खैरथल. जिले के भिवाड़ी में हरियाणा सीमा के पास बाघ ने एक बुजुर्ग किसान पर हमला कर दिया. घटना की सूचना के बाद पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया. वहीं, मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम बाघ को ट्रेंकुलाइज करने का फैसला किया. दरअसल, बहरोड़ सरिस्का टाइगर रिजर्व के अलवर बफर जोन बाला किले से एक बाघ एसटी 2303 भिवाड़ी की हरियाणा सीमा के पास जा पहुंचा. यहां भिवाड़ी के खुश्खेड़ा क्षेत्र में बाघ ने एक बुजुर्ग किसान पर हमला कर दिया. वहीं, बाघ के हमले में जख्मी किसान को इलाज के लिए हरियाणा के रेवाड़ी अस्पताल ले जाया गया.
इधर, सूचना के बाद मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम ने बाघ को ट्रेंकुलाइज करने का फैसला लिया है. इसके लिए जयपुर से एक टीम रवाना हो चुकी है. साथ ही सरिस्का से भी टीम पहुंच गई है. फिलहाल वन विभाग की टीम बाघ की तलाश में जुटी है. वन विभाग के डीएफओ अपूर्वकृष्ण श्रीवास्तव ने बताया कि तीन महीने से एक युवा बाघ एसटी 2303 रेंज किशनगढ़ बास के अधीन वनखंड रुंध इस्माइलपुर व आसपास के क्षेत्र में घूम रहा है. वन विभाग की टीम बाघ की नियमित रूप से ट्रैकिंग कर रही है. बीते 17 जनवरी की सुबह बाघ वन क्षेत्र से निकलकर खेतों के रास्ते उत्तर दिशा की ओर मूवमेंट कर रहा था. बाघ के शाम को पगमार्क तहसील कोटकासिम में ग्राम बसई वीरथल में मिले. उसके बाद बाघ अगले दोपहर के समय खुश्खेड़ा ग्राम में एक व्यक्ति पर हमला कर दिया.
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घटना के दौरान बुजुर्ग किसान रघुवीर यादव अपने बेटे मामन सिंह के साथ खेत में काम कर रहे थे, तभी अचानक बाघ ने उन पर हमला बोल दिया. इस दौरान लोगों के शोर मचाने पर बाघ मौके से भाग निकला. इस घटना में रघवीर के हाथ और सीने पर चोट आई है, जिससे वो घायल हो गया. इधर, मौके पर मौजूद लोगों की मदद से जख्मी किसान को हरियाणा के रेवाड़ी अस्पताल में भर्ती कराया. हॉस्पिटल में प्राथमिक उपचार के बाद उसे छुट्टी दे दी गई. वन विभाग की ट्रैकिंग टीम ने बाघ के हमले की पुष्टि की है. इस घटना के बाद से ही क्षेत्र में दहशत का माहौल बना हुआ है.
सामने आई लापरवाही : सरिस्का से बाघ के ग्रामीण इलाकों में चले जाने के बाद भी वन विभाग के अधिकारियों के कानों तले जूं तक नहीं रेंगी. अधिकारी लापरवाह बनकर कुर्सी पर बैठे रहे. शायद किसी बड़े हादसे का इंतजार में थे. कुछ दिन पहले भी खैरथल के पास रेलवे पटरी पर बाघ को ग्रामीणों ने देखा था, जिसकी सूचना वन विभाग की टीम को दी गई थी. बावजूद इसके वन विभाग की ओर से कुछ नहीं किया गया.