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अलवर : कारागार में दरी पट्टियां बनाते हुए नजर आएंगे बंदी

अलवर जेल में बंदियों को व्यस्त करने के लिए कारागार समिति बंदियों को दरी पट्टियां बनाने का काम सौंपने जा रही है.

अलवर केंद्रीय कारागार
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Published : Mar 23, 2019, 4:55 AM IST


अलवर. जेल में सजा याफ्ता बंदी अब दरी पट्टी बनाते नजर आएगें. केंद्रीय कारागार में 886 बंदी है. बंदियों को व्यस्त रखने व उनको हाथ के काम में कौशल बनाने के लिए कारागार में दरी पट्टी बनाने की फैक्ट्री लगी हुई है. इनके द्वारा बनाया हुआ सामान आम जनता तक पहुंचाया जाएगा.

कई सालों से सूत के अभाव में दरी पट्टी बनाने की फैक्ट्री बंद पड़ी हुई थी, लेकिन अब यह फैक्ट्री फिर से शुरू हो गई है. ऐसे में बंदी काम में व्यस्त रह सकेंगे. वहीं इनके द्वारा बनाए हुए सामान आम लोगों तक भी पहुंचाया जा सकेगा.

दरअसल दरी पट्टी बनाने के लिए कपड़े के सूत की आवश्यकता होती है. यह सूत जेल प्रशासन की तरफ से उपलब्ध कराया जाता है. कई सालों से इसकी सप्लाई नहीं होने के कारण काम बंद थ, तो वहीं अलवर जेल में लंबे समय से कई तरह की गतिविधियां चलने की शिकायतें भी मिल रही थी.

अलवर केंद्रीय कारागार

कई बार जेल प्रशासन की ओर से जेल की जांच करने पर बंदियों के पास मोबाइल फोन और सिम कार्ड भी मिले थे. इन सब हालातों को देखते हुए जेल प्रशासन ने फिर से दरी पट्टी बनवाने का काम शुरू कर दिया है.

जेल अधीक्षक राजेंद्र सिंह ने बताया कि एक बार में 15 से 20 दरी पट्टी बनाई जा रही है. अभी बनने वाली दरी पत्तियों का उपयोग जेल और पुलिस विभाग में किया जाएगा. उसके बाद आवश्यकता पड़ने पर दरी पट्टियों को एनजीओ के माध्यम से आम लोगों तक बिक्री के लिए भेजने की भी योजना है.


अलवर. जेल में सजा याफ्ता बंदी अब दरी पट्टी बनाते नजर आएगें. केंद्रीय कारागार में 886 बंदी है. बंदियों को व्यस्त रखने व उनको हाथ के काम में कौशल बनाने के लिए कारागार में दरी पट्टी बनाने की फैक्ट्री लगी हुई है. इनके द्वारा बनाया हुआ सामान आम जनता तक पहुंचाया जाएगा.

कई सालों से सूत के अभाव में दरी पट्टी बनाने की फैक्ट्री बंद पड़ी हुई थी, लेकिन अब यह फैक्ट्री फिर से शुरू हो गई है. ऐसे में बंदी काम में व्यस्त रह सकेंगे. वहीं इनके द्वारा बनाए हुए सामान आम लोगों तक भी पहुंचाया जा सकेगा.

दरअसल दरी पट्टी बनाने के लिए कपड़े के सूत की आवश्यकता होती है. यह सूत जेल प्रशासन की तरफ से उपलब्ध कराया जाता है. कई सालों से इसकी सप्लाई नहीं होने के कारण काम बंद थ, तो वहीं अलवर जेल में लंबे समय से कई तरह की गतिविधियां चलने की शिकायतें भी मिल रही थी.

अलवर केंद्रीय कारागार

कई बार जेल प्रशासन की ओर से जेल की जांच करने पर बंदियों के पास मोबाइल फोन और सिम कार्ड भी मिले थे. इन सब हालातों को देखते हुए जेल प्रशासन ने फिर से दरी पट्टी बनवाने का काम शुरू कर दिया है.

जेल अधीक्षक राजेंद्र सिंह ने बताया कि एक बार में 15 से 20 दरी पट्टी बनाई जा रही है. अभी बनने वाली दरी पत्तियों का उपयोग जेल और पुलिस विभाग में किया जाएगा. उसके बाद आवश्यकता पड़ने पर दरी पट्टियों को एनजीओ के माध्यम से आम लोगों तक बिक्री के लिए भेजने की भी योजना है.

Intro:अलवर जेल में सजा याफ्ता बंदी अब दरी पट्टी बनाएंगे। कई सालों से सूत के अभाव में दरी पट्टी बनाने की फैक्ट्री बंद पड़ी हुई थी। लेकिन अब यह फैक्ट्री फिर से शुरू हो गई है। ऐसे में बंदी काम में व्यस्त रह सकेंगे। वहीं इनके दौरा बनाए हुए सामान आम लोगों तक भी पहुंच सकेंगे।


Body:अलवर केंद्रीय कारागार में 886 बंदी है। बंदियों को व्यस्त रखने व उनको हाथ के काम में कौशल बनाने के लिए कारागार में दरी पट्टी बनाने की फैक्ट्री लगी हुई है। कई सालों से यह फैक्ट्री बंद पड़ी हुई थी।

दरअसल दरी पट्टी बनाने के लिए कपड़े के सूत की आवश्यकता होती है। यह सूत जेल प्रशासन की तरफ से उपलब्ध कराया जाता है। कई सालों से इसकी सप्लाई नहीं होने के कारण काम बंद था। तो वहीं अलवर जेल में लंबे समय से कई तरह की गतिविधियां चलने की शिकायतें भी मिल रही थी।

कई बार जेल प्रशासन द्वारा जेल की जांच करने पर बंदियों के पास मोबाइल फोन व सिम कार्ड भी मिले थे। इन सब हालातों को देखते हुए जेल प्रशासन ने फिर से दरी पट्टी बनाने का काम शुरू कर दिया है।

जेल अधीक्षक राजेंद्र सिंह ने बताया कि एक बार में 15 से 20 दरी पट्टी बनाई जा रही है। अभी बनने वाली दरी पत्तियों का उपयोग जेल व पुलिस विभाग में किया जाएगा। उसके बाद आवश्यकता पड़ने पर दरी पट्टियों को एनजीओ के माध्यम से आम लोगों तक बिक्री के लिए भेजने की भी योजना है।


Conclusion:जेल प्रशासन ने बताया कि इस काम में बंदी खासी रुचि दिखा रहे हैं। सजायाफ्ता बंदियों को इस काम में लगाया गया है। इससे बंदी व्यस्त रह सकेंगे व उनका दिमाग अन्य फालतू के काम में नहीं चल सकेगा।
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