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सावन के आखिरी सोमवार में हर हर महादेव के जयकारों से गूंजे सभी शिवालय

17 जुलाई से शिवजी का प्रिय माह सावन शुरू हो गया था. इस माह में शिवजी की विशेष पूजा की जाती है. सभी शिव मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहता है. वहीं श्रावण मास में शिवजी को बिल्व पत्र खासतौर पर चढ़ाएं जाते हैं.

har har mahadev, अलवर में मनाया सावन, kota people celebrated sawan
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Published : Aug 12, 2019, 10:52 PM IST

अलवर. सावन के सोमवार को भगवान शिव की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व रहता है.उसी के साथ सावन के अंतिम और चौथे सोमवार को सुबह से ही अलवर के शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ नजर आ रही है, सभी क्षद्धालु बाबा को खुश करने में जुटे है. लोगों ने दूध, दही, शहद और पंचामृत से भगवान शिव का अभिषेक किया है.

हर हर महादेव के जयकारों से गूंजे सभी शिवालय

सभी जगहों के मंदिरों में शिव भक्तों की लंबी कतार नजर आ रही है. शहर में मुख्य पूजा अर्चना त्रिपोलिया स्थित भगवान शिव के मंदिर में होती है. त्रिपोलिया शिव मंदिर में सुबह 4 बजे से लोगों के आने का सिलसिला शुरू हो गया था. सावन के पूरे माह इस मंदिर में विशेष झांकी सजाई गई. दूर-दूर से लोग यहां भगवान शिव के दर्शन के लिए आते हैं. लोगों ने कहा कि त्रिपोलिया मंदिर की विशेष मान्यता है यहां लोगों के सभी मनोकामना पूरी होती है.

यह भी पढ़े: 'धारा' 370 के बाद सदस्यता अभियान को मिली धार, 6 दिन में ही जुड़ गए 8 लाख सदस्य

बता दें, त्रिपोलिया मंदिर में कई बार प्रदेश के मुख्यमंत्री भी अभिषेक करा चुके हैं. इसके अलावा अलवर में नीलकंठ महादेव मंदिर सहित कई और भी नामी मंदिरें है. जहां पर सावन के माह में भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. त्रिपोलिया मंदिर 200 साल पुराना मंदिर है. पहले इस मंदिर में राज परिवार के लोग पूजा अर्चना करते थे.

विशेषज्ञों ने बताया कि भगवान शिव भोले भंडारी के नाम से भी जाने जाते है. यह नाम उनके स्वभाव के आधार पर रखा गया है. भक्तों की सच्चे मन से करने वाली हर पूजा-अर्चना से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को मनचाहा फल देते हैं.

वहीं कोटा के रामगंजमंडी में भी श्रद्धालुओं ने भगवान शिव को खुश करने के लिए शाही सवारी निकाली गई.

उपखंड क्षेत्र के सातलखेड़ी कस्बे में सावन के चोथे सोमवार पर शिव सेवा समिति के द्वारा भोले बाबा की शाही सवारी निकाली गई. शाही सवारी मंशापूर्ण हनुमान मंदिर से बेंड बाजे के साथ निकाली गई. वहीं शिव सेवा समिति द्वारा भोले बाबा कि अलग-अलग तरह की झांकी भी बनाई.

यह भी पढ़े: आजादी 'काले पानी' से : ईटीवी भारत की रंग लाती मुहिम , राजेन्द्र राठौड़ ने कहा- सरकार कार्रवाई करे हम पूरी तरह साथ

भोलेबाबा की शाही सवारी कस्बे के मुख्य मार्ग से निकालते हुए चिंताहरण हनुमान मंदिर होते हुए शिव मंदिर पहुँची. सवारी में सड़को पर ग्रामीण युवको ने भोलेनाथ भजनों में लीन होकर झूमते नजर आए. वहीं साही सवारी में पुलिस प्रशासन ने ट्रैफिक वयवस्था को संभालते हुए कार्यक्रम को सफल बनाया.समिति द्वारा कार्यक्रम की समापन पर प्रसादी वितरण किया गया.

अलवर. सावन के सोमवार को भगवान शिव की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व रहता है.उसी के साथ सावन के अंतिम और चौथे सोमवार को सुबह से ही अलवर के शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ नजर आ रही है, सभी क्षद्धालु बाबा को खुश करने में जुटे है. लोगों ने दूध, दही, शहद और पंचामृत से भगवान शिव का अभिषेक किया है.

