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जैतपुर में शुरू हुआ बाबा श्याम का लक्खी मेला...दर्शन के लिए उमड़े लाखों श्रद्धालु

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Published : Mar 14, 2022, 2:03 PM IST

अलवर जिले के जैतपुर गांव में श्याम बाबा का लक्खी मेला आज से शुरू हो गया है (lakhi shyam mela). बाबा के दरबार मे आस्था की पताकाएं और श्याम निशान लिए भक्त उमड़ रहे हैं. मेले में लाखों शमिल हो रहे हैं, जिसके चलते सुरक्षा को लेकर खास बंदोबस्त किए गए हैं.

lakhi shyam mela
जैतपुर में शुरू हुआ बाबा श्याम का लक्खी मेला

बहरोड़. बहरोड़ विधानसभा के जैतपुर गांव में श्याम बाबा का लक्खी मेला (lakhi shyam mela) आज से शुरू हो गया है. गांव में स्थित प्राचीन शीश के दानी श्रीश्याम मंदिर में 14-15 मार्च को मेले का आयोजन किया जा रहा है. मेले में शामिल होने के लिए लाखों की तादात में श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं. पिछले दो सालों से कोरोना को लेकर भक्त श्याम बाबा का दीदार नहीं कर पा रहे थे.

हरियाणा की सीमा से सटे राजस्थान के जैतपुर गांव का मंदिर महाभारत काल से देशभर के लाखों श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र बना हुआ है. यही कारण है कि मेले में आसपास के गांवो के साथ-साथ राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, यूपी, मुंबई, महाराष्ट, कोलकत्ता सहित देश के विभिन्न क्षेत्रों से भक्त बाबा के दर्शन करने आते हैं.

जैतपुर में शुरू हुआ बाबा श्याम का लक्खी मेला

दर्शन, भंडारे के साथ चिकित्सा कैंप की भी व्यवस्था: भक्त हाथों में श्याम पताकाएं और श्याम निशान उठाकर दरबार में हाजरी लगाने भारी संख्या में जुट रहे हैं. मेले में भीड़ ज्यादा होने के कारण सुरक्षा, दर्शन, पंक्ति, भंडारे, सतसंग, जागरण और अन्य तरह की सुविधाओं को लेकर विशेष व्यवस्था की गई है. इसके अलावा मेले में चिकित्सा कैम्प भी लगाए हैं.

खाटू के बाद जैतपुर धाम दूसरा सबसे बड़ा श्याम भक्तों के आस्था का स्थल बनता जा रहा है. कोरोना से पहले भी यहां करीब ढाई-तीन लाख श्रद्धालुओं ने बाबा के स्थान पर ध्वज चढ़ाकर अपनी मन्नतें मांगी थी. कोरोना के कारण भक्त श्याम का दीदार नहीं कर पा रहे थे. इस बार मेले के शुरूआत में ही भक्तों का जमावड़ा देखने को मिला. यह मेला 13 मार्च से ही शुरू हो गया था, जबकि मुख्य मेला आज रहेगा और 15 मार्च द्वादशी तक चलेगा.

पढ़ें-बांसखो से श्याम मंदिर के लिए दूसरी पदयात्रा हुई रवाना

महाभारत काल से जुड़ा है इतिहास: श्याम बाबा के प्राचीन मंदिर से ऐसी मान्यता है कि, महाभारत काल में बर्बरीक का शीश श्री कृष्ण द्वारा दान लेने पर पहले यहां टीका था और यहां से उछाल खाकर खाटू धाम जा टिका था. इसलिए इस स्थल को भी बड़े श्रद्धा भाव से श्याम भक्त पूजते हैं. मेले में दूर-दूर की मशूहर जागरण पार्टियां और भजन गायक कलाकार यहां श्याम श्रद्धालुओं के संग भजन कीर्तन और जागरण कर बाबा की स्तुति करते हैं.

वहीं भक्त भी भजनों पर झूमते, नाचते, गाते, इठलाते, जयकारों से बाबा की महिमा का गुणगान करते हैं. इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था भी चाक-चौबंद रहती है. श्याम मंदिर के ग्रामीण पुजारी देशराज, रामावतार और वीरेंद्र भगत जी ने बताया कि इस श्याम मंदिर का निर्माण 1820, 22 विक्रम संवत में उनके पूर्वजों ने करवाया था.

