अलवर. सावन के सोमवार को भगवान शिव की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व रहता है.उसी के साथ सावन के अंतिम और चौथे सोमवार को सुबह से ही अलवर के शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ नजर आ रही है, सभी क्षद्धालु बाबा को खुश करने में जुटे है. लोगों ने दूध, दही, शहद और पंचामृत से भगवान शिव का अभिषेक किया है.
सभी जगहों के मंदिरों में शिव भक्तों की लंबी कतार नजर आ रही है. शहर में मुख्य पूजा अर्चना त्रिपोलिया स्थित भगवान शिव के मंदिर में होती है. त्रिपोलिया शिव मंदिर में सुबह 4 बजे से लोगों के आने का सिलसिला शुरू हो गया था. सावन के पूरे माह इस मंदिर में विशेष झांकी सजाई गई. दूर-दूर से लोग यहां भगवान शिव के दर्शन के लिए आते हैं. लोगों ने कहा कि त्रिपोलिया मंदिर की विशेष मान्यता है यहां लोगों के सभी मनोकामना पूरी होती है.
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बता दें, त्रिपोलिया मंदिर में कई बार प्रदेश के मुख्यमंत्री भी अभिषेक करा चुके हैं. इसके अलावा अलवर में नीलकंठ महादेव मंदिर सहित कई और भी नामी मंदिरें है. जहां पर सावन के माह में भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. त्रिपोलिया मंदिर 200 साल पुराना मंदिर है. पहले इस मंदिर में राज परिवार के लोग पूजा अर्चना करते थे.
विशेषज्ञों ने बताया कि भगवान शिव भोले भंडारी के नाम से भी जाने जाते है. यह नाम उनके स्वभाव के आधार पर रखा गया है. भक्तों की सच्चे मन से करने वाली हर पूजा-अर्चना से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को मनचाहा फल देते हैं.
वहीं कोटा के रामगंजमंडी में भी श्रद्धालुओं ने भगवान शिव को खुश करने के लिए शाही सवारी निकाली गई.
उपखंड क्षेत्र के सातलखेड़ी कस्बे में सावन के चोथे सोमवार पर शिव सेवा समिति के द्वारा भोले बाबा की शाही सवारी निकाली गई. शाही सवारी मंशापूर्ण हनुमान मंदिर से बेंड बाजे के साथ निकाली गई. वहीं शिव सेवा समिति द्वारा भोले बाबा कि अलग-अलग तरह की झांकी भी बनाई.
भोलेबाबा की शाही सवारी कस्बे के मुख्य मार्ग से निकालते हुए चिंताहरण हनुमान मंदिर होते हुए शिव मंदिर पहुँची. सवारी में सड़को पर ग्रामीण युवको ने भोलेनाथ भजनों में लीन होकर झूमते नजर आए. वहीं साही सवारी में पुलिस प्रशासन ने ट्रैफिक वयवस्था को संभालते हुए कार्यक्रम को सफल बनाया.समिति द्वारा कार्यक्रम की समापन पर प्रसादी वितरण किया गया.