हर हर महादेव के जयकारों से गूंजे सभी शिवालय

सभी जगहों के मंदिरों में शिव भक्तों की लंबी कतार नजर आ रही है. शहर में मुख्य पूजा अर्चना त्रिपोलिया स्थित भगवान शिव के मंदिर में होती है. त्रिपोलिया शिव मंदिर में सुबह 4 बजे से लोगों के आने का सिलसिला शुरू हो गया था. सावन के पूरे माह इस मंदिर में विशेष झांकी सजाई गई. दूर-दूर से लोग यहां भगवान शिव के दर्शन के लिए आते हैं. लोगों ने कहा कि त्रिपोलिया मंदिर की विशेष मान्यता है यहां लोगों के सभी मनोकामना पूरी होती है.

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बता दें, त्रिपोलिया मंदिर में कई बार प्रदेश के मुख्यमंत्री भी अभिषेक करा चुके हैं. इसके अलावा अलवर में नीलकंठ महादेव मंदिर सहित कई और भी नामी मंदिरें है. जहां पर सावन के माह में भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. त्रिपोलिया मंदिर 200 साल पुराना मंदिर है. पहले इस मंदिर में राज परिवार के लोग पूजा अर्चना करते थे.

विशेषज्ञों ने बताया कि भगवान शिव भोले भंडारी के नाम से भी जाने जाते है. यह नाम उनके स्वभाव के आधार पर रखा गया है. भक्तों की सच्चे मन से करने वाली हर पूजा-अर्चना से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को मनचाहा फल देते हैं.

वहीं कोटा के रामगंजमंडी में भी श्रद्धालुओं ने भगवान शिव को खुश करने के लिए शाही सवारी निकाली गई.

उपखंड क्षेत्र के सातलखेड़ी कस्बे में सावन के चोथे सोमवार पर शिव सेवा समिति के द्वारा भोले बाबा की शाही सवारी निकाली गई. शाही सवारी मंशापूर्ण हनुमान मंदिर से बेंड बाजे के साथ निकाली गई. वहीं शिव सेवा समिति द्वारा भोले बाबा कि अलग-अलग तरह की झांकी भी बनाई.

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भोलेबाबा की शाही सवारी कस्बे के मुख्य मार्ग से निकालते हुए चिंताहरण हनुमान मंदिर होते हुए शिव मंदिर पहुँची. सवारी में सड़को पर ग्रामीण युवको ने भोलेनाथ भजनों में लीन होकर झूमते नजर आए. वहीं साही सवारी में पुलिस प्रशासन ने ट्रैफिक वयवस्था को संभालते हुए कार्यक्रम को सफल बनाया.समिति द्वारा कार्यक्रम की समापन पर प्रसादी वितरण किया गया.

Intro:
अलवर।
सावन के सोमवार में भगवान शिव की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व रहता है। सावन के अंतिम व चौथे सोमवार को सुबह से ही अलवर के शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ नजर आई। लोगों ने दूध, दही, शहद व पंचामृत से भगवान शिव का अभिषेक किया।


Body:सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है। अलवर के मंदिरों में शिव भक्तों की लंबी कतार नजर आती है। शहर में मुख्य पूजा अर्चना त्रिपोलिया स्थित भगवान शिव के मंदिर में होती है। त्रिपोलिया शिव मंदिर में सुबह 4 बजे से लोगों के आने का सिलसिला शुरू हो जाता है। सावन के पूरे माह मंदिर में विशेष झांकी सजाई जाती है। लोग दूर-दूर से भगवान शिव के दर्शन के लिए आते हैं।

प्रतिदिन रात 12 बजे भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है। विशेषज्ञों ने बताया कि भगवान शिव का भोले भंडारी भी नाम है। यह उनके स्वभाव के आधार पर रखा गया है। भक्तों की सच्चे मन से करने वाली पूजा-अर्चना से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं व अपने भक्तों को मनचाहा फल देते हैं। लोगों ने कहा कि त्रिपोलिया मंदिर की विशेष मान्यता है यहां लोगों के सभी मनोकामना पूरी होती है।


Conclusion:अलवर में त्रिपोलिया मंदिर में कई बार प्रदेश के मुख्यमंत्री भी अभिषेक करा चुके हैं। इसके अलावा अलवर का नीलकंठ महादेव मंदिर सहित कई नामी मंदिर है। जहां पर सावन के माह में भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना होती है। त्रिपोलिया मंदिर 200 साल पुराना है। पहले राज परिवार के लोग इस में पूजा अर्चना करते थे। इसकी बनावट व इसमें लोगों की लगने वाली भी अपने आप में अलग महत्व रखती है।
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