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नए रूप में नजर आएगा अलवर का बाला किला, बाबर और जहांगीर ने ली थी शरण...

अलवर का बाला किला अब नए रूप और रंग में नजर (Renovation Work of Bala Fort of Alwar) आएगा. किले की मरम्मत के लिए लिए 3 करोड़ रुपए का बजट मिला है. प्लास्टर के अलावा पेंट का काम भी जोरों से जारी है. विशेष तकनीक से चूना तैयार करके इसकी दीवारों की मरम्मत की जा रही है.

अलवर का प्रसिद्ध बाला किला
अलवर का प्रसिद्ध बाला किला
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Published : Nov 8, 2022, 10:31 PM IST

अलवर. जिले का बाला किला अब नए रूप व रंग में नजर आएगा. लंबे समय के इंतजार के बाद किले का मरम्मत कार्य (Renovation Work of Bala Fort of Alwar) शुरू हुआ है. इस किले से कोई युद्ध नहीं हुआ. इसलिए किले को कुंवारा किला व बाला किला कहा जाता है. बाला किला 300 मीटर की खड़ी चट्टानों के शीर्ष पर स्थित है. किले से शहर का सुन्दर नजारा भी दिखाई देता है.

इस किले का निर्माण 1550 में हसन खान मेवाती की ओर से करवाया गया था. यह 5 किमी लंबाई और 1.5 किमी चौड़ाई में फैला हुआ है. इसमें छह ऐतिहासिक प्रवेश द्वार हैं. इनके नाम चंद पोल, सूरराज पोल (भरतपुर के पूर्व राजा सूरज मल के नाम पर), जय पोल, किशन पोल, अंधेरी पोल और लक्ष्मण पोल हैं. अलवर राज्य के संस्थापक प्रताप सिंह ने लक्ष्मण पोल के माध्यम से किले में प्रवेश किया था. लक्ष्मण पोल सड़क मार्ग पर है. यह शहर और किले को जोड़ता है. मुगल शासक बाबर और जहांगीर ने भी इस किले में शरण ली थी. इतिहासकारों की मानें तो बाबर ने किले में महज एक रात गुजारी थी. इसके अलावा जिस कमरे में मुगल शासक जहांगीर रुके थे, उसे आज भी सलीम महल के नाम से जाना जाता है.

नए रूप में नजर आएगा अलवर का बाला किला

पढे़ं. अलवर के बाला किला क्षेत्र में आम लोगों के प्रवेश पर लगी रोक, विरोध में उतरे स्थानीय लोग

किले का इतिहास : हसन खान मेवाती ने 1551 ईस्वी में अलवर किले का निर्माण किया था. इसके बाद अलवर किले पर मुगलों, मराठों और जाटों ने (History of Bala Fort of Alwar) शासन किया. अंत में 1775 में कच्छवाहा राजपूत प्रताप सिंह ने इस किले पर कब्जा कर लिया और इसके निकट अलवर शहर की नींव रखी. बाबर, मुग़ल सम्राट ने किले में एक रात बिताई थी. जबकि जहांगीर निर्वासन अवधि के दौरान तीन साल तक रहे. किले में सुंदर नक्काशियों के अलावा किले में सूरज कुंड, सलीम नगर तलाब, जल महल और निकुंभ महल पैलेस जैसी इमारते हैं. किले के परिसर में कई मंदिर भी हैं. बाला किले को कुंवारा किला भी कहा जाता है. यह किला अरावली की पहाड़ियों पर स्थित है. किले में बंदूक से गोलियां चलाने के लिए 446 छिद्र बने हुए हैं. 15 बड़े टॉवर, 51 छोटे टॉवर भी किले की सुरक्षा के लिए बनाए गए हैं.

पढ़ें. अलवर के बाला किला जाने के लिए देनी होगी ज्यादा फीस

किले का शुरू हुआ मरम्मत कार्य : बाला किला लंबे समय से क्षतिग्रस्त हो रहा था. दीवारों से चूना झड़ रहा था. इसका पेंट खराब हो चुका था, साथ ही कई जगह दीवार भी जर्जर हालत में थी. कुछ समय पहले बाला किले की मरम्मत के लिए करीब 2 करोड़ रुपए सरकार से मिले थे. लेकिन काम पूरा नहीं हो पाया. एक बार फिर से किले की मरम्मत कार्य के लिए 3 करोड़ रुपए का बजट मिला है. ऐसे में किले का मरम्मत कार्य चल रहा है. प्लास्टर के अलावा रंग पेंट का काम भी जोरों से जारी है. विशेष तकनीक से चूना तैयार करके इसकी दीवारों की मरम्मत की जा रही है.

