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झलकारी बाई जयंती: पति हो गए थे शहीद, उसके बाद भी झांसी के लिए लड़ती रहीं थीं झलकारी बाई - प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को किया सम्मानित

देश ने जहां कई नामी गिरामी योद्धा दिए हैं, वहीं ये धरती वीरांगनाओं से भी खाली नहीं रही है. जब भी भारतीय वीरांगनाओं के बारे में कोई चर्चा की जाती है, तो उसमें झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का नाम सबसे पहले आता है. उन्हें भारत की सबसे बड़ी वीरांगना कहा जाता है. लक्ष्मीबाई ही वो महिला थीं, जिन्होंने अंग्रेजों का डटकर मुकाबला किया था. बहुत ही कम लोग हैं, जो ये जानते हो कि रानी लक्ष्मीबाई के अलावा देश में एक और भी वीरांगना रहीं हैं, जिनका नाम झलकारी बाई था. झलकारी बाई का नाम रानी लक्ष्मीबाई से भी पहले आता है. इस वीरांगना को भारत की दूसरी लक्ष्मीबाई भी कहा जाता है.

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Published : Nov 23, 2019, 1:39 PM IST

राजगढ़ (अलवर). राजगढ़ के कोली समाज की ओर से शुक्रवार को कस्बे के स्टेशन मार्ग स्थित कीर्ति नगर में वीरांगना झलकारी बाई कोली की जयंती मनाई गई. साथ ही प्रतिभावान छात्र-छात्राओं का सम्मान समारोह भी आयोजित किया गया. समारोह के मुख्य अतिथि नरसीराम जिरावली रहे.

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नरसीराम जिरावली ने कहा कि हमारे समाज का उद्देश्य एक ही है कि सभी को शिक्षा प्राप्त होनी चाहिए. शिक्षा हमारी होगी तो हम अपने आप आगे बढ़ने को ललायित हो जाएगे. उन्होंने कहा कि आज के युग में यदि आदमी अपनी उन्नति चाहता है तो शिक्षा को अपनाएं. उन्होंने कहा कि प्रत्येक परिवार को यह निर्णय लेना होगा कि उनके बच्चे शिक्षित हो तथा उच्च शिक्षा प्राप्त करे.

झलकारी बाई जयंती पर निकाली गई झांकियां

कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि कोली समाज अलवर के जिलाध्यक्ष रमेश चंद कोली, व्याख्याता रामनारायण पावटा, व्याख्याता गजेन्द्र कुमार महावर, फूलचंद ठेकेदार, शिक्षक पूरणलाल करौली ने भी अपने विचार रखे.कार्यक्रम की अध्यक्षता राजगढ़ कोली समाज के अध्यक्ष एवं पार्षद प्रभातीलाल कोली ने की.

समारोह में अतिथियों ने दसवीं और बारहवीं में 60 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को स्मृति चिन्ह, प्रशंसा-पत्र देकर सम्मानित किया. कार्यक्रम का उद्घाटन अतिथियों ने वीरांगना झलकारी बाई के छायाचित्र के समक्ष द्वीप प्रज्वलित करके किया. इससे पूर्व कस्बे के गणेश पोल मंदिर से बैण्ड-बाजों के साथ वीरांगना झलकारी बाई कोली के जयंती महोत्सव के अवसर पर झलकारी बाई और राजाराम कोल ऋषि की आकर्षक शोभायात्रा निकाली गई.

पति हो गए शहीद तब भी लड़ने को दी प्राथमिकता

इतिहासकारों के मुताबिक 23 मार्च 1858 को जनरल रोज ने अपनी विशाल सेना के साथ झांसी पर आक्रमण कर दिया था. ये साल 1857 के विद्रोह का दौर था. रानी लक्ष्मीबाई ने वीरतापूर्वक अपने 5000 सैनिकों के दल के साथ उस विशाल सेना का सामना किया. जल्द ही अंग्रेज सेना झांसी में घुस गयी और लक्ष्मीबाई, झांसी को बचाने के लिए उनका डटकर सामना कर रहीं थीं. इस दौरान झलकारीबाई ने रानी लक्ष्मीबाई के प्राणों को बचाने के लिये खुद को रानी बताते हुए लड़ने का फैसला किया. खास बात ये है कि इसी युद्ध में उनके पति शहीद हो चुके थे. बावजूद उन्होंने पति का शोक मनाने की जगह राज्य और अपनी रानी के लिए लड़ने को प्राथमिकता दी थी.

