अलवर. दिल्ली-जयपुर के बीच जल्द ही वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन शुरू होने वाली है. इस ट्रेन में यात्रियों को हवाई जहाज जैसी बेहतर सुविधाएं मिलेंगी. वहीं प्लेन से कम समय में यात्री अपने गंतव्य तक पहुंच सकेंगे. वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन पूरी तरह से स्वदेशी है. वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन के कोच तैयार करने का काम तेजी से चल रहा है.
दिल्ली-जयपुर रेल मार्ग पर रेलवे लाइन चेंज करने का काम चल रहा है. इसके अलावा छोटे कुमाऊं को भी समाप्त करके सीधी रेलवे लाइन डाली जा रही है. ट्रेन की स्पीड ज्यादा रहे इस पर भी रेलवे की तरफ से काम चल रहा है. वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन का सफर प्लेन से बेहतर होगा. दिल्ली से जयपुर पहुंचने में 1 घंटा 45 मिनट का समय लगेगा. जबकि हवाई जहाज से करीब 35 से 40 मिनट का समय लगता है. इसके अलावा एयरपोर्ट पर चेक इन करने में करीब 1 घंटे का, तो फ्लाइट लैंड होने के बाद चेक आउट करने और सामान लेकर एयरपोर्ट से बाहर आने में 1 घंटे से ज्यादा का समय लगता है. ऐसे में साफ है कि वंदे भारत एक्सप्रेस का टाइम बेहतर आरामदायक रहेगा.
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वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन का गुड़गांव, रेवाड़ी और अलवर स्टेशनों पर ठहराव होगा. रेलवे के अनुसार चेयर कार का किराया 890-950 रुपए तक रह सकता है. इसी तरह से एग्जीक्यूटिव क्लास में चेयर कार का किराया 1600-1700 रुपए तक रह सकता है. हालांकि रेलवे की तरफ से अभी तक आधिकारिक रूप से कोई जानकारी नहीं दी गई है. इस मार्ग पर यात्रा करने वाले यात्रियों को बेहतर खानपान सेवाओं के साथ Wi-Fi, एयर कंडीशनिंग, CCTV कैमरे, automated door closing systems, अटेंडर और बेहतर भोजन जैसी सुविधाएं मिलेंगी. मेट्रो की तरह वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन में नेक्स्ट स्टेशन की जानकारी के लिए अनाउंसमेंट सिस्टम भी होगा.
पूरी तरह से है स्वदेशी: वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन पूरी तरह से स्वदेशी है. ट्रेन का इंजन व कोच भारत में ही तैयार किया गया है. साथ ही ट्रेन के डिब्बे हल्के एल्युमीनियम से तैयार किए जा रहे हैं. कपूरथला कोच फैक्ट्री में डिब्बों को तैयार करने का काम चल रहा है. रेलवे के अधिकारियों की मानें तो आगामी सालों में शताब्दी व राजधानी ट्रेनों को बंद करके रेलवे की वंदे भारत ट्रेन चलाने की योजना है.
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दो साल में 200 ट्रेनों का लक्ष्य: रेलवे मंत्रालय के अनुसार वंदे भारत ट्रेनों का काम तेजी से चल रहा है. लक्ष्य को पूरा करने के लिए ट्रेन के कुछ पार्ट्स का ठेका विभिन्न कंपनियों को दिया गया है. कोच की सीट और अंदर की दीवार बनाने का काम कई कंपनियों को दिया गया है. इनमें से एक कंपनी टाटा स्टील है. अगले दो साल में 200 वंदे भारत ट्रेनों का प्रोडक्शन करने का लक्ष्य रखा गया है.