बांसवाड़ा. राष्ट्रीय लोक अदालत में आए दिन तलाक के मामले सामने आते हैं. कई जोड़े तलाक लेकर अपने रास्ते अलग-अलग कर लेते हैं तो कई समझाइश के बाद एक हो जाते हैं. लेकिन, दूसरी तरह के मामले कम ही देखने को मिलते हैं. लेकिन जिले की लोक अदालत में एक नहीं बल्कि ऐसे 4 अनूठे मामले आए हैं, जिनमें पति-पत्नी ने पुराने मसले भुलाकर फिर एक साथ रहने का फैसला किया है.
जिले में राष्ट्रीय लोक अदालत 4 परिवारों के लिए खुशियां लेकर आई. 4 प्रकरणों में दोनों पक्षों के बीच अदालत की समझाइश काम कर गई और समझौता करते हुए वापस एक होकर घरों को लौट गए.
इसमें एक मामला तो ऐसा भी है, जिसमें पति-पत्नी द्वारा परस्पर सहमति से कोर्ट में तलाक की अर्जी लगाई गई थी. अदालत की समझाइश पर आखिरकार बच्चों के भविष्य को देखते हुए दोनों ने अपनी अर्जी वापस ले ली और फिर से साथ रहने का निर्णय करके बच्चों के साथ घर रवाना हुए.
पारिवारिक न्यायालय लंबे समय से कर रहा था कोशिश
बता दें, कि लंबे समय से पारिवारिक न्यायालय इन मामलों में मॉटिवेट कर रहा था. उसका अच्छा नतीजा शनिवार को राष्ट्रीय लोक अदालत के दौरान सामने आया, जब भरण पोषण और तलाक के 4 मामलों में दोनों ही पक्षकार अपनी अर्जियां वापस लेकर एक होने पर सहमत हो गए. इससे बच्चों को भी अपने माता-पिता और खोया हुआ बचपन मिल गया.
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छोटा सा विवाद और मामला कोर्ट तक
इन 4 केसों में से एक केस सैफुद्दीन और सबीना का है, जिनका निकाह 2016 में हुआ था और दोनों की एक बेटी भी है. लेकिन, शादी के 1 साल बाद ही किसी विवाद के चलते दोनों अलग हो गए. इस मामले में सबीना ने कोर्ट में भरण-पोषण का वाद लगा रखा था.
20 साल की शादी के बाद पहुंचे कोर्ट, मामला सुलझा
आयशा और पप्पन का निकाह 20 साल पहले हुआ था. दोनों के बीच 8-10 महीने किसी बात पर विवाद हो गया और मामला कोर्ट तक पहुंच गया. इन दोनों ही मामलों में कोर्ट की समझाइश काम कर गई. दंपति फिर से साथ रहने की समझाइश पर सहमत हुए और बच्चों के साथ हंसी-खुशी अपने घर के लिए रवाना हुए.
बच्चों को मिल गए माता-पिता
इस मामलों में सबसे हटकर माया बनाम चेतन का मामला रहा, जिसमें दोनों ही पति-पत्नी दो बच्चों के जन्म के बाद 2017 में किसी विवाद को लेकर अलग हो गए थे. माया बांसवाड़ा में अपने माता-पिता के साथ रह रही थी तो चेतन अहमदाबाद में रह रहे थे. चेतन अपने 9 और 5 साल के बच्चों पर हक जताते हुए उन्हें अपने साथ ले गया. इस मामले में दोनों ही पक्षों ने तलाक की अर्जी दी थी.
ऐसे प्रकरणों में न्यायालय 6 महीने में अपना फैसला दे सकता है, लेकिन पारिवारिक न्यायालय ने बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए पति-पत्नी को समझाया. कोर्ट की समझाइश माया और चेतन को एक करने में कारगर रही. आज दोनों ने अपने बच्चों के भविष्य के खातिर तलाक की अर्जी वापस लेते हुए साथ रहने का संकल्प लिया और कोर्ट से एक साथ अपने बच्चों को लेकर घर रवाना हुए.
लंबे समय से दूर रहे, हो गए एक
समझाइश की कड़ी में हिना वर्सेस हर्ष का मामला भी आखिरकार राजीनामे के आधार पर सुलझ गया. हालांकि दोनों ही पक्ष लंबे समय से अलग-अलग रह रहे हैं. हिना द्वारा भरण-पोषण का मामला कोर्ट में चल रहा था. हर्ष और हिना एक साथ कोर्ट पहुंचे, जहां से हिना ने अपनी अर्जी वापस ले ली.
पारिवारिक न्यायालय के पीठासीन अधिकारी राजावत ने बताया, कि इन चारों ही मामलों में कोर्ट की ओर से लंबे समय से समझाइस जा रही थी, जिसका अच्छा परिणाम मिला. चारों परिवार एक साथ फिर से साथ रहने के लिए राजी हुए हैं.
पारिवारिक न्यायालय के पीठासीन अधिकारी धीरेंद्र सिंह राजावत और बेंच के सदस्य उमेश दोषी, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव देवेंद्र सिंह भाटी, अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश कुलदीप सूत्रकार, अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कुसुम सूत्रकार, बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अजीत सिंह, अधिवक्ता विकास जैन भी मौजूद रहे.