यह भी पढ़ें : भाजपा की गुगलीः फडणवीस बने सीएम, अजित पवार डिप्टी सीएम

बता दें कि शोभायात्रा का जगह-जगह पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया. इस मौके पर राधाकृष्ण राजोरिया, पंचायत समिति सदस्य छोटेलाल कोली, कुंजबिहारी कोली, बाबूलाल, रघुनाथ, पूरणमल, पूर्व पार्षद रामजीलाल कोली, रामजीलाल सेठ, भरतलाल टेलर, राधाकिशन, छोटेलाल कटारिया, नथ्थूराम कटारिया, राजेश कुमार, हीरालाल, घासीराम कोतवाल सहित बड़ी संख्या में महिला-पुरुष मौजूद रहे.

राजगढ़ (अलवर). राजगढ़ के कोली समाज की ओर से शुक्रवार को कस्बे के स्टेशन मार्ग स्थित कीर्ति नगर में वीरांगना झलकारी बाई कोली की जयंती मनाई गई. साथ ही प्रतिभावान छात्र-छात्राओं का सम्मान समारोह भी आयोजित किया गया. समारोह के मुख्य अतिथि नरसीराम जिरावली रहे.

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नरसीराम जिरावली ने कहा कि हमारे समाज का उद्देश्य एक ही है कि सभी को शिक्षा प्राप्त होनी चाहिए. शिक्षा हमारी होगी तो हम अपने आप आगे बढ़ने को ललायित हो जाएगे. उन्होंने कहा कि आज के युग में यदि आदमी अपनी उन्नति चाहता है तो शिक्षा को अपनाएं. उन्होंने कहा कि प्रत्येक परिवार को यह निर्णय लेना होगा कि उनके बच्चे शिक्षित हो तथा उच्च शिक्षा प्राप्त करे.

झलकारी बाई जयंती पर निकाली गई झांकियां

कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि कोली समाज अलवर के जिलाध्यक्ष रमेश चंद कोली, व्याख्याता रामनारायण पावटा, व्याख्याता गजेन्द्र कुमार महावर, फूलचंद ठेकेदार, शिक्षक पूरणलाल करौली ने भी अपने विचार रखे.कार्यक्रम की अध्यक्षता राजगढ़ कोली समाज के अध्यक्ष एवं पार्षद प्रभातीलाल कोली ने की.

समारोह में अतिथियों ने दसवीं और बारहवीं में 60 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को स्मृति चिन्ह, प्रशंसा-पत्र देकर सम्मानित किया. कार्यक्रम का उद्घाटन अतिथियों ने वीरांगना झलकारी बाई के छायाचित्र के समक्ष द्वीप प्रज्वलित करके किया. इससे पूर्व कस्बे के गणेश पोल मंदिर से बैण्ड-बाजों के साथ वीरांगना झलकारी बाई कोली के जयंती महोत्सव के अवसर पर झलकारी बाई और राजाराम कोल ऋषि की आकर्षक शोभायात्रा निकाली गई.

पति हो गए शहीद तब भी लड़ने को दी प्राथमिकता

इतिहासकारों के मुताबिक 23 मार्च 1858 को जनरल रोज ने अपनी विशाल सेना के साथ झांसी पर आक्रमण कर दिया था. ये साल 1857 के विद्रोह का दौर था. रानी लक्ष्मीबाई ने वीरतापूर्वक अपने 5000 सैनिकों के दल के साथ उस विशाल सेना का सामना किया. जल्द ही अंग्रेज सेना झांसी में घुस गयी और लक्ष्मीबाई, झांसी को बचाने के लिए उनका डटकर सामना कर रहीं थीं. इस दौरान झलकारीबाई ने रानी लक्ष्मीबाई के प्राणों को बचाने के लिये खुद को रानी बताते हुए लड़ने का फैसला किया. खास बात ये है कि इसी युद्ध में उनके पति शहीद हो चुके थे. बावजूद उन्होंने पति का शोक मनाने की जगह राज्य और अपनी रानी के लिए लड़ने को प्राथमिकता दी थी.

