अलवर. देश में कई जगहों पर वायरल बुखार और डंगू जैसी बीमारियों का खतरा लगातार बढ़ रहा है. बत राजस्थान की करें तो यहां अलवर के रामगढ़ में भी कुछ ऐसी ही स्थिति है. इस बीच सबसे बड़ी दिक्कत की बात यह है कि इमरजेंसी के लिए एक भी डॉक्टर ओपीडी पर नहीं रहता.
बता दें कि विधायक साफिया जुबेर की अनुशंषा पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट घोषणा के दौरान अलावड़ा सीएचसी को सीएचसी में क्रमोन्नत करने की घोषणा की थी. पिछले कुछ महीनों में सीएचसी पर स्टाफ व अन्य सुविधाओं में भी इजाफा किया गया, लेकिन सीएचसी के अनुसार डॉक्टरों की पोस्टिंग नहीं होने से केवल एक ही डॉक्टर की पोस्टिंग के कारण अलावड़ा सीएचसी पर ओपीडी समय के बाद ताला लगा रहता है.
ऐसी स्थिति में इमरजेंसी के मरीजों को नीम हकीमों के पास और रामगढ़ अलवर उपचार के लिए जाना पड़ता है. यहां तक कि सीएचसी पर डिलीवरी भी नहीं होती है और न ही जच्चा-बच्चा की देखभाल के लिए प्रयाप्त स्टाफ हैं.
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विधायक साफिया जुबेर द्वारा पिछले महीने अलावड़ा सीएचसी के लिए विधायक कोटे से एंबुलेंस भी उपलब्ध करा दी गई, लेकिन एंबुलेंस का ड्राइवर नहीं होने के कारण एंबुलेंस का आज तक भी उपयोग नहीं हो सका है. सीएचसी पर ओपीडी समय के बाद ताला लगे रहने के बारे में सरपंच जुम्मा खान द्वारा विधायक साफिया जुबेर को गत माह एंबुलेंस उद्घाटन अवसर पर लिखित रूप से अवगत कराया और ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी अमित राठौड़ को भी अवगत कराया जा चुका है.
उसके बावजूद आजतक भी समस्या का समाधान नहीं होने से अलावड़ा में आसपास के मरीजों को नीम हकीमों के पास और रामगढ़ अलवर भटकना पड़ता है. वहीं, डॉक्टर सुनील ने बताया कि मुझे उन्हें अलावड़ा आए अभी 15 दिन ही हुए हैं और जो यहां डॉक्टर लगाया हुआ था, भानु प्रताप बंसल उसकी ड्यूटी विभाग ने सरकारी अस्पताल अलवर में लगा दी है.
अकेला डॉक्टर चौबीस घंटे तो नहीं, जाग सकता. बाकी मैं मरीजों को अवगत करा रहा हूं कि मैं यहीं रह रहा हूं. यदि कोई मरीज इमरजेंसी में आएगा तो मैं उपचार के लिए उपलब्ध रहूंगा. यदि यहां उपचार संभव न हुआ तो प्राथमिक उपचार के बाद आगे रैफर कर दूंगा.