ETV Bharat / state

World Dyslexia Day 2023 : आपका बच्चा भी ठीक से पढ़-लिख नहीं पाता तो हो जाएं सावधान, यहां जानिए डॉक्टर की राय - World Dyslexia Awareness Day 2023

World Dyslexia Awareness Day 2023 : डिस्लेक्सिया बच्चों में पाए जाने वाली ऐसी बीमारी है, जिसमें सीखने में परेशानी होती है. अक्षरों के लिखित रूप और उनके उच्चारण के संबंध में दिक्कतें आती हैं. जागरूकता की कमी के कारण ऐसे बच्चों को मनोरोगी मान लिया जाता है, जबकि ये केवल एक मेंटल डिसऑर्डर है. वर्ल्ड डिस्लेक्सिया डे पर देखिए ये खास रिपोर्ट...

वर्ल्ड डिस्लेक्सिया डे 2023
डिस्लेक्सिया ग्रस्त बच्चों को समझा जाता है मनोरोगी
author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 8, 2023, 6:32 AM IST

डॉ. मनीषा गौड़ ने क्या कहा

अजमेर. डिस्लेक्सिया एक ऐसी बीमारी है, जिससे ग्रसित बच्चों को दुनिया पागल, मूर्ख और कम बुद्धि वाला कहकर संबोधित करती है, लेकिन सच्चाई इसके परे है. ये सच है कि डिस्लेक्सिया का सीधा संबंध मस्तिष्क से है, लेकिन ये बुद्धि को प्रभावित नहीं करती, बल्कि ये एक लर्निंग डिसेबिलिटी है.

क्या है डिस्लेक्सिया : स्कूल में कोई बच्चा ठीक से पढ़-लिख नहीं पा रहा है या उसे शब्दों को पहचानने में समस्या आ रही है तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह मानसिक रूप से कमजोर है. ऐसा बच्चा डिस्लेक्सिया ग्रसित भी हो सकता है. उसे मनोरोगी समझने की भूल न करें. उसे स्नेह और सहयोग करें. पढ़ाई में कमजोर मानकर किया गया दुर्व्