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Special : अलवर में ही किसान तैयार कर रहे प्याज का 'कण', हो रहा डबल मुनाफा

अलवर के किसान प्याज की फसल के साथ प्याज का बीज (कण) भी तैयार कर रहे हैं. इससे किसानों को डबल मुनाफा हो रहा है. साथ ही महाराष्ट्र पर किसानों की निर्भरता भी खत्म हो गई. पढ़िए ये खास रिपोर्ट...

Alwar Farmers producing onion seeds
अलवर में किसान आत्मनिर्भर
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Published : Jun 10, 2023, 9:04 PM IST

Updated : Jun 10, 2023, 10:49 PM IST

अलवर में प्याज की फसल से डबल मुनाफा कमा रहे किसान

अलवर. देश में नासिक के बाद प्याज की दूसरी सबसे बड़ी मंडी अलवर है. अलवर का प्याज देश के साथ विदेशों में भी सप्लाई होता है. अलवर के किसान प्याज के बीज के लिए पहले महाराष्ट्र पर निर्भर रहते थे, लेकिन अब अलवर में ही किसान बीज भी तैयार कर रहे हैं. ऐसे में किसानों की महाराष्ट्र पर निर्भरता अब खत्म हो गई है. साथ ही अलवर में तैयार प्याज का बीज राजस्थान के अन्य जिलों के साथ हरियाणा में भी सप्लाई हो रहा है.

2 साल से नुकसान, इस बार उम्मीद : अलवर के लाल प्याज आज विदेशों में भी अपनी खास पहचान रखते हैं. साल में दो बार प्याज की फसल होती है, जिससे किसानों को फायदा होता है. हालांकि बीते 2 साल से नुकसान झेलने के बाद अब किसानों को प्याज की फसल से काफी उम्मीदे हैं. किसानों ने प्याज का बीज तैयार करने का काम शुरू कर दिया है. इसके 4 से 5 साल पहले अलवर के किसान महाराष्ट्र से प्याज का बीज खरीदते थे, ऐसे में प्याज की फसल महंगी पड़ती थी. साथ ही फसल खराब भी हो जाती थी.

पढ़ें. Onion production in Sikar: शेखावटी के प्याज का सालाना करोबार 400 करोड़, कैलाश खेर भी हैं इसके मुरीद

गुणवत्ता के बीज तैयार कर रहे किसान : इस समस्या से निजात पाने के लिए अलवर के किसानों ने प्याज का बीज तैयार करना शुरू किया, जिसके बाद अब जिले में कई हजार क्विंटल प्याज का बीज तैयार होता है. किसान अलवर में ही बेहतर गुणवत्ता का बीज तैयार करते हैं. इससे प्याज की फसल भी बेहतर होती है. ऐसे में अलवर के किसान अब प्याज के बीज के लिए महाराष्ट्र पर निर्भर नहीं हैं. इतना ही नहीं अब प्याज का बीज राजस्थान के अन्य जिलों के साथ हरियाणा में भी सप्लाई होता है. इससे किसान को डबल फायदा हो रहा है.

Onion production in Alwar
इस तरह किसानों का हो रहा डबल मुनाफा

प्याज के साथ किसान बीज भी कर रहे तैयार : उद्यान विभाग के उपनिदेशक लीलाराम जाट के अनुसार जनवरी में प्याज का बीज लगाया जाता है. दो से तीन माह में बीज तैयार हो जाता है. इसके बाद उसको सुखाकर जुलाई और अगस्त माह में बारिश के बाद प्याज की फसल की बुआई होती है. किसानों को प्याज के साथ प्याज के बीज के दाम भी बेहतर मिल रहे हैं. ऐसे में अलवर के किसानों को अब डबल फायदा होने लगा है. उन्होंने बताया कि बीते साल 3000 से 5000 क्विंटल के भाव से बीज बाजार में बिका था. अलवर में तैयार होने वाला बीज सीकर, झुंझुनू, बीकानेर, भरतपुर, दौसा सहित आसपास जिलों के अलावा हरियाणा में भी सप्लाई होता है.

किसानों का ये कहना है : जिले के किसानों का कहना है कि पहले काफी परेशानी होती थी, क्योंकि महाराष्ट्र से महंगा प्याज का बीज मिलता था. बीज की क्वालिटी के बारे में किसान को पता नहीं रहता था. ऐसे में अगर फसल में रोग लग जाए तो किसान को काफी नुकसान उठाना पड़ता था. अब किसान अलवर में ही बेहतर क्वालिटी का बीज तैयार कर रहे हैं. इससे प्याज की फसल भी बेहतर होने लगी है. अब महज 5 प्रतिशत बीज ही महाराष्ट्र से आता है. इसके साथ ही महाराष्ट्र पर निर्भरता भी खत्म हो गई है.

