अलवर. प्रदेश की औद्योगिक राजधानी कही जाने वाली अलवर की पहचान किसी ओर नाम से ज्यादा फेमस हो रही है. वो पहचान है अपराध के गढ़ के रूप में. अलवर में लगातार बढ़ते क्राइम (Alwar Crime Rate increase) के ग्राफ ने पुलिस महकमे से लेकर सरकार तक को चिंता में डाल रखा है. यहां उत्तर प्रदेश, हरियाणा व दिल्ली की गैंग यहां सक्रिय हैं. गैंग के बदमाश खुलेआम रंगदारी, लूट, फायरिंग जैसी घटनाओं को अंजाम देते हैं. बढ़ते अपराध के बीच कई मामलों में अलवर की बदनामी देशभर में हो चुकी है. बीते 4 साल के दौरान भिवाड़ी, बहरोड, नीमराना, शाहजहांपुर, तिजारा व आसपास क्षेत्र में रंगदारी, लूट, फायरिंग व गैंगवार जैसी घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है.
राजस्थान का पूर्वी सिंहद्वार अलवर राजस्थान के अपराध का द्वार बनता जा रहा है. हरियाणा, दिल्ली और यूपी के बदमाश (Gangs of Haryana Delhi and Uttar Pradesh active in alwar) अलवर के रास्ते राजस्थान की सीमा में प्रवेश कर आपराधिक वारदातों को अंजाम देते हैं. अलवर जिले की सीमा हरियाणा से सटी हुई है तो दिल्ली और उत्तरप्रदेश भी अलवर जिले के पड़ोसी राज्य है. इस भौगोलिक परिस्थितियों के कारण अलवर में अपराध लगातार बढ़ रहा है.
गैंगस्टर्स ने बनाया नेटवर्कः पिछले कुछ सालों से अलवर जिले में हरियाणा, दिल्ली और उत्तरप्रदेश के कुख्यात गैंगस्टर्स ने अपना आपराधिक नेटवर्क जमा लिया है. कई बड़े गैंगस्टर ने अलवर जिले के स्थानीय बदमाशों को अपने गिरोह में शामिल कर लिया है. इनकी मदद से वो अलवर और भिवाड़ी दोनों पुलिस जिलों में लूट, डकैती, हत्या, अपहरण, फायरिंग, रंगदारी और गैंगवार को अंजाम दे रहे हैं. अलवर में दो पुलिस जिले बनाने के बाद भी अपराधों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है.
हरियाणा के कई कुख्यात गिरोह सक्रियः अलवर जिले में हरियाणा के कई कुख्यात अपराधी गिरोह सक्रिय हैं. जिनमें विक्रम उर्फ पपला गुर्जर गैंग, सुरेन्द्र उर्फ चीकू गैंग, कुलदीप उर्फ डॉक्टर गैंग, सत्यभान जाट गैंग, कौशल गैंग, अमित डागर गैंग, चांद गुर्जर गैंग तथा पंजाब के लॉरेंस बिश्नोई गैंग आदि सक्रिय हैं. इसके अलावा यहां के लोकल बदमाश अशोक ठाकरिया गैंग, विक्रम उर्फ लादेन, प्रसन्नदीप उर्फ पर्रा सहित जिलेभर में कई बदमाश जिनका हरियाणा, दिल्ली, उत्तरप्रदेश और पंजाब के बड़े अपराधी गिरोह से संपर्क हैं.
41 थाने और 2900 की नफरीः अलवर व भिवाड़ी में कुल 41 थाने हैं. इनमें कुल नफरी करीब 2900 है. दोनों पुलिस जिलों में हर साल करीब 21 हजार मामले दर्ज होते हैं. वैसे तो हरियाणा के बदमाश अलवर जिले में पिछले चार साल से सक्रिय हैं. लेकिन अक्टूबर-2014 में बहरोड में हुए पार्षद त्रिलाक यादव हत्याकांड के बाद से अलवर जिले में हरियाणा के बदमाशों की घुसपैठ तेजी से बढ़ी है. बहरोड के कुख्यात गैंगस्टर अशोक ठाकरिया ने हरियाणा की सत्यभान जाट गैंग से हाथ मिलाया और सत्यभान जाट गैंग के शार्प शूटर सुनील उर्फ लीडर को साथ लेकर पार्षद त्रिलोक यादव की दिवाली के दिन उसके घर में घुसकर गोली मारकर हत्या की थी.
उसके बाद लगातार पड़ोसी राज्य की गैंग अलवर में सक्रिय हैं. अलवर के राजगढ़ थाना इलाके के गांव बारां भड़कोल और छिलोड़ी गांव में एक युवक ने तीन व्यक्तियों की हत्या की. भिवाड़ी में हरियाणा के कुख्यात कौशल गैंग, डागर गैंग और चांद गैंग ने छह जगह ताबड़तोड़ फायरिंग की वारदात को अंजाम देकर सनसनी फैला दी. उनके द्वारा करोड़ों रुपए की रंगदारी वसूली. बदमाश खुलेआम फायरिंग के बाद रंगदारी की पर्ची फेंक कर भाग जाते हैं.
यह घटनाएं अलवर को करती हैं बदनामः अलवर में बलात्कार और मॉब लिंचिंग की कई ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं. जिससे अलवर देश-दुनिया में बदनाम और शर्मसार हुआ. दुष्कर्म के मामलों में अलवर जिला प्रदेश में सबसे आगे है. थानागाजी गैंगरेप तथा पहलू खां और रकबर खां हत्याकांड जैसी मॉब लिंचिंग की घटनाओं ने अलवर के माथे पर कलंक लगा दिया था. हरियाणा के कुख्यात गैंगस्टर विक्रम उर्फ पपला गुर्जर के बहरोड थाने में ताबड़बोड़ फायरिंग करके लॉकअप से भागने की घटना ने पूरी राजस्थान पुलिस की छवि को धूमिल किया है.