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अलवर में 10000 करोड़ की सरकारी जमीन का आवंटन निरस्त, 2500 बीघा का किया था नियम विरुद्ध आवंटन - आवंटनों को नियम विरुद्ध मानते हुए निरस्त कर दिया

अलवर जिले के राजगढ़ के टहला क्षेत्र में 2500 बीघा सरकारी जमीन का नियम विरुद्ध आवंटन रद्द कर दिया गया है. इस जमीन की कीमत करीब 10 हजार करोड़ रुपए आंकी गई है.

land allotment worth Rs 10000 crore cancelled in Alwar, know details
अलवर में 10000 करोड़ की सरकारी जमीन का आवंटन निरस्त, 2500 बीघा का किया था नियम विरुद्ध आवंटन
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Published : Mar 31, 2023, 6:12 PM IST

अलवर. जिले के राजगढ़ के टहला क्षेत्र में सरिस्का के आसपास करीब 2500 बीघा सरकारी जमीन की बंदरबाट के 803 प्रकरणों को निरस्त कर दिया गया है. इस भूमि की बाजार करीब 10 हजार करोड़ रुपए आंकी गई है. इस प्रकरण में अभी एसओजी और एसीबी की ओर से दोषी अधिकारियों एवं कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई का इंतजार है.

राजगढ़ उपखंड के टहला क्षेत्र में एसडीएम ने करीब 2500 बीघा सरकारी जमीन का नियम विरुद्ध आवंटन कर दिया था. गलत तरीके से आवंटित भूमि प्रकरणों की जिला कलेक्टर से लेकर मुख्यमंत्री तक शिकायत हुई. इस पर जिला कलेक्टर ने अतिरिक्त जिला कलेक्टर द्वितीय की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर सरकारी जमीन आवंटन के सभी 803 प्रकरणों की जांच करने के निर्देश दिए.

पढ़ेंः भूखंड के अवैध आवंटन का मामला: रिटायर्ड RAS अधिकारी सहित 3 को 7-7 साल की सजा, 21 लाख जुर्माना

उसकी जांच रिपोर्ट के आधार पर आवंटन निरस्ती के नियमानुसार प्रकरण तैयार न्यायालय जिला कलेक्टर अलवर, न्यायालय अतिरिक्त जिला कलेक्टर प्रथम एवं न्यायालय अतिरिक्त जिला कलेक्टर द्वितीय के यहां 803 प्रकरण आवंटन निरस्ती के लिए दर्ज कराए गए. इन 803 प्रकरणों में संबंधित न्यायालय की ओर से विधिवत नोटिस जारी कर आवंटियों को सुनवाई का अवसर दिया और सभी आवंटनों को नियम विरुद्ध मानते हुए निरस्त कर दिया गया.

पढ़ेंः Rajasthan Highcourt : चारागाह भूमि आवंटन मामले में कलेक्टर सहित अधिकारियों को नोटिस जारी

कब्जेधारियों की लगभग दो सौ शिकायतों की जांच में कमेटी को पता चला कि अधिकांश भूमि आवंटन शिविरों में आवंटित की गई थी. इस आवंटित भूमि पर अन्य कई व्यक्तियों का कई सालों से कब्जा है. दूसरों की कब्जाशुदा भूमि को आंख बंद कर दूसरे लोगों को आवंटित किया गया. इसके अलावा प्रतिबंधित गैर मुमकिन पहाड़, नाला आदि का आवंटन कर दिया गया. आवेदनों पर तारीख व टाइम अंकित नहीं होने के बाद भी अनाधिवासित भूमि एवं जन उपयोगी प्रयोजन भूमि की जरूरत के नियमों का पालन भी नहीं किया गया.

वहीं आवेदक के आवंटन की पात्रता की न तो जांच की गई और न ही तहसील रिकॉर्ड व वार्षिक रजिस्टर से तथ्यों का मिलान किया गया. इसके अलावा यह भी जांच नहीं हुई कि आवेदक भूमिहीन है या नहीं. इस वजह से ऐसे लोगों को भी लैंड एलॉटमेंट हो गया जो पात्र नहीं थे. साथ ही आवंटन सलाहकार समिति की मीटिंग के लिए बनाए गए एक सप्ताह के बैठक के नियम का भी पालन नहीं हुआ. वहीं बैठक के नोटिस की तामील कराने की चिंता भी नहीं की गई. इस मामले में अन्य विभागों से एनओसी भी नहीं ली गई.

