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सरिस्का में बढ़ रही बाघों की हलचल, टेरिटरी तैयार करने में जुटा प्रशासन

सरिस्का में नए लाए गए बाघ राजगढ़ क्षेत्र से बाहर टेरेटरी बनाने में जुटे हैं. जिससे सरिस्का प्रशासन की परेशानी बढ़ गई है. जिसके बाद प्रशासन ने बाघों की मॉनिटरिंग की व्यवस्था बढ़ाने का फैसला लिया है

अलवर न्यूज, राजस्थान न्यूज, tigers in Sariska, alwar news
सरिस्का में बढ़ी बाघों की हलचल
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Published : Feb 11, 2020, 12:53 PM IST

अलवर. सरिस्का में बाघों की हलचल एक बार फिर से बढ़ने लगी है. रैणी और राजगढ़ एरिया में बाघ के पग मार्क मिले हैं. इससे सरिस्का प्रशासन की परेशानी बढ़ी है. ऐसे में सरिस्का प्रशासन ने बाघों की मॉनिटरिंग के लिए सीसीटीवी बढ़ाने और अन्य इंतजाम करने की भी व्यवस्था की है.

सरिस्का में बढ़ी बाघों की हलचल

बता दें कि लंबे समय बाद राजगढ़ क्षेत्र स्थित सीमा पर रैणी के छिंद और भूलेरी के जंगल में बाघ के पहुंचने की संभावना जताई गई है. ये बाघ रतनपुरा गांव गोट के जंगल तक पहुंच गए हैं. राजगढ़ के जंगल में पहुंचा बाघ ST18 बताया जा रहा है. इससे पहले यह बाघ मालाखेड़ा क्षेत्र के परसा का बास गांव के आसपास आबादी क्षेत्र में पहुंच चुका है. सरिस्का में पिछले दिनों बाघिन ST14 के दो शावक और बाघिन ST12 की तीन शावकों का नामकरण किया गया है.

सरिस्का को पांच नए बाघ-बाघिन मिले हैं, जिसके बाद अब सरिस्का प्रशासन इनकी टेरिटरी तैयार करने में जुट चुका है. नए बाघ सरिस्का की सीमा से बाहर राजगढ़ क्षेत्र को अपनी टेरिटरी के रूप में देख रहे हैं. यही कारण है कि बाघ ST18 राजगढ़ क्षेत्र के जंगल तक पहुंच गया है..

यह भी पढ़ें. चीन से अपने घर अलवर लौटे दो MBBS छात्र, एक की हो सकी कोरोना वायरस की जांच

यह जंगल अलवर जिले की सीमा पर है. इससे करीब दो किलोमीटर की दूरी पर कुंडला का जंगल है. कुर्ला के जंगल में पहले बाघ ST13 रह चुका है. बाघों की बढ़ रही हलचल से सरिस्का प्रशासन ने उनकी मॉनिटरिंग की व्यवस्था बढ़ाने का फैसला लिया है. सरिस्का प्रशासन ने राजगढ़ वन क्षेत्र में घूम रहे बाघों की पहचान के लिए वहां कैमरे की संख्या बढ़ाने का फैसला किया है. सरिस्का प्रशासन की मानें तो रतनपुरा गोट छिंद गुलेरी में 11 कैमरे लगाए गए हैं.

यह भी पढ़ें. अलवर : सड़क दुर्घटना में बाइक सवार की मौत, पुलिस की गाड़ी से शव पहुंचाया अस्पताल

आगामी दिनों में राजगढ़ और आसपास के क्षेत्र के जंगलों में जगह चिन्हित करके कैमरे लगाने और अन्य व्यवस्था करने का काम भी किया जाएगा. सरिस्का के अधिकारियों ने बताया कि राजगढ़ क्षेत्र बाघों को पहले से खासा पसंद आता रहा है. इसलिए यहां पर बाघ भ्रमण करते हैं और अपनी टेरिटरी बनाते हैं. सरिस्का प्रशासन की माने तो आने वाले दिनों में पर्यटकों को बाघों के दीदार होंगे.

अलवर. सरिस्का में बाघों की हलचल एक बार फिर से बढ़ने लगी है. रैणी और राजगढ़ एरिया में बाघ के पग मार्क मिले हैं. इससे सरिस्का प्रशासन की परेशानी बढ़ी है. ऐसे में सरिस्का प्रशासन ने बाघों की मॉनिटरिंग के लिए सीसीटीवी बढ़ाने और अन्य इंतजाम करने की भी व्यवस्था की है.

सरिस्का में बढ़ी बाघों की हलचल

बता दें कि लंबे समय बाद राजगढ़ क्षेत्र स्थित सीमा पर रैणी के छिंद और भूलेरी के जंगल में बाघ के पहुंचने की संभावना जताई गई है. ये बाघ रतनपुरा गांव गोट के जंगल तक पहुंच गए हैं. राजगढ़ के जंगल में पहुंचा बाघ ST18 बताया जा रहा है. इससे पहले यह बाघ मालाखेड़ा क्षेत्र के परसा का बास गांव के आसपास आबादी क्षेत्र में पहुंच चुका है. सरिस्का में पिछले दिनों बाघिन ST14 के दो शावक और बाघिन ST12 की तीन शावकों का नामकरण किया गया है.

