अलवर. जिले के फोर्टिस हॉस्पिटल की तरफ से रविवार को एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें व्यापारी और सामाजिक संस्था के लोग शामिल हुए. इसमें कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अमित कुमार सिंघल ने कहा, दिल की बीमारी पिछले कई दशकों में ग्रामीण आबादी में 1.6 प्रतिशत से 7.4 प्रतिशत के बीच और शहरी आबादी में 1 प्रतिशत से 13.2 प्रतिशत के बीच रही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, भारत में साल 2016 में गैरसंचारी बीमारियों के कारण 63 प्रतिशत मौतें हुईं. जिनमें से 27 प्रतिशत मौतें हृदय संबंधित बीमारियों की वजह से हुई थी. 40 से 69 आयु समूह में हृदय संबंधित बीमारियों की वजह से 45 प्रतिशत मौतें होती हैं.
हार्ट अटैक के लक्षण जानिए: डॉ. सिंघल ने बताया कि दिल के दौरे के लक्षणों में सांस फूलना, दिल की धड़कन बहुत तेज होना और बेहोशी आना भी लक्षण है. कुछ मरीजों में असामान्य लक्षण होते है. जैसे पेट में दर्द, मतली, उल्टी या थकावट बनी रहती है. उनके हृदय की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और ठीक से काम नहीं कर पाने की वजह से शरीर में खून का प्रवाह धीमा पड़ जाता है. उन्होंने एक और लक्षण बताया, जिसमें सीने और जबड़े से दर्द शुरू होकर बाएं हाथ में फैलता है.
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डॉक्टर से सलाह लेकर करे इलाज: डॉ. पंकज आनंद ने बताया कि लोग लंबे समय तक बुखार रहने पर भी इसे संक्रमण ही समझते हैं और उस हिसाब से दवाएं लेते हैं. जबकि यह एफयूओ भी हो सकता है. अगर बुखार अधिक समय तक जारी रहे, तो डॉक्टर से परामर्श लेकर सही इलाज लेना चाहिए. क्रिटिकल केयर यूनिट के इंचार्ज ने कहा कि अपने आप एंटीबायोटिक लेने पर मरीज को ड्रग रेसिस्टेंस का खतरा भी हो सकता है. बुखार अन्य बीमारियों के कारण भी हो सकता है. कई बार टीबी, ऑटोइम्यून डिजीज, थायरॉयडिटिस, लिम्फोमा, कुछ प्रकार के कैंसर, गाउट के कारण भी एफयूओ हो सकता है.
वैरिकोज वैन्स का समय पर इलाज: लेप्रोस्कोपिक एंड जनरल सर्जरी ने कहा, भारत में वैरिकोज वैन्स करीब 5 प्रतिशत लोगों में पाई जाती है. सामान्यतः 53 प्रतिशत रोगियों में 40 से 50 वर्ष के लोगों में पाई जाती है. वैरिकोज वैन्स का समय पर इलाज नहीं होने की स्थिति में करीब 57 प्रतिशत लोगों में दर्द बढ़ जाता है. डॉ. हेमेंद्र शर्मा ने कहा कि करीब 10 प्रतिशत लोगों की डीप वैन्स में थक्का बनने की संभावना रहती है. समय पर इलाज होने पर इन सभी जटिलताओं से बचा जा सकता है. वैरिकोज वैन्स का आधुनिक इलाज रेडियो फ्रिक्वेन्सी एवं लेजर एब्लेशन के जरिए इलाज किया गया है.
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जंग फूड बच्चों के लिए है खतरनाक: डॉक्टर विकास गुप्ता ने बताया कि मस्तिष्क को हेल्दी रखने के लिए स्वस्थ जीवन शैली का होना आवश्यक हैं. स्वस्थ जीवन शैली से स्ट्रोक (पक्षाघात या लकवा) अल्जाइमर, पार्किंसंस जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है. धूम्रपान, तम्बाकू सेवन, हुक्का और अनियमित आहार से इन बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है. डॉक्टर ने कहा, जंक फूड बच्चों के लिए खतरनाक है. माता-पिता को बच्चों के हेल्थ पर ध्यान देने की जरूरत है. उनको पौष्टिक भोजन करवाएं, जंक फूड से दूर रखें. साथ ही मोबाइल की आदत भी न डालें. उन्होंने कहा कि अगर हम आज अपने युवा पीढ़ी को ठीक करने का प्रयास करेंगे, तो आने वाला समय बेहतर रहेगा. इसलिए हमें अभी से अपने खान-पान और रहन सहन के तरीकों में बदलाव करना होगा.