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बता दें कि शोभायात्रा का जगह-जगह पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया. इस मौके पर राधाकृष्ण राजोरिया, पंचायत समिति सदस्य छोटेलाल कोली, कुंजबिहारी कोली, बाबूलाल, रघुनाथ, पूरणमल, पूर्व पार्षद रामजीलाल कोली, रामजीलाल सेठ, भरतलाल टेलर, राधाकिशन, छोटेलाल कटारिया, नथ्थूराम कटारिया, राजेश कुमार, हीरालाल, घासीराम कोतवाल सहित बड़ी संख्या में महिला-पुरुष मौजूद रहे.

Intro:Body:राजगढ़ (अलवर)कोली समाज राजगढ़ की ओर से शुक्रवार को कस्बे के स्टेशन मार्ग स्थित कीर्ति नगर में वीरांगना झलकारी बाई कोली का जयंती समारोह एवं प्रतिभावान छात्र-छात्राओं का सम्मान समारोह आयोजित हुआ। समारोह के मुख्य अतिथि नरसीराम जिरावली ने कहा कि हमारे समाज का उद्देश्य एक ही है शिक्षा प्राप्त होनी चाहिए। शिक्षा हमारी होगी तो हम अपने आप आगे बढऩे को ललायित हो जाएगे तथा सफलता हमारे कदम में होगी। आज के युग में यदि आदमी अपनी उन्नति चाहता है तो शिक्षा को अपनाएं। शिक्षा ही रामबाण औषधि है जिसे प्राप्त करके सभी का उद्धार हो सकता है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक परिवार को यह निर्णय लेना होगा कि उनके बच्चे शिक्षित हो तथा उच्च शिक्षा प्राप्त करे। शिक्षा सभी के लिए अनिवार्य है। छात्र-छात्राओं को लक्ष्य निर्धारित कर अध्ययन करना चाहिए। कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि कोली समाज अलवर के जिलाध्यक्ष रमेश चंद कोली, व्याख्याता रामनारायण पावटा, व्याख्याता गजेन्द्र कुमार महावर, फूलचंद ठेकेदार, शिक्षक पूरणलाल करौली ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम की अध्यक्षता राजगढ़ कोली समाज के अध्यक्ष एवं पार्षद प्रभातीलाल कोली ने की। समारोह में अतिथियों ने दसवीं व बारहवीं में 60 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को स्मृति चिन्ह, प्रशंसा -पत्र देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम का उद्घाटन अतिथियों ने वीरांगना झलकारी बाई के छायाचित्र के समक्ष द्वीप प्रज्ज्वलित करके किया। इससे पूर्व कस्बे के गणेश पोल मंदिर से बैण्ड-बाजों के साथ वीरांगना झलकारी बाई कोली के जयंती महोत्सव के अवसर पर झलकारी बाई व राजाराम कोल ऋषि की आकर्षक शोभायात्रा शुरू होकर मुख्य मार्गो से होती हुई कस्बे के रेलवे स्टेशन मार्ग स्थित कार्यक्रम स्थल कीर्ति नगर पहुंची। शोभायात्रा का जगह-जगह पुष्ववर्षा कर स्वागत किया गया। इस मौके पर राधाकृष्ण राजोरिया, पंचायत समिति सदस्य छोटेलाल कोली, कुंंजबिहारी कोली, बाबूलाल, रघुनाथ, पूरणमल, पूर्व पार्षद रामजीलाल कोली, रामजीलाल सेठ, भरतलाल टेलर, राधाकिशन, छोटेलाल कटारिया, नथ्थूराम कटारिया, राजेश कुमार, हीरालाल, घासीराम कोतवाल सहित बड़ी संख्या में महिला- पुरूष मौजूद थे।Conclusion:
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