पढ़ेंः Protest Against Telangana House in Ajmer: तेलंगाना हाउस के लिए भूमि आवंटन और पट्टे को निरस्त करने की उठी मांग

मुख्यमंत्री तक पहुंचा आवंटन का मामलाः प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तक भूमि की बंदरबाट का यह मामला पहुंचा था. इस संबंध में राहुल गांधी की भारत छोड़ो यात्रा के दौरान ग्रामीणों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात की थी. ग्रामीणों ने इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग सीएम से की थी. साथ ही इस मुद्दे को लेकर ग्रामीणों ने जुलूस निकाला व कई बार जमकर हंगामा किया था.

अलवर. जिले के राजगढ़ के टहला क्षेत्र में सरिस्का के आसपास करीब 2500 बीघा सरकारी जमीन की बंदरबाट के 803 प्रकरणों को निरस्त कर दिया गया है. इस भूमि की बाजार करीब 10 हजार करोड़ रुपए आंकी गई है. इस प्रकरण में अभी एसओजी और एसीबी की ओर से दोषी अधिकारियों एवं कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई का इंतजार है.

राजगढ़ उपखंड के टहला क्षेत्र में एसडीएम ने करीब 2500 बीघा सरकारी जमीन का नियम विरुद्ध आवंटन कर दिया था. गलत तरीके से आवंटित भूमि प्रकरणों की जिला कलेक्टर से लेकर मुख्यमंत्री तक शिकायत हुई. इस पर जिला कलेक्टर ने अतिरिक्त जिला कलेक्टर द्वितीय की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर सरकारी जमीन आवंटन के सभी 803 प्रकरणों की जांच करने के निर्देश दिए.

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उसकी जांच रिपोर्ट के आधार पर आवंटन निरस्ती के नियमानुसार प्रकरण तैयार न्यायालय जिला कलेक्टर अलवर, न्यायालय अतिरिक्त जिला कलेक्टर प्रथम एवं न्यायालय अतिरिक्त जिला कलेक्टर द्वितीय के यहां 803 प्रकरण आवंटन निरस्ती के लिए दर्ज कराए गए. इन 803 प्रकरणों में संबंधित न्यायालय की ओर से विधिवत नोटिस जारी कर आवंटियों को सुनवाई का अवसर दिया और सभी आवंटनों को नियम विरुद्ध मानते हुए निरस्त कर दिया गया.

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कब्जेधारियों की लगभग दो सौ शिकायतों की जांच में कमेटी को पता चला कि अधिकांश भूमि आवंटन शिविरों में आवंटित की गई थी. इस आवंटित भूमि पर अन्य कई व्यक्तियों का कई सालों से कब्जा है. दूसरों की कब्जाशुदा भूमि को आंख बंद कर दूसरे लोगों को आवंटित किया गया. इसके अलावा प्रतिबंधित गैर मुमकिन पहाड़, नाला आदि का आवंटन कर दिया गया. आवेदनों पर तारीख व टाइम अंकित नहीं होने के बाद भी अनाधिवासित भूमि एवं जन उपयोगी प्रयोजन भूमि की जरूरत के नियमों का पालन भी नहीं किया गया.

वहीं आवेदक के आवंटन की पात्रता की न तो जांच की गई और न ही तहसील रिकॉर्ड व वार्षिक रजिस्टर से तथ्यों का मिलान किया गया. इसके अलावा यह भी जांच नहीं हुई कि आवेदक भूमिहीन है या नहीं. इस वजह से ऐसे लोगों को भी लैंड एलॉटमेंट हो गया जो पात्र नहीं थे. साथ ही आवंटन सलाहकार समिति की मीटिंग के लिए बनाए गए एक सप्ताह के बैठक के नियम का भी पालन नहीं हुआ. वहीं बैठक के नोटिस की तामील कराने की चिंता भी नहीं की गई. इस मामले में अन्य विभागों से एनओसी भी नहीं ली गई.

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मुख्यमंत्री तक पहुंचा आवंटन का मामलाः प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तक भूमि की बंदरबाट का यह मामला पहुंचा था. इस संबंध में राहुल गांधी की भारत छोड़ो यात्रा के दौरान ग्रामीणों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात की थी. ग्रामीणों ने इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग सीएम से की थी. साथ ही इस मुद्दे को लेकर ग्रामीणों ने जुलूस निकाला व कई बार जमकर हंगामा किया था.

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