अलवर. ट्रेनों में दिवाली से ज्यादा छठ की भीड़ है. उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड की तरफ जाने वाली सभी ट्रेनें फुल हो चुकी हैं. ट्रेनों में नो रूम के बोर्ड लग गए हैं. ऐसे में बिहार जाने वाले लोग परेशान हैं. वहीं, रेलवे की तरफ से अतिरिक्त ट्रेनों की व्यवस्था की गई है. अलवर, जयपुर, रेवाड़ी, बांदीकुई, दिल्ली सहित आसपास के सभी स्टेशनों से पूर्वांचल की तरफ जाने वाली ट्रेनों में यात्रियों को टिकट नहीं (Diwali Special Trains From Rajasthan) मिल रहा है.
दिल्ली-जयपुर, दिल्ली-अजमेर रेलवे मार्ग पर अलवर प्रमुख स्टेशन है. अलवर से देश के ज्यादातर शहरों को जोड़ने के लिए ट्रेनें चलती हैं. अलवर जंक्शन से प्रतिदिन 80 से ज्यादा ट्रेनें गुजरती हैं. इनमें 20 ट्रेनें बिहार की तरफ जाती हैं. इसी तरह से जयपुर, अजमेर, बांदीकुई, रेवाड़ी और दिल्ली से 100 से ज्यादा ट्रेनें उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड के विभिन्न शहरों के लिए संचालित होती हैं. 28 अक्टूबर से छठ पूजा शुरू है. ऐसे में छठ पूजा से 3 दिन पहले पूर्वांचल की तरफ जाने वाली सभी ट्रेनें फुल हैं.
वहीं, 31 अक्टूबर को छठ पूजा समाप्त है. ऐसे में 1 और 2 नवंबर को पूर्वांचल से दिल्ली, जयपुर, अलवर सहित विभिन्न शहरों की तरफ आने वाली ट्रेनों में यात्रियों को टिकट नहीं मिल रहा है. ऐसे में यात्री खासे परेशान हैं. ट्रेनों में यात्रियों को वेटिंग टिकट भी नहीं मिल रहा है. इस संबंध में रेलवे के अधिकारियों ने कहा कि अतिरिक्त ट्रेनों की व्यवस्था की गई है. सभी प्रमुख स्टेशनों से पूर्वांचल की तरफ विभिन्न ट्रेनें चलाई (Additional Trains for Chhath Puja) गई हैं. लेकिन यात्री भार अधिक होने के कारण सभी ट्रेनें फुल हो चुकी हैं. ऐसे में यात्रियों को अन्य वैकल्पिक रूट काम में लेने होंगे.
औद्योगिक इकाइयों में काम करते हैं हजारों श्रमिक : भिवाड़ी, नीमराना, खुश खेड़ा, अलवर के औद्योगिक (Special Trains For Chhath From Rajasthan) क्षेत्रों में हजारों की संख्या में बिहार के श्रमिक काम करते हैं. छठ के मौके पर सभी लोग पूजा के लिए घर जाते हैं. ऐसे में लोगों को आने-जाने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
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छठ पूजा में क्या होता है खास : इस साल छठ पूजा की शुरुआत 28 अक्टूबर 2022 से होगी. पहले दिन यानी 28 अक्टूबर को नहाय खाय होगा. इस व्रत में साफ-सफाई का खास ख्याल रखना होता है. इसीलिए नहाय खाय के दिन महिलाएं नहाने के बाद घर की साफ-सफाई करती हैं. नहाय खाय के दिन हर घर में चने की दाल, लौकी की सब्जी और भात प्रसाद के रूप में बनता है. इन भोजन में सेंधा नमक का ही उपयोग किया जाता है.
छठ महापर्व के दूसरे दिन को खरना कहा जाता है. इस बार खरना 29 अक्टूबर को पड़ रहा है. इस दिन व्रती महिलाएं गुड़ की खीर का प्रसाद बनाती हैं. उसे रात में ग्रहण करती हैं. इसके बाद इसे प्रसाद के रूप में बांटा जाता है. छठ पूजा के तीसरे दिन सूर्यास्त के समय डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं. व्रती महिला और पुरुष नदी, तालाब या फिर घर में ही पानी में खड़े होकर अर्घ्य देते हैं. चौथे दिन व्रती पानी में खड़े होकर उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इसके बाद छठ पूजा का समापन होता है.