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अलवर में आए कुछ परिवार जो साल भर देशभर के मेलों में घूमकर करते हैं जीवन यापन - Alwar

अलवर  में 20 जुलाई से जगन्नाथ मेला की शुरुआत होने जा रही है. वहीं जिले के रूपबास स्थित मेला स्थल पर मेले की तैयारियां शुरू हो चुकी है. वहीं 3 दिनों तक लगने वाले इस मेले में कई राज्यों और जिलों से लोग आते हैं.

देशभर के मेलों में घूमकर करते हैं जीवन यापन
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Published : Jun 25, 2019, 1:55 AM IST

अलवर. जिले में लगने वाला जगन्नाथ मेला प्रदेश में अपनी एक अलग पहचान रखता है. मेले के दौरान लाखों लोग जगन्नाथ भगवान के दर्शन करने के लिए आते हैं. इस दौरान शहर के पुराना कटरा स्थित जगन्नाथ मंदिर से रथ यात्रा निकली जाती है. वहीं रूपबास मेला स्थल पर भगवान जगन्नाथ और जानकी जी से विवाह होता है.

देशभर के मेलों में घूमकर करते हैं जीवन यापन

3 दिन बाद भगवान जगन्नाथ जानकी को बयाह कर अपने साथ वापस जगन्नाथ मंदिर लौटते हैं. 3 दिनों तक लगने वाले इस मेले में कई राज्यों और जिलों से लोग आते हैं. इस मेले में बच्चों को खिलौना बेचने वाले कुछ परिवार अभी से आ चुके हैं.इन लोगों में बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान व गुजरात सहित देशभर के लोग शामिल है. जो साल भर मेलों में घूम- घूमकर खिलौना बेचकर अपना जीवन यापन करते हैं.

सड़क के किनारे छोटे से तंबू में रहने वाली है, यह लोग आपस में मिलकर रहते हैं. तो वहीं मनोरंजन के लिए गेम खेलते हैं. उन्होंने बताया कि यह लोग साक्षर नहीं है, लेकिन देश भर में लगने वाले सभी मेलों की तारीख इनको जुबानी याद है। साल भर यह लो उन मेलों में घूमते हैं.

इस तरह के करीब 30 से अधिक परिवार हैं. लेकिन आज तक प्रशासन की कोई मदद नहीं मिली, ना ही इन लोगों को प्रशासन से कोई उम्मीद है. इतना ही नहीं यह लोग विधानसभा, लोकसभा सहित किसी भी चुनाव में अपना वोट पर नहीं डाल पाते हैं.

बातचीत में इन लोगों ने बताया यह लोग अलग-अलग राज्यों के शहरों के रहने वाले हैं, लेकिन जीवन यापन के लिए यह लोग सब साथ रहते हैं. इस दौरान एक महिला अपना दर्द बताते हुए रोने लगी. उसने कहा कि आज तक किसी ने उनका कोई दर्द नहीं समझा, कई बार तो उनको भूखा सोना पड़ता है.

अलवर. जिले में लगने वाला जगन्नाथ मेला प्रदेश में अपनी एक अलग पहचान रखता है. मेले के दौरान लाखों लोग जगन्नाथ भगवान के दर्शन करने के लिए आते हैं. इस दौरान शहर के पुराना कटरा स्थित जगन्नाथ मंदिर से रथ यात्रा निकली जाती है. वहीं रूपबास मेला स्थल पर भगवान जगन्नाथ और जानकी जी से विवाह होता है.

देशभर के मेलों में घूमकर करते हैं जीवन यापन

3 दिन बाद भगवान जगन्नाथ जानकी को बयाह कर अपने साथ वापस जगन्नाथ मंदिर लौटते हैं. 3 दिनों तक लगने वाले इस मेले में कई राज्यों और जिलों से लोग आते हैं. इस मेले में बच्चों को खिलौना बेचने वाले कुछ परिवार अभी से आ चुके हैं.इन लोगों में बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान व गुजरात सहित देशभर के लोग शामिल है. जो साल भर मेलों में घूम- घूमकर खिलौना बेचकर अपना जीवन यापन करते हैं.

