बहरोड़ (अलवर). किसान नेता राजाराम मील ने बताया कि किसानों की सभी मांगें केंद्र सरकार ने मान ली है, इससे ज्यादा खुशी क्या होगी. शत-प्रतिशत (Rajaram Meel on End of Movement) किसानों की जीत हुई है. केंद्र में बैठी सरकार हिटलर शाही है, यह मानने वाली कहां है. ये किसानों की ताकत थी, सहयोग करने वालों की ताकत थी. सभी सहयोग करने वालों का बहुत-बहुत आभार.
राजाराम मिल ने बताया कि शुक्रवार को 10 बजे मोर्चे की विधिवत विदाई हो जाएगी. केंद्र सरकार तानाशाही सरकार है. इसने किसानों के खिलाफ बहुत ही गलत शब्द बोले हैं. हमें नक्सली, उग्रवादी, पाकिस्तानी पक्ष और खालिस्तानी पक्ष आदि शब्दों की संज्ञा दी, लेकिन आखिर में किसानों की जीत हुई.
विदेशों से फंडिंग आ रही है, पता नही क्या-क्या कहा. किसान भूलेगा नहीं. आज किसानों की ताकत सरकार को घुटनों के बल ले आई. किसानों की जीत हुई है और शुक्रवार को हम बॉर्डर खाली कर देंगे.
लंबी खींचतान के बाद किसान आंदोलन समाप्त...
लंबी खींचतान के बाद आज गुरुवार को आखिरकार किसान आंदोलन समाप्त (Announcement to End of Farmer Protest) करने का किसान संगठनों ने एलान कर दिया. गुरुवार को सरकार की ओर से भेजा गया किसानों को औपचारिक पत्र में सभी प्रमुख मांगों को मान लिया गया है. सरकार ने किसानों पर दर्ज मामले (Cases Against Farmers) वापस लेने की मांग स्वीकार कर ली है, साथ ही पराली जलाने पर आपराधिक मामला दर्ज नहीं होगा.
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इसके अलावा आंदोलन के दौरान मारे गए सभी किसानों के परिवारों को मुआवजा दिया जाएगा. पंजाब, उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकार पहले ही मृतक किसानों के परिवार को मुआवजा और नौकरी देने का एलान कर चुकी हैं. वहीं, सिंघु बॉर्डर के साथ ही राजस्थान-हरियाणा बॉर्डर पर किसानों ने टेंट उखाड़ने शुरू कर दिए हैं.
संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि यह जीत किसानों के बलिदान से मिली है. आगे की रणनीति फिर तैयार करेंगे. 13 दिसंबर को स्वर्ण मंदिर जाने की बात कही है. गुरनाम सिंह चढुनी ने कहा कि 15 जनवरी को फिर बैठक करेंगे, अगर सरकार ने हमारी मांग नहीं मानी तो हम आंदोलन शुरू करेंगे. मोर्चा का कहना है कि 11 दिसंबर से किसान अपने घरों को लौटने लगेंगे.