अलवर. जिले में बीते साल स्वाइन फ्लू से 5 लोगों की मौत हुई थी जबकि 54 से अधिक मरीज पॉजिटिव मिले थे. हालांकि अन्य सालों की तुलना में बीते साल स्वाइन फ्लू का प्रभाव अलवर में कम रहा है. लेकिन उसके बाद स्वास्थ्य विभाग की तरफ से एहतियाहन इंतजाम शुरू कर दिए गए हैं.
ग्रामीण क्षेत्र में एएनएम घर-घर जाकर सर्वे कर रही है और लोगों को जागरूक करने का काम कर रही हैं. स्वास्थ विभाग के अधिकारियों ने कहा कि सभी सीएचसी-पीएचसी स्तर पर टेमीफ्लू दवाई उपलब्ध करा दी गई है. सभी खासी जुखाम के मरीजों को टेमीफ्लू दवा दी जा रही है. जिससे मरीज स्वाइन फ्लू के खतरे से बच सकें.
अलवर प्रदेश में जयपुर के बाद सबसे बड़ा जिला है. अलवर में 36 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और 125 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है. इसके अलावा एक जिला अस्पताल, एक शिशु अस्पताल, एक जनाना अस्पताल, एक सेटेलाइट अस्पताल और 6 शहरी डिस्पेंसरी हैं. जिला अस्पताल की बात करें तो प्रतिदिन अस्पताल के आउटडोर में 3 से 4000 मरीज इलाज के लिए आते हैं. इस तरह के हालात जिले के अन्य सरकारी अस्पतालों के रहते हैं. बड़ी संख्या में मरीज जयपुर दिल्ली सहित आसपास के कई बड़े अस्पतालों के लिए जाते हैं. मौसमी बीमारियों का प्रभाव अन्य जिलों की तुलना में अलवर में खासा रहता है इसलिए स्वास्थ्य विभाग की तरफ से एहतियातन इंतजाम शुरू कर दिए गए हैं.
मौसमी बीमारी विशेषज्ञ डॉ. बबीता सिंह ने बताया स्वास्थ्य विभाग की तरफ से सभी इंतजाम पूरे कर दिए गए हैं हालांकि इस सीजन में अभी तक स्वाइन फ्लू का कोई नया मरीज नहीं मिला है. लेकिन उसके बाद भी सभी सरकारी अस्पतालों पर टेमीफ्लू दवा उपलब्ध करा दी गई है. खांसी और जुकाम के मरीजों को 3 दिन से ज्यादा बीमार रहने पर टेमीफ्लू दवा दी जाती है. जिससे को स्वाइन फ्लू से बच सकें. इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र में लोगों को जागरूक करने के लिए एएनएम और आशा सहयोगिनी लगातार काम कर रही हैं.
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संक्रमण से बचने के लिए करें ये उपाय
डॉक्टर बबीता सिंह कहती है कि स्वाइन फ्लू के संक्रमण से बचने के लिए लोगों को भीड़-भाड़ वाली जगहों से दूर रहना चाहिए. शौचालय और अन्य जगहों पर जाने के बाद हाथ साफ करने चाहिए और खांसी जुकाम के मरीजों से थोड़ा दूर रहना चाहिए. जिससे किसी भी तरह का संक्रमण नहीं फैल सके.