बहरोड़ (अलवर). पहाड़ी क्षेत्र में भेड़-बकरियों को चराकर पालन-पोषण करने वाले चरवाहे भी पहाड़ी क्षेत्र में जाने से डर रहे हैं. खेतों व कूओं पर मकान बनाकर परिवार सहित रह रहे कास्तकारों में भी भय बना हुआ है. इस समय सरसों की फसल बड़ी-बड़ी होने के चलते पैंथर के होने या नहीं होने का भी मालूम नहीं चल रहा है, जिससे फसल सिंचाई करने वाले काश्तकार भी डरे सहमे हुए हैं.
कुएं पर मकान बनाकर रह रहे ग्रामीण कायसा गाांव निवासी तेजपाल यादव ने बताया कि सप्ताह भर पहले हमारे कुएं पर पैंथर आया था, जिसने हमारे पालतू कुत्ते को अपना शिकार बना लिया. इसकी सूचना हमने फॉरेस्ट विभाग को दी. फॉरेस्ट विभाग कर्मियों ने सूचना पर मौके पर पहुंचकर पग मार्क के आधार पर पैंथर की लोकेशन होना बताया और उसे पकड़ने के लिए कुएं के पास पहाड़ी क्षेत्र में पानी की टंकी के पास पिंजरा लगाया हुआ है. पिंजरे में जीवित बकरी बच्चा रखा गया है, ताकि शिकार के चक्कर में पिंजरे में बन्द हो जाए. लेकिन पिंजरा लगाने के बाद से वहां पैंथर की लोकेशन बदल गई और पिंजरे में नहीं आए हैं.
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तेजपाल ने बताया कि चार-पांच दिन तक पिंजरा लगाने के बाद फॉरेस्ट कर्मी यहीं रूके रहे हैं. ताकि पैंथर को पकड़ सकें, लेकिन पिंजरे में पैंथर के नहीं आने से वो वापिस चले गए. अब तेजपाल रोजाना शाम को बकरी के बच्चे के साथ पिंजरा लगाता और सुबह जाकर स्थिति को देखता है. वहीं कुएं पर मकान बनाकर रह रहे दूसरे ग्रामीण कायसा गांव निवासी वीरेन्द्र सिंह यादव ने बताया कि शुक्रवार शाम को वो और उसकी पत्नि दूध निकाल रहे थे तो उनका पालतू कुत्ता जोर-जोर से भौंकने लगा और डर के मारे कुत्ते की आवाज बदल गई.
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दूध को बीच में ही छोड़कर देखा तो पास ही खेत में दो अलग ही जानवर थे, जिनका मुंह बिलाव जैसा भारी था. पटाखे छुटाने के बाद सरसों में भाग गए और बताया कि उन्हीं जानवरों ने पास ही दूसरे कुएं पर ओमप्रकाश यादव के एक पालतू कुत्ते को शिकार बनाने का प्रयास किया. लेकिन कुत्ते को घायल कर सरसों के खेत में भाग गए. फॉरेस्टर अशोक कुमार ने बताया कि इलाके में पैंथर की लोकेशन है, जिसको पकड़ने के लिए लोकेशन के आधार पर पिंजरा लगाया हुआ है. शनिवार शाम तक पैंथर के नहीं पकड़े जाने से ग्रामीणों में दहशत का माहौल बना हुआ है.