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राजस्थान में भीषण गर्मी के साथ बढ़ी मीठे पानी की डिमांड...जलदाय विभाग के इंतजाम नाकाफी - बढ़ी पानी टैंकर की डिमांड

अलवर जिले में गर्मी के मौसम में हर दिन 80 से 90 एमएलडी पानी की डिमांड रहती है. लेकिन जलदाय विभाग यहां केवल 40 से 43 एमएलडी पानी ही सप्लाई करता है. शहर की कृषि कॉलोनियों और पुराने मोहल्लों में पीने के पानी का कोई इंतजाम नहीं है. कृषि कॉलोनी सिंगल फेस बोरिंग के भरोसे चल रही है. अब ऐसे में गर्मी बढ़ने के साथ ही पानी की डिमांड भी बढ़ने लगती है.

Water tanker, पानी टैंकर
लॉकडाउन 4.0 में मिली छूट के बाद फिर बढ़ी पानी डिमांड
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Published : May 24, 2020, 8:09 PM IST

अलवर. जिला शहर के अलावा तिजारा, भिवाड़ी, नीमराणा, खैरथल, किशनगढ़, थानागाजी, राजगढ़ सहित सभी विधानसभा और कस्बों में जलदाय विभाग की तरफ से पानी सप्लाई के लिए टैंकर चलाए जाते हैं. लेकिन अब मई महीने अंत में गर्मी बढ़ने के साथ ही पानी की डिमांड भी बढ़ने लगी है. अलवर शहर में 500 टैंकर संचालित होते हैं. एक टैंकर 24 घंटे में कम से कम 10 चक्कर लगाता है. एक टैंकर की क्षमता 4 से 5 हजार लीटर पानी लेने की है. इस हिसाब से अलवर के 500 टैंकर 20 एमएलडी पानी प्रतिदिन अलवर में सप्लाई करते हैं.

लॉकडाउन 4.0 में मिली छूट के बाद फिर बढ़ी पानी डिमांड
इसके अलावा जलदाय विभाग की तरफ से भी टैंकरों से पानी सप्लाई की जाती है. हलांकि, लॉकडाउन के दौरान पानी की डिमांड कम हो गई थी. टैंकर सप्लाई करने वाले लोगों के मुताबिक, लॉकडाउन में सब कुछ बंद था. किराए पर रहने वाले लोग अपने गांव और घर लौट चुके थे. होटल रेस्टोरेंट सभी बंद हैं. इसलिए पानी की डिमांड कम हो गई थी. लॉकडाउन में छूट मिलते ही लोगों की आवाजाही बढ़ी है. ऐसे में पानी के डिमांड भी बढ़ने लगी है. ऐसे में साफ है कि अलवर के लोग टैंकरों के भरोसे पानी पी रहे हैं.क्या है टैंकर के रेट?आमतौर पर एक टैंकर पानी के लिए 250 से 300 रुपए चुकाने होते हैं. लेकिन गर्मी बढ़ने के साथ ही टैंकर के रेट भी बढ़ने लगते हैं. कुछ लोग 400 तो कुछ लोग 500 और कुछ 600 रुपए तक एक टैंकर पानी के पैसे लेते हैं.

जलदाय विभाग के इंतजाम:
गर्मी के मौसम में जलदाय विभाग की तरफ से 50 लाख से एक करोड़ रुपए के टैंकर से पानी सप्लाई किया जाता है. इसके लिए जलदाय विभाग को अनुमति मिलती है, तो वहीं जिला कलेक्टर द्वारा टैंकर की रेट निर्धारित की जाती है. उसके हिसाब से शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में जरूरत के हिसाब से जलदाय विभाग टैंकर सप्लाई करता है.

लॉकडाउन में कम हुई पानी की डिमांड:
टैंकर से पानी सप्लाई करने का काम करने वाले लोगों ने के मुताबिक, लॉकडाउन में पानी की डिमांड कम हो गई थी. क्योंकि, लोगों को जरूरत के हिसाब से पानी मिलता है. असल में पानी की आवश्यकता किराए पर रहने वाले किरायेदारों, होटल, रेस्टोरेंट और कमर्शियल भवनों में होती है ज्यादा. लॉकडाउन के दौरान यह सब बंद है और इसलिए पानी की डिमांड भी कम हो गई थी.

अलवर. जिला शहर के अलावा तिजारा, भिवाड़ी, नीमराणा, खैरथल, किशनगढ़, थानागाजी, राजगढ़ सहित सभी विधानसभा और कस्बों में जलदाय विभाग की तरफ से पानी सप्लाई के लिए टैंकर चलाए जाते हैं. लेकिन अब मई महीने अंत में गर्मी बढ़ने के साथ ही पानी की डिमांड भी बढ़ने लगी है. अलवर शहर में 500 टैंकर संचालित होते हैं. एक टैंकर 24 घंटे में कम से कम 10 चक्कर लगाता है. एक टैंकर की क्षमता 4 से 5 हजार लीटर पानी लेने की है. इस हिसाब से अलवर के 500 टैंकर 20 एमएलडी पानी प्रतिदिन अलवर में सप्लाई करते हैं.

लॉकडाउन 4.0 में मिली छूट के बाद फिर बढ़ी पानी डिमांड
इसके अलावा जलदाय विभाग की तरफ से भी टैंकरों से पानी सप्लाई की जाती है. हलांकि, लॉकडाउन के दौरान पानी की डिमांड कम हो गई थी. टैंकर सप्लाई करने वाले लोगों के मुताबिक, लॉकडाउन में सब कुछ बंद था. किराए पर रहने वाले लोग अपने गांव और घर लौट चुके थे. होटल रेस्टोरेंट सभी बंद हैं. इसलिए पानी की डिमांड कम हो गई थी. लॉकडाउन में छूट मिलते ही लोगों की आवाजाही बढ़ी है. ऐसे में पानी के डिमांड भी बढ़ने लगी है. ऐसे में साफ है कि अलवर के लोग टैंकरों के भरोसे पानी पी रहे हैं.क्या है टैंकर के रेट?आमतौर पर एक टैंकर पानी के लिए 250 से 300 रुपए चुकाने होते हैं. लेकिन गर्मी बढ़ने के साथ ही टैंकर के रेट भी बढ़ने लगते हैं. कुछ लोग 400 तो कुछ लोग 500 और कुछ 600 रुपए तक एक टैंकर पानी के पैसे लेते हैं.

जलदाय विभाग के इंतजाम:
गर्मी के मौसम में जलदाय विभाग की तरफ से 50 लाख से एक करोड़ रुपए के टैंकर से पानी सप्लाई किया जाता है. इसके लिए जलदाय विभाग को अनुमति मिलती है, तो वहीं जिला कलेक्टर द्वारा टैंकर की रेट निर्धारित की जाती है. उसके हिसाब से शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में जरूरत के हिसाब से जलदाय विभाग टैंकर सप्लाई करता है.

लॉकडाउन में कम हुई पानी की डिमांड:
टैंकर से पानी सप्लाई करने का काम करने वाले लोगों ने के मुताबिक, लॉकडाउन में पानी की डिमांड कम हो गई थी. क्योंकि, लोगों को जरूरत के हिसाब से पानी मिलता है. असल में पानी की आवश्यकता किराए पर रहने वाले किरायेदारों, होटल, रेस्टोरेंट और कमर्शियल भवनों में होती है ज्यादा. लॉकडाउन के दौरान यह सब बंद है और इसलिए पानी की डिमांड भी कम हो गई थी.

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