लोगों के प्रवेश पर है रोक : बाला किले में अंदर की तरफ दीवारों पर सोने-चांदी की नक्काशी है. इसके अलावा किले में सैकड़ों की संख्या में तोप गोला बारूद भरा हुआ है. खजाने के भी भंडार हैं. इसलिए किले पर आम लोगों के प्रवेश पर रोक लगी हुई है. किले से पूरे शहर का दृश्य दिखता है. इसलिए बड़ी संख्या में लोग वहां जाकर सेल्फी लेते हैं. वहां स्थाई पुलिस चौकी बनी हुई है, जहां पुलिसकर्मी तैनात रहते हैं.

अलवर. जिले का बाला किला अब नए रूप व रंग में नजर आएगा. लंबे समय के इंतजार के बाद किले का मरम्मत कार्य (Renovation Work of Bala Fort of Alwar) शुरू हुआ है. इस किले से कोई युद्ध नहीं हुआ. इसलिए किले को कुंवारा किला व बाला किला कहा जाता है. बाला किला 300 मीटर की खड़ी चट्टानों के शीर्ष पर स्थित है. किले से शहर का सुन्दर नजारा भी दिखाई देता है.

इस किले का निर्माण 1550 में हसन खान मेवाती की ओर से करवाया गया था. यह 5 किमी लंबाई और 1.5 किमी चौड़ाई में फैला हुआ है. इसमें छह ऐतिहासिक प्रवेश द्वार हैं. इनके नाम चंद पोल, सूरराज पोल (भरतपुर के पूर्व राजा सूरज मल के नाम पर), जय पोल, किशन पोल, अंधेरी पोल और लक्ष्मण पोल हैं. अलवर राज्य के संस्थापक प्रताप सिंह ने लक्ष्मण पोल के माध्यम से किले में प्रवेश किया था. लक्ष्मण पोल सड़क मार्ग पर है. यह शहर और किले को जोड़ता है. मुगल शासक बाबर और जहांगीर ने भी इस किले में शरण ली थी. इतिहासकारों की मानें तो बाबर ने किले में महज एक रात गुजारी थी. इसके अलावा जिस कमरे में मुगल शासक जहांगीर रुके थे, उसे आज भी सलीम महल के नाम से जाना जाता है.

नए रूप में नजर आएगा अलवर का बाला किला

पढे़ं. अलवर के बाला किला क्षेत्र में आम लोगों के प्रवेश पर लगी रोक, विरोध में उतरे स्थानीय लोग

किले का इतिहास : हसन खान मेवाती ने 1551 ईस्वी में अलवर किले का निर्माण किया था. इसके बाद अलवर किले पर मुगलों, मराठों और जाटों ने (History of Bala Fort of Alwar) शासन किया. अंत में 1775 में कच्छवाहा राजपूत प्रताप सिंह ने इस किले पर कब्जा कर लिया और इसके निकट अलवर शहर की नींव रखी. बाबर, मुग़ल सम्राट ने किले में एक रात बिताई थी. जबकि जहांगीर निर्वासन अवधि के दौरान तीन साल तक रहे. किले में सुंदर नक्काशियों के अलावा किले में सूरज कुंड, सलीम नगर तलाब, जल महल और निकुंभ महल पैलेस जैसी इमारते हैं. किले के परिसर में कई मंदिर भी हैं. बाला किले को कुंवारा किला भी कहा जाता है. यह किला अरावली की पहाड़ियों पर स्थित है. किले में बंदूक से गोलियां चलाने के लिए 446 छिद्र बने हुए हैं. 15 बड़े टॉवर, 51 छोटे टॉवर भी किले की सुरक्षा के लिए बनाए गए हैं.

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किले का शुरू हुआ मरम्मत कार्य : बाला किला लंबे समय से क्षतिग्रस्त हो रहा था. दीवारों से चूना झड़ रहा था. इसका पेंट खराब हो चुका था, साथ ही कई जगह दीवार भी जर्जर हालत में थी. कुछ समय पहले बाला किले की मरम्मत के लिए करीब 2 करोड़ रुपए सरकार से मिले थे. लेकिन काम पूरा नहीं हो पाया. एक बार फिर से किले की मरम्मत कार्य के लिए 3 करोड़ रुपए का बजट मिला है. ऐसे में किले का मरम्मत कार्य चल रहा है. प्लास्टर के अलावा रंग पेंट का काम भी जोरों से जारी है. विशेष तकनीक से चूना तैयार करके इसकी दीवारों की मरम्मत की जा रही है.

लोगों के प्रवेश पर है रोक : बाला किले में अंदर की तरफ दीवारों पर सोने-चांदी की नक्काशी है. इसके अलावा किले में सैकड़ों की संख्या में तोप गोला बारूद भरा हुआ है. खजाने के भी भंडार हैं. इसलिए किले पर आम लोगों के प्रवेश पर रोक लगी हुई है. किले से पूरे शहर का दृश्य दिखता है. इसलिए बड़ी संख्या में लोग वहां जाकर सेल्फी लेते हैं. वहां स्थाई पुलिस चौकी बनी हुई है, जहां पुलिसकर्मी तैनात रहते हैं.

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