भिवाड़ी (अलवर). राजस्थान के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र भिवाड़ी सहित कई औद्योगिक क्षेत्रों में फैक्ट्रियों से छोड़े जा रहे प्रदूषित जल से दूषित हो रहे भूमिगत जल की शिकायत के बाद बुधवार को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की 2 वैज्ञानिकों की एक टीम भिवाड़ी पहुंची. टीम ने भूमिगत जल और फैक्ट्री की ओर से छोड़े जा रहे केमिकल युक्त दूषित पानी के मामले की जांच की.
जानकारी के अनुसार यह टीम 15 अगस्त तक भिवाड़ी इलाके में रुक कर सभी फैक्ट्रियों का निरीक्षण करेगी और रिपोर्ट तैयार करेगी. एक एनजीओ के एग्जीक्यूटिव लक्ष्मण राघव ने बताया कि अलवर जिले की भिवाड़ी, कहरानी, खुशखेड़ा और टपूकड़ा औद्योगिक क्षेत्र में लगी करीब 28 फैक्ट्रियों से एसिड युक्त दूषित पानी छोड़ा जा रहा है. राघव ने मामले की शिकायत की थी.
2015 में एनजीटी दिल्ली में की थी शिकायत
राघव ने बताया कि इस संबंध में वर्ष 2015 में एनजीटी दिल्ली में शिकायत फाइल की थी, जिसमें प्रभावित गांव भिवाड़ी, नंगलिया सैदपुर, मिलकपुर, साडोत, रामपुरा, खिदरपुर, गाढ़पुर, अमलाकी खिजूरीबास सहित करीब 16 गांव इस दूषित पानी से संक्रमित हुए हैं. एनजीटी की प्रारंभिक जांच में सभी फैक्ट्रियों में कमियां पाई गई और उन्हें दुरुस्त करने के निर्देश दिए थे, लेकिन एनजीटी के आदेशों की पालना नहीं की गई.
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इन प्रभावित गांव में पानी की सप्लाई टैंकरों से किया जाना सुनिश्चित किया गया और यह पानी की सप्लाई राजस्थान सरकार और रिको द्वारा की गई. राघव ने बताया कि पानी सप्लाई में भी इन्होंने आनाकानी की. पहले 6 गांवों को पानी दिया और फिर 12 गांवों को पानी दिया. अब 16 गांवों को पानी दे रहे हैं. इसमें वाटर वर्क्स विभाग भी लापरवाही बरत रहा है.
मार्च 2020 में फिर से की शिकायत
लक्ष्मण राघव ने बताया कि सरकार की ओर से कोई कार्रवाई नहीं होने पर मार्च 2020 में फिर एक शिकायत फाइल की. उन्होंने बताया कि भोपाल से 2 वैज्ञानिक पी. जगन और मृदुल की टीम आई है. उन्होंने बताया कि बुधवार को टीम ने साडोत अमलाकी, गाढ़पुर और खुशखेड़ा सहित कई औद्योगिक क्षेत्रों में जाकर फैक्ट्रियों का निरीक्षण किया और पानी की जांच की. मामले को लेकर एनजीटी में 6 अक्टूबर को सुनवाई होगी.
राघव ने बताया कि भिवाड़ी सहित करीब 6 औद्योगिक क्षेत्रों में करीब 4,500 फैक्ट्रियां स्थापित हैं, लेकिन 28 यूनिट ऐसी हैं जो सर्वाधिक दूषित पानी छोड़ती हैं. उन्होंने बताया कि एनजीटी में उनकी प्रमुख मांग है कि इन फैक्ट्रियों को यहां बंद किया जाए.