अलवर. जिले के सरिस्का क्षेत्र में बसे गांव में अब लकड़ी से भट्ठी नहीं जलाई जाएगी, क्योंकि सरिस्का प्रशासन ने गांव में जलने वाली भट्ठियों पर रोक लगा दी है. दरअसल गांव में सैकड़ों भठ्ठियां जलाई जा रही थी, जिनमें जंगल के लकड़ियों का उपयोग किया जाता था. जिसको देखते हुए सरिस्का प्रशासन ने यह कदम उठाया है.
बता दें कि, सरिस्का के जंगल क्षेत्र में 29 गांव बसे हुए हैं. इनमें से अभी तक केवल तीन गांव पूरी तरह से विस्थापित हुए हैं, जबकि अन्य गांव अब भी बसे हुए हैं. इन गांवों में हजारों लोग रहते हैं और अपने जीवन-यापन के लिए गाय और भैंस को पालते हैं. जिसका दूध बेचते हैं और दूध से मावा बनाकर बाजार में भेजते हैं. इससे गांव के लोगों का खर्च चलता है, लेकिन दूध से मावा बनाने का काम भट्ठियों पर होता है. जिसके उपयोग में ये लकड़ियां आती हैं.
ऐसे में सरिस्का प्रशासन की तरफ से इस पर पाबंदी लगा दी गई है. साथ ही गांव में बनी भठ्ठियों को नष्ट कराया गया है और भठ्ठियों पर रोक लगा दी गई है. सरिस्का अधिकारियों ने कहा कि गांव में गाय और भैंसों की संख्या ज्यादा है. लोग जीवन यापन के लिए पशुओं को पालते हैं और उनका दूध बाजार में बेचते हैं लेकिन कुछ साल से दूध से मावा बनाने का काम भी धड़ल्ले से होने लगा है.
ऐसे में गांव के लोग जंगल की लकड़ी काटकर उसको काम में लेते हैं. इसलिए सरिस्का प्रशासन की तरफ से मावा बनाने पर रोक लगा दी गई है. सरिस्का के सीसीएफ ने कहा है कि मावा बनाने का काम बंद करा दिया गया है, जो लोग यह काम करेंगे उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. इसके साथ ही सरिस्का प्रशासन के इस फैसले से पेड़ों की कटाई पर रोक लगेगी.