सड़क के किनारे छोटे से तंबू में रहने वाली है, यह लोग आपस में मिलकर रहते हैं. तो वहीं मनोरंजन के लिए गेम खेलते हैं. उन्होंने बताया कि यह लोग साक्षर नहीं है, लेकिन देश भर में लगने वाले सभी मेलों की तारीख इनको जुबानी याद है। साल भर यह लो उन मेलों में घूमते हैं.

इस तरह के करीब 30 से अधिक परिवार हैं. लेकिन आज तक प्रशासन की कोई मदद नहीं मिली, ना ही इन लोगों को प्रशासन से कोई उम्मीद है. इतना ही नहीं यह लोग विधानसभा, लोकसभा सहित किसी भी चुनाव में अपना वोट पर नहीं डाल पाते हैं.

बातचीत में इन लोगों ने बताया यह लोग अलग-अलग राज्यों के शहरों के रहने वाले हैं, लेकिन जीवन यापन के लिए यह लोग सब साथ रहते हैं. इस दौरान एक महिला अपना दर्द बताते हुए रोने लगी. उसने कहा कि आज तक किसी ने उनका कोई दर्द नहीं समझा, कई बार तो उनको भूखा सोना पड़ता है.

Intro:अलवर।
अलवर में 20 जुलाई से जगन्नाथ मेला लगना है। रूपबास स्थित जगन्नाथ मेला स्थल पर मेले की तैयारियां शुरू हो चुकी है। इस दौरान अलवर में कुछ परिवार ऐसे आए हैं। जो साल भर अलग-अलग राज्यों में लगने वाले मेलों में घूम कर अपना जीवन यापन करते हैं। इनका ना तो कोई घर है ना ही कोई परिवार, अलग-अलग राज्यों के रहने वाले यह लोग सड़क के किनारे एक साथ मिलकर रहते हैं। होने को यह लोग साक्षर नहीं है, लेकिन उसके बाद भी इनको देशभर में लगने वाले सभी मेरो की तारीख जवानी याद है।


Body:अलवर में लगने वाला जगन्नाथ मेला प्रदेश में अपनी एक अलग पहचान रखता है। मेले के दौरान लाखों लोग जगन्नाथ भगवान के दर्शन करने के लिए आते हैं। इस दौरान शहर के पुराना कटरा स्थित जगन्नाथ मंदिर से रथ यात्रा निकलती है व रूपबास मेला स्थल पर भगवान जगन्नाथ व जानकी जी से विवाह होता है।

3 दिन बाद भगवान जगन्नाथ जानकी को बयाह कर अपने साथ वापस जगन्नाथ मंदिर लौटते हैं। 3 दिनों तक लगने वाले इस मेले में कई राज्यों और जिलों से लोग आते हैं। इस मेले में बच्चों को खिलौना बेचने वाले कुछ परिवार अभी से आ चुके हैं। इन लोगों में बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान व गुजरात सहित देशभर के लोग शामिल है। जो साल भर मेलों में घूमते हैं व खिलौना बेचकर अपना जीवन यापन करते हैं।

सड़क के किनारे छोटे से तंबू में रहने वाली है, यह लोग आपस में मिलकर रहते हैं। तो वहीं मनोरंजन के लिए गेम खेलते हैं। उन्होंने बताया कि यह लोग साक्षर नहीं है, लेकिन देश भर में लगने वाले सभी मेलों की तारीख इनको जुबानी याद है। साल भर यह लो उन मेलों में घूमते हैं।


Conclusion:इस तरह के करीब 30 से अधिक परिवार हैं। लेकिन आज तक प्रशासन की इनको कोई मदद नहीं मिली, ना ही इन लोगों को प्रशासन से कोई उम्मीद है। इतना ही नहीं यह लोग विधानसभा, लोकसभा सहित किसी भी चुनाव में अपना वोट पर नहीं डाल पाते हैं। बातचीत में इन लोगों ने बताया यह लोग अलग-अलग राज्यों के शहरों के रहने वाले हैं, लेकिन जीवन यापन के लिए यह लोग सब साथ रहते हैं। इस दौरान एक महिला अपना दर्द बताते हुए रोने लगी। उसने कहा कि आज तक किसी ने उनका कोई दर्द नहीं समझा, कई बार तो उनको भूखा सोना पड़ता है।
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