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बांसवाड़ा पुलिस की मध्यप्रदेश के भोपाल में बड़ी कार्रवाई, चिटफंड कंपनी की 3 करोड़ की संपत्ति सीज - बांसवाड़ा

बांसवाड़ा पुलिस (Banswara Police) ने मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में चिटफंड कंपनी की 3 करोड़ की संपत्ति सीज कर की है. सज्जनगढ़ थाना अधिकारी धनपत सिंह ने इस पूरे मामले का खुलासा किया है. साल 2014 में लोगों से करीब 70 लाख रुपए ऐंठने के बाद कंपनी बंद कर दोनों डायरेक्टर फरार हो गए थे. यह बांसवाड़ा पुलिस की दूसरे प्रदेश में अबतक की सबसे बड़ी कार्रवाई बताया जा रहा है.

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चिटफंड कंपनी की 3 करोड़ की संपत्ति सीज
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Published : Jul 22, 2021, 10:30 PM IST

Updated : Jul 22, 2021, 10:40 PM IST

बांसवाड़ा. स्वराष्ट्र बिजनेस प्राइवेट लिमिटेड नाम से कंपनी बनाकर लोगों से करीब 70 लाख रुपए ऐंठने के मामले में पुलिस को बड़ी कामयाबी मिली है. पुलिस ने मध्यप्रदेश के भोपाल में करीब 3 करोड़ की संपत्ति सीज की है. जांच अधिकारी सज्जनगढ़ थाना अधिकारी धनपत सिंह ने बताया कि डायरेक्टर राहुल सक्सेना और राजेंद्र सक्सेना को गिरफ्तार किया गया. बांसवाड़ा लाकर दोनों को कोर्ट में पेश किया और पुलिस रिमांड ली गई. यह कार्रवाई 16 जुलाई को की गई थी.

सज्जनगढ़ थानाधिकारी और उनकी पूरी टीम बीते 15 दिन से मध्यप्रदेश में डेरा डाले हुए थी. पहले आरोपियों के मूल स्थानों को खंगाला गया. सभी आरोपी दूसरे स्थानों पर नाम-पता बदलकर रह रहे थे. नई जगह पर पहुंचकर पुलिस ने पुराने आरोपियों को तलाशा. पुलिस के हत्थे कंपनी के दोनों मूल डायरेक्टर लग गए. यह भी पता चला कि लोगों को झांसा देकर जुटाई गई रकम को जमीन खरीदने के साथ ही दूसरी चीजों में भी निवेश किया गया है.

पढ़ें: पति-पत्नी ने चिटफंड के नाम पर ₹400 करोड़ की ठगी, दोनों गिरफ्तार

पुलिस सूत्रों के मुताबिक एमपी में इतने दिन तक रहने के बाद ऐसे लोगों के दस्तावेज जब्त करना, जिनका FIR में नाम नहीं है, किसी चुनौती से कम नहीं था. लेकिन पुलिस ने हार नहीं मानी. आखिरकार करीब 3 करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी सीज की गई है. बाजार में इस प्रॉपर्टी की कीमत ज्यादा भी हो सकती है.

दरअसल स्वराष्ट्र बिजनेस प्राइवेट लिमिटेड नाम से भोपाल के दो आरोपी राहुल सक्सेना और राजेंद्र सक्सेना ने कंपनी बनाई थी. मूल कंपनी की स्थापना राहुल सक्सेना ने की थी. संस्थापक सदस्यों में दूसरा नाम राजेंद्र सक्सेना का था. इस कंपनी ने लोगों से लोग लुभावने वादे किए और पैसा निवेश कराया. बांसवाड़ा जिले में अबतक दर्ज केस के मुताबिक लोगों ने करीब 70 लाख रुपए का निवेश किया था. जब केस दर्ज हुए थे, तब पुलिस ने 6 लोगों को गिरफ्तार किया था.

साल 2014 में आरोपियों ने कंपनी को बंद कर दिया. अपने नाम-पते बदल कर दूसरी जगह रहने के लिए चले गए. तब से लेकर अबतक यह पूरा मामला बांसवाड़ा में पेंडिंग चल रहा था. बांसवाड़ा एसपी कावेन्द्र सिंह सागर ने इस पूरे मामले की जांच ऐसे थाना अधिकारी को दी, जिसके यहां इस कंपनी से संबंधित कोई भी केस दर्ज ही नहीं था. इस कंपनी के खिलाफ कुशलगढ़ और कोतवाली थाने में ही केस दर्ज थे, जबकि जांच का जिम्मा सज्जनगढ़ थानाधिकारी धनपत सिंह को दिया गया.

दोनों ही डायरेक्टर नाम-पता बदलकर दूसरी जगह रहने लगे, इसलिए कभी पुलिस की पकड़ में नहीं आए. इस मामले में सज्जनगढ़ थाना पुलिस ने राहुल सक्सेना को गिरफ्तार किया. जबकि राजेंद्र सक्सेना को भी सज्जनगढ़ थाना पुलिस ने ही गिरफ्तार किया था. लेकिन उसे कोतवाली पुलिस को सौंप दिया गया.

पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अब इस पूरे मामले में रेंज आईजी आदेश देंगे. इसके बाद भोपाल में सीज गई की गई प्रॉपर्टी को कुर्क करने का काम किया जाएगा. एक वरिष्ठ अधिकारियों का दल तमाम दस्तावेज के साथ शुक्रवार को उदयपुर में आईजी से मुलाकात करेगा और तमाम तथ्यों की जानकारी देगा. इसके बाद भोपाल जाएंगे. वहां कलेक्टर और दूसरे अधिकारियों को सभी जानकारी दी जाएगी. इसके बाद संपत्ति के कुर्क या बेचान की कार्रवाई होगी. इससे जो पैसा मिलेगा, वह कोर्ट में जमा होगा. जब भी बांसवाड़ा में दर्ज मुकदमों का फैसला होगा और पीड़ित के पक्ष में फैसला आएगा तो उन्हें निवेश की गई धन राशि लौटाई जाएगी.

बांसवाड़ा. स्वराष्ट्र बिजनेस प्राइवेट लिमिटेड नाम से कंपनी बनाकर लोगों से करीब 70 लाख रुपए ऐंठने के मामले में पुलिस को बड़ी कामयाबी मिली है. पुलिस ने मध्यप्रदेश के भोपाल में करीब 3 करोड़ की संपत्ति सीज की है. जांच अधिकारी सज्जनगढ़ थाना अधिकारी धनपत सिंह ने बताया कि डायरेक्टर राहुल सक्सेना और राजेंद्र सक्सेना को गिरफ्तार किया गया. बांसवाड़ा लाकर दोनों को कोर्ट में पेश किया और पुलिस रिमांड ली गई. यह कार्रवाई 16 जुलाई को की गई थी.

सज्जनगढ़ थानाधिकारी और उनकी पूरी टीम बीते 15 दिन से मध्यप्रदेश में डेरा डाले हुए थी. पहले आरोपियों के मूल स्थानों को खंगाला गया. सभी आरोपी दूसरे स्थानों पर नाम-पता बदलकर रह रहे थे. नई जगह पर पहुंचकर पुलिस ने पुराने आरोपियों को तलाशा. पुलिस के हत्थे कंपनी के दोनों मूल डायरेक्टर लग गए. यह भी पता चला कि लोगों को झांसा देकर जुटाई गई रकम को जमीन खरीदने के साथ ही दूसरी चीजों में भी निवेश किया गया है.

पढ़ें: पति-पत्नी ने चिटफंड के नाम पर ₹400 करोड़ की ठगी, दोनों गिरफ्तार

पुलिस सूत्रों के मुताबिक एमपी में इतने दिन तक रहने के बाद ऐसे लोगों के दस्तावेज जब्त करना, जिनका FIR में नाम नहीं है, किसी चुनौती से कम नहीं था. लेकिन पुलिस ने हार नहीं मानी. आखिरकार करीब 3 करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी सीज की गई है. बाजार में इस प्रॉपर्टी की कीमत ज्यादा भी हो सकती है.

दरअसल स्वराष्ट्र बिजनेस प्राइवेट लिमिटेड नाम से भोपाल के दो आरोपी राहुल सक्सेना और राजेंद्र सक्सेना ने कंपनी बनाई थी. मूल कंपनी की स्थापना राहुल सक्सेना ने की थी. संस्थापक सदस्यों में दूसरा नाम राजेंद्र सक्सेना का था. इस कंपनी ने लोगों से लोग लुभावने वादे किए और पैसा निवेश कराया. बांसवाड़ा जिले में अबतक दर्ज केस के मुताबिक लोगों ने करीब 70 लाख रुपए का निवेश किया था. जब केस दर्ज हुए थे, तब पुलिस ने 6 लोगों को गिरफ्तार किया था.

साल 2014 में आरोपियों ने कंपनी को बंद कर दिया. अपने नाम-पते बदल कर दूसरी जगह रहने के लिए चले गए. तब से लेकर अबतक यह पूरा मामला बांसवाड़ा में पेंडिंग चल रहा था. बांसवाड़ा एसपी कावेन्द्र सिंह सागर ने इस पूरे मामले की जांच ऐसे थाना अधिकारी को दी, जिसके यहां इस कंपनी से संबंधित कोई भी केस दर्ज ही नहीं था. इस कंपनी के खिलाफ कुशलगढ़ और कोतवाली थाने में ही केस दर्ज थे, जबकि जांच का जिम्मा सज्जनगढ़ थानाधिकारी धनपत सिंह को दिया गया.

दोनों ही डायरेक्टर नाम-पता बदलकर दूसरी जगह रहने लगे, इसलिए कभी पुलिस की पकड़ में नहीं आए. इस मामले में सज्जनगढ़ थाना पुलिस ने राहुल सक्सेना को गिरफ्तार किया. जबकि राजेंद्र सक्सेना को भी सज्जनगढ़ थाना पुलिस ने ही गिरफ्तार किया था. लेकिन उसे कोतवाली पुलिस को सौंप दिया गया.

पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अब इस पूरे मामले में रेंज आईजी आदेश देंगे. इसके बाद भोपाल में सीज गई की गई प्रॉपर्टी को कुर्क करने का काम किया जाएगा. एक वरिष्ठ अधिकारियों का दल तमाम दस्तावेज के साथ शुक्रवार को उदयपुर में आईजी से मुलाकात करेगा और तमाम तथ्यों की जानकारी देगा. इसके बाद भोपाल जाएंगे. वहां कलेक्टर और दूसरे अधिकारियों को सभी जानकारी दी जाएगी. इसके बाद संपत्ति के कुर्क या बेचान की कार्रवाई होगी. इससे जो पैसा मिलेगा, वह कोर्ट में जमा होगा. जब भी बांसवाड़ा में दर्ज मुकदमों का फैसला होगा और पीड़ित के पक्ष में फैसला आएगा तो उन्हें निवेश की गई धन राशि लौटाई जाएगी.

Last Updated : Jul 22, 2021, 10:40 PM IST
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