अलवर में प्याज की फसल से डबल मुनाफा कमा रहे किसान

अलवर. देश में नासिक के बाद प्याज की दूसरी सबसे बड़ी मंडी अलवर है. अलवर का प्याज देश के साथ विदेशों में भी सप्लाई होता है. अलवर के किसान प्याज के बीज के लिए पहले महाराष्ट्र पर निर्भर रहते थे, लेकिन अब अलवर में ही किसान बीज भी तैयार कर रहे हैं. ऐसे में किसानों की महाराष्ट्र पर निर्भरता अब खत्म हो गई है. साथ ही अलवर में तैयार प्याज का बीज राजस्थान के अन्य जिलों के साथ हरियाणा में भी सप्लाई हो रहा है.

2 साल से नुकसान, इस बार उम्मीद : अलवर के लाल प्याज आज विदेशों में भी अपनी खास पहचान रखते हैं. साल में दो बार प्याज की फसल होती है, जिससे किसानों को फायदा होता है. हालांकि बीते 2 साल से नुकसान झेलने के बाद अब किसानों को प्याज की फसल से काफी उम्मीदे हैं. किसानों ने प्याज का बीज तैयार करने का काम शुरू कर दिया है. इसके 4 से 5 साल पहले अलवर के किसान महाराष्ट्र से प्याज का बीज खरीदते थे, ऐसे में प्याज की फसल महंगी पड़ती थी. साथ ही फसल खराब भी हो जाती थी.

पढ़ें. Onion production in Sikar: शेखावटी के प्याज का सालाना करोबार 400 करोड़, कैलाश खेर भी हैं इसके मुरीद

गुणवत्ता के बीज तैयार कर रहे किसान : इस समस्या से निजात पाने के लिए अलवर के किसानों ने प्याज का बीज तैयार करना शुरू किया, जिसके बाद अब जिले में कई हजार क्विंटल प्याज का बीज तैयार होता है. किसान अलवर में ही बेहतर गुणवत्ता का बीज तैयार करते हैं. इससे प्याज की फसल भी बेहतर होती है. ऐसे में अलवर के किसान अब प्याज के बीज के लिए महाराष्ट्र पर निर्भर नहीं हैं. इतना ही नहीं अब प्याज का बीज राजस्थान के अन्य जिलों के साथ हरियाणा में भी सप्लाई होता है. इससे किसान को डबल फायदा हो रहा है.

Onion production in Alwar
इस तरह किसानों का हो रहा डबल मुनाफा

प्याज के साथ किसान बीज भी कर रहे तैयार : उद्यान विभाग के उपनिदेशक लीलाराम जाट के अनुसार जनवरी में प्याज का बीज लगाया जाता है. दो से तीन माह में बीज तैयार हो जाता है. इसके बाद उसको सुखाकर जुलाई और अगस्त माह में बारिश के बाद प्याज की फसल की बुआई होती है. किसानों को प्याज के साथ प्याज के बीज के दाम भी बेहतर मिल रहे हैं. ऐसे में अलवर के किसानों को अब डबल फायदा होने लगा है. उन्होंने बताया कि बीते साल 3000 से 5000 क्विंटल के भाव से बीज बाजार में बिका था. अलवर में तैयार होने वाला बीज सीकर, झुंझुनू, बीकानेर, भरतपुर, दौसा सहित आसपास जिलों के अलावा हरियाणा में भी सप्लाई होता है.

किसानों का ये कहना है : जिले के किसानों का कहना है कि पहले काफी परेशानी होती थी, क्योंकि महाराष्ट्र से महंगा प्याज का बीज मिलता था. बीज की क्वालिटी के बारे में किसान को पता नहीं रहता था. ऐसे में अगर फसल में रोग लग जाए तो किसान को काफी नुकसान उठाना पड़ता था. अब किसान अलवर में ही बेहतर क्वालिटी का बीज तैयार कर रहे हैं. इससे प्याज की फसल भी बेहतर होने लगी है. अब महज 5 प्रतिशत बीज ही महाराष्ट्र से आता है. इसके साथ ही महाराष्ट्र पर निर्भरता भी खत्म हो गई है.

Last Updated : Jun 10, 2023, 10:49 PM IST
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