अलवर. अलवर में भगवान जगन्नाथ का मेला चल रहा है. यह मेला अन्य जगहों से खास व अलग रहता है. आज गुरुवार को भगवान जगन्नाथ और जानकी जी का विवाह होगा. इसलिए माता जानकी जी की रथ यात्रा जगन्नाथ मंदिर से रवाना होकर मेला स्थल पर पहुंची. इस दौरान 1100 कलश लेकर महिलाएं पैदल चली. तो वहीं रथ यात्रा में घोड़े, हाथी, बैंड बाजे भी नजर आए.
जगन्नाथपुरी के बाद अलवर में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में मेला सबसे बड़ा रहता है. रथ यात्रा के मेले में लाखों लोग शामिल होते हैं. अलवर के अलावा उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के अन्य शहरों से भी बड़ी संख्या में लोग जगन्नाथ जी और जानकी जी के दर्शन के लिए आते हैं. यह मेला इसलिए भी खास है कि अलवर में भगवान जगन्नाथ का जानकी जी से विवाह होता है. जगन्नाथ जी की रथ यात्रा पुराना कटरा स्थित जगन्नाथ मंदिर से रवाना होकर मेला स्थल पर पहुंची. 5 दिन यहां मेला भरेगा तो गुरुवार को जानकी जी मेला स्थल पर पहुंची. मंदिर से माता जानकी जी की सवारी रवाना हुई. इस दौरान 1100 महिलाएं कलश लेकर निकली. रथ यात्रा में हजारों श्रद्धालु शामिल हुए. मंदिर में जगन्नाथ जी के जाने के बाद बूढ़े जगन्नाथ जी की प्रतिमा को रखा जाता है. पूरे जगन्नाथ जी की प्रतिमा साल में इन्हीं दिनों बाहर निकलती हैं.
ब्राहमण समाज की तरफ से बूढ़े जगन्नाथ जी की गुरुवार रात को महाआरती की जाएगी. इसमें 108 दीपक से शहर के लोग आरती करेंगे. गुरुवार को निकली जानकी जी की पदयात्रा में लोगों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया. जगह-जगह रथ यात्रा का स्वागत किया गया. अलवर की जगन्नाथ रथ यात्रा व मेले में अलवर के अलावा आसपास के जिलों दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के शहरों से भी हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं. इसका इतिहास डेढ़ सौ साल पुराना है. इस जगन्नाथ रथ यात्रा व मेले के दौरान प्रशासन की तरफ से एक दिन का अवकाश रखा जाता है. मेले में रथ यात्रा से लाखों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है. पूरे शहर में उत्सव जैसा माहौल रहता है. मेले में बच्चों के लिए झूले व मनोरंजन के साधन रहते हैं. साथ ही महिलाएं व बच्चे जमकर खरीदारी करते हैं. इसके अलावा प्याऊ व भंडारे की व्यवस्था रहती है.
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