पढे़ं-खाटूश्यामजी हुए अनलॉक : 117 दिनों बाद श्याम भक्तों का इंतजार खत्म, खुले मंदिर के पट, गूंजे सर्वेश्वर के जयकारे

यहां मन्नतें होती हैं पूरी: थामेला कमेटी से जुड़े ताराचन्द प्रधान व अजित मास्टर आदि ग्रामीण बताते हैं कि, श्रद्धालु यहां के श्याम-धाम की भक्ति में उतनी ही शक्ति मानते हैं, जितनी कि खाटू श्याम धाम की. इसलिए यहां आने वाले लाखों श्रद्धालुओं की मान्यता है कि, यहां जो भी भक्त सच्ची भक्ति और श्रद्धा से आता है उसकी उतनी ही मन्नतें पूरी होती हैं. जिससे क्षेत्र के लोग अपने आपको धन्य मानते हैं.

बहरोड़. बहरोड़ विधानसभा के जैतपुर गांव में श्याम बाबा का लक्खी मेला (lakhi shyam mela) आज से शुरू हो गया है. गांव में स्थित प्राचीन शीश के दानी श्रीश्याम मंदिर में 14-15 मार्च को मेले का आयोजन किया जा रहा है. मेले में शामिल होने के लिए लाखों की तादात में श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं. पिछले दो सालों से कोरोना को लेकर भक्त श्याम बाबा का दीदार नहीं कर पा रहे थे.

हरियाणा की सीमा से सटे राजस्थान के जैतपुर गांव का मंदिर महाभारत काल से देशभर के लाखों श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र बना हुआ है. यही कारण है कि मेले में आसपास के गांवो के साथ-साथ राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, यूपी, मुंबई, महाराष्ट, कोलकत्ता सहित देश के विभिन्न क्षेत्रों से भक्त बाबा के दर्शन करने आते हैं.

जैतपुर में शुरू हुआ बाबा श्याम का लक्खी मेला

दर्शन, भंडारे के साथ चिकित्सा कैंप की भी व्यवस्था: भक्त हाथों में श्याम पताकाएं और श्याम निशान उठाकर दरबार में हाजरी लगाने भारी संख्या में जुट रहे हैं. मेले में भीड़ ज्यादा होने के कारण सुरक्षा, दर्शन, पंक्ति, भंडारे, सतसंग, जागरण और अन्य तरह की सुविधाओं को लेकर विशेष व्यवस्था की गई है. इसके अलावा मेले में चिकित्सा कैम्प भी लगाए हैं.

खाटू के बाद जैतपुर धाम दूसरा सबसे बड़ा श्याम भक्तों के आस्था का स्थल बनता जा रहा है. कोरोना से पहले भी यहां करीब ढाई-तीन लाख श्रद्धालुओं ने बाबा के स्थान पर ध्वज चढ़ाकर अपनी मन्नतें मांगी थी. कोरोना के कारण भक्त श्याम का दीदार नहीं कर पा रहे थे. इस बार मेले के शुरूआत में ही भक्तों का जमावड़ा देखने को मिला. यह मेला 13 मार्च से ही शुरू हो गया था, जबकि मुख्य मेला आज रहेगा और 15 मार्च द्वादशी तक चलेगा.

पढ़ें-बांसखो से श्याम मंदिर के लिए दूसरी पदयात्रा हुई रवाना

महाभारत काल से जुड़ा है इतिहास: श्याम बाबा के प्राचीन मंदिर से ऐसी मान्यता है कि, महाभारत काल में बर्बरीक का शीश श्री कृष्ण द्वारा दान लेने पर पहले यहां टीका था और यहां से उछाल खाकर खाटू धाम जा टिका था. इसलिए इस स्थल को भी बड़े श्रद्धा भाव से श्याम भक्त पूजते हैं. मेले में दूर-दूर की मशूहर जागरण पार्टियां और भजन गायक कलाकार यहां श्याम श्रद्धालुओं के संग भजन कीर्तन और जागरण कर बाबा की स्तुति करते हैं.

वहीं भक्त भी भजनों पर झूमते, नाचते, गाते, इठलाते, जयकारों से बाबा की महिमा का गुणगान करते हैं. इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था भी चाक-चौबंद रहती है. श्याम मंदिर के ग्रामीण पुजारी देशराज, रामावतार और वीरेंद्र भगत जी ने बताया कि इस श्याम मंदिर का निर्माण 1820, 22 विक्रम संवत में उनके पूर्वजों ने करवाया था.

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यहां मन्नतें होती हैं पूरी: थामेला कमेटी से जुड़े ताराचन्द प्रधान व अजित मास्टर आदि ग्रामीण बताते हैं कि, श्रद्धालु यहां के श्याम-धाम की भक्ति में उतनी ही शक्ति मानते हैं, जितनी कि खाटू श्याम धाम की. इसलिए यहां आने वाले लाखों श्रद्धालुओं की मान्यता है कि, यहां जो भी भक्त सच्ची भक्ति और श्रद्धा से आता है उसकी उतनी ही मन्नतें पूरी होती हैं. जिससे क्षेत्र के लोग अपने आपको धन्य मानते हैं.

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