अनाथ और बेसहाय विकलांग की मदद की. दरअसल गुरूवार को घाटोल नायब तहसील कार्यालय के बाहर बैठा एक बेसहाय विकलांग गुमसुन वहां आते जाते लोगों को देख रहा था. सुबह से बैठे इस विकलांग पर नायब तहसीदार प्रवीण रतनु की नजर पड़ी तो नायब तहसीलदार ने विकलांग से अकेले बैठने का कारण पूछा. विकलांग ने अपना नाम रामचन्द्र सागवाड़ा पंचायत समिति के कानेला ग्राम पंचायत का होना बताया. उसके परिवार में एक 8 साल की बहन के अलावा आगे पीछे कोई नहीं है. शरीर से 70 फीसदी विकलांग होने से कमाने में असमर्थ है.

बांसवाड़ा: तहसीलदार ने विकलांग की मदद कर पेश की मिसाल

दोनों भाई बहिन के भरण पोषण की जिम्मेदरी स्वयं पर है. ऐसे में बहिन की पढाई के लिए रुपयों की आवश्यकता होने से वह बस से जावरा अपनी मौसी के पास जा रहा था. लेकिन बस वाले को देने के लिए टिकिट का पैसा नही होने से बस वाले ने रास्ते में ही बस से उतार दिया. अब घर जाने के लिए पैसा नहीं है. नायब तहसीलदार ने रामचंद्र की व्याथा सुनकर कानेला पटवारी को फोन किया और युवक की जानकारी निकाली तो युवक की बात सही निकली. नायब तहसीलदार ने पटवार संघ को बुलाया और रामचन्द्र की मदद के लिए चंदा एकत्रित कर रामचन्द्र को तहसील कार्यालय में नहलाकर, शेविंग करवाई और नये कपड़े पहनाकर विकलांग रामचन्द्र को 3300 रु नकद देकर रोडवेज में बैठाकर घर भेजा.

सरकार की योजनाए रामचन्द्र से कोसो दूर
रामचन्द्र ने बताया की उसके पिता की 5 साल पहले बीमारी से मौत हो गई. जिसके बाद उसकी मां उसे और छोटी बहन को अकेला छोड़कर नाते चली गई. रामचन्द्र शरीर से विकलांग होने के बाद भी अपनी बहन को पाल पोसकर बड़ा किया और सरकारी स्कुल में पढ़ा रहा है. रामचन्द्र को विकलांग पेंशन सहित अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा. रामचन्द्र अपने रिश्तेदारों से मदद मांग कर अपना और अपनी बहन का गुजारा चलाता है. लेकिन अब रिश्तेदार भी मुंह फेरने लगे है. राशन का गेंहू भी इसे 3 रुपये किलो मिलता है.

Intro:घाटोल (बांसवाड़ा) - घाटोल नायब तहसीलदार व पटवार संघ घाटोल एक अनाथ व बेसहाय विकलांग के लिए आगे बढ़े और तहसील परिसर में चंदा एकत्रित कर अनाथ विकलांग को आर्थिक सहयाता प्रदान कर मानवता की मिसाल पेश की।
Body:दरअसल गुरूवार को घाटोल नायब तहसील कार्यालय के बाहर बैठा एक बेसहाय विकलांग गुमसुन वहां आते जाते लोगो को देख रहा था। सुबह से बेठे इस विकलांग पर नायब तहसीदार प्रवीण रतनु की नजर पड़ी तो नायब तहसीलदार ने विकलांग से सुबह से अकेले बेठने का कारण पूछा। विकलांग ने अपना नाम रामचन्द्र पुत्र भीरवा मीणा सागवाड़ा पंचायत समिति के कानेला ग्राम पंचायत का होना बताया। उसके परिवार में एक 8 साल की बहन के अलावा आगे पीछे कोई नही हे, शरीर से 70 फीसदी विकलांग होने से कमाने में असमर्थ हे।दोनों भाई बहिन के भरण पोषण की जिम्मेदरी स्वयं पर हे। ऐसे में बहिन की पढाई के लिए रुपयों की आवश्यकता होने से वह बस से जावरा अपनी मौसी के पास जा रहा था लेकिन बस वाले को देने के लिए टिकिट का पैसा नही होने से बस वाले से रास्ते में ही बस से उतार दिया। अब घर जाने के लिए पैसा नही हे।नायब तहसीलदार ने रामचंद्र की व्याथा सुन तत्काल कानेला पटवारी को फोन किया और युवक की जानकारी निकाली तो युवक की बात सही निकली

नायब तहसीलदार ने पटवार संघ को बुलाया और रामचन्द्र की मदद के लिए चंदा एकत्रित कर रामचन्द्र को तहसील कार्यालय में नहलाकर शेविंग करवाई और नये कपड़े पहनाकर विकलांग रामचन्द्र को 3300 रु नकद देकर रोडवेज़ में बिठाकर घर भेजा।

सरकार की योजनाए रामचन्द्र से कोसो दूर

रामचन्द्र ने बताया की उसके पिता की 5 साल पूर्व बीमारी से मोंत हो गई जिसके बाद उसकी माँ उसे व 1 साल की चौटी बहन को अकेला छोड़ नाते चली गई रामचन्द्र शरीर से विकलांग होने के बाद भी अपनी बहन को पाल पोसकर बड़ा किया और सरकारी स्कुल पे पढ़ा रहा हे रामचन्द्र को विकलांग पेंशन सहित अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ नही मिल रहा रामचन्द्र अपने रिश्रेदारो से मदद मांग अपना व अपनी बहन का गुजारा चलाता हे लेकिन अब रिश्तेदार भी मुंह फेरने लगे हे। राशन का गेहू भी इसे 3 रुपये किलो मिलता है।Conclusion:
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