सरिस्का को पांच नए बाघ-बाघिन मिले हैं, जिसके बाद अब सरिस्का प्रशासन इनकी टेरिटरी तैयार करने में जुट चुका है. नए बाघ सरिस्का की सीमा से बाहर राजगढ़ क्षेत्र को अपनी टेरिटरी के रूप में देख रहे हैं. यही कारण है कि बाघ ST18 राजगढ़ क्षेत्र के जंगल तक पहुंच गया है..

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यह जंगल अलवर जिले की सीमा पर है. इससे करीब दो किलोमीटर की दूरी पर कुंडला का जंगल है. कुर्ला के जंगल में पहले बाघ ST13 रह चुका है. बाघों की बढ़ रही हलचल से सरिस्का प्रशासन ने उनकी मॉनिटरिंग की व्यवस्था बढ़ाने का फैसला लिया है. सरिस्का प्रशासन ने राजगढ़ वन क्षेत्र में घूम रहे बाघों की पहचान के लिए वहां कैमरे की संख्या बढ़ाने का फैसला किया है. सरिस्का प्रशासन की मानें तो रतनपुरा गोट छिंद गुलेरी में 11 कैमरे लगाए गए हैं.

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आगामी दिनों में राजगढ़ और आसपास के क्षेत्र के जंगलों में जगह चिन्हित करके कैमरे लगाने और अन्य व्यवस्था करने का काम भी किया जाएगा. सरिस्का के अधिकारियों ने बताया कि राजगढ़ क्षेत्र बाघों को पहले से खासा पसंद आता रहा है. इसलिए यहां पर बाघ भ्रमण करते हैं और अपनी टेरिटरी बनाते हैं. सरिस्का प्रशासन की माने तो आने वाले दिनों में पर्यटकों को बाघों के दीदार होंगे.

Intro: अलवर
अलवर के सरिस्का में बाघों की हलचल एक बार फिर से बढ़ने लगी है। रैणी व राजगढ़ एरिया में बाघ के पग मार्क मिले हैं। इससे सरिस्का प्रशासन की परेशानी बढ़ी है ऐसे में शिरीष का प्रशासन ने बाघों की मॉनिटरिंग के लिए सीसीटीवी कैमरों के बढ़ाने व अन्य इंतजाम करने की भी व्यवस्था की है।


Body:लंबे समय बाद अलवर के राजगढ़ क्षेत्र स्थित सीमा पर रैणी के छिंद व भूलेरी के जंगल में बाघ के पहुंचने की संभावना जताई गई है। यह बाघ रतनपुरा गांव से आ गए गोट के जंगल तक पहुंच गया। राजगढ़ के जंगल में पहुंचा बाघ st18 बताया जा रहा है। इससे पूर्व यह बाघ मालाखेड़ा क्षेत्र के परसा का बास गांव के आसपास आबादी क्षेत्र में पहुंच चुका है। सरिस्का में पिछले दिनों बाघिन st14 के दो शावक व बागी st12 की तीन शावकों का नामकरण किया गया है। सरिस्का को मिले पांच नए बाघ बाघिन के चलते अब इनकी टेरिटरी तैयार करने में सरिस्का प्रशासन जुड़ चुका है। नए बाघ सरिस्का की सीमा से बाहर राजगढ़ क्षेत्र को अपनी टेरिटरी के रूप में देख रहे हैं। यही कारण है कि बाघ st18 राजगढ़ क्षेत्र के कोर्ट के जंगल तक पहुंच गया। यह जंगल अलवर जिले की सीमा पर है और इससे करीब दो किलोमीटर की दूरी पर कुंडला का जंगल है। कुर्ला के जंगल में पहले बाघ एसटी 13 रह चुका है। बाघों की बढ़ रही हलचल से सरिस्का प्रशासन ने उनकी मॉनिटरिंग की व्यवस्था बढ़ाने की का फैसला लिया है। सरिस्का प्रशासन ने राजगढ़ वन क्षेत्र में घूम रहे बाघों की पहचान के लिए वहां कैमरे की संख्या बढ़ाने का फैसला लिया है। सरिस्का प्रशासन की मानें तो रतनपुरा गोट छिंद गुलेरी से 11 कैमरे लगाए गए हैं।


Conclusion:आगामी दिनों में राजगढ़ व आसपास के क्षेत्र के जंगलों में जगह चिन्हित करके कैमरे लगाने व अन्य व्यवस्था करने का काम भी किया जाएगा। सरिस्का के अधिकारियों ने कहा कि राजगढ़ क्षेत्र बाघों को पहले से खासा पसंद आता रहा है। इसलिए यहां पर बाघ भ्रमण करते हैं व अपनी टेरिटरी बनाते हैं। सरिस्का प्रशासन की माने तो आने वाले दिनों में बाघों का खतरा बढ़ेगा व पर्यटकों को बाघो के दीदार होंगे।
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