बांसवाड़ा. 'जिंदगी जिंदादिली का नाम, मुर्दे भी क्या खाक जिया करते हैं', अर्थात चाहे कितनी ही विकट परिस्थितियां हो उससे डटकर मुकाबला करना ही जीवन है. इसे चरितार्थ कर दिखाया है बांसवाड़ा के 72 साल के एक डॉक्टर ने जो खुद पिछले 1 सप्ताह से महात्मा गांधी चिकित्सालय की कोरोना वार्ड में इलाजरत हैं. उनका एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वह एक गीत गुनगुनाते दिख रहे हैं. उनका यह अंदाज लोगों को खूब रास आ रहा है.
डॉ. मधुसूदन दवे की जिंदादिली को लेकर एक वीडियो सामने आया है. जिसमें वे एक गीत को सूर देते दिखाई दे रहे हैं. जबकि कोरोना का नाम आते ही अच्छे-अच्छे लोगों के पैरों तले से जमीन खिसक जाती है, लेकिन डॉक्टर दवे अपनी ही मस्ती में खोए दिखाई दे रहे हैं. यह वीडियो काफी तेजी से वायरल हो रहा है और इसे खूब दाद भी मिल रही है. डॉ. दवे महात्मा गांधी चिकित्सालय में लंबे समय तक काम करने के बाद रिटायर हो गए और घर पर ही छोटी बड़ी प्रैक्टिस करते हैं. मजे की बात यह है कि डॉ. दवे का मंगलवार को जन्मदिन भी है.
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महात्मा गांधी चिकित्सालय के डॉ. अश्विन पाटीदार के अनुसार डॉ. दवे अपने बेड पर इसी प्रकार आनंदित करने वाले पुराने गानों को गुनगुनाते रहते हैं. इससे वार्ड में भर्ती अन्य मरीजों को न केवल आनंद की अनुभूति होती है, बल्कि उन्हें संकट से मुकाबला करने की सीख भी मिलती है.
संक्रमित के संपर्क में आ गए थे दवे...
डॉ. दवे किस प्रकार संक्रमित हुए थे. हालांकि, इसकी ज्यादा जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन पता चला है कि 1 अगस्त को उनका पुत्र उदयपुर से बांसवाड़ा आया था और 6 अगस्त को लौट गया था. उदयपुर में भी कोरोना तेजी से फैल रहा है. इसके अलावा गोविंद गुरू जनजाति विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आईवी त्रिवेदी के परिजनों के संपर्क में आने की बात भी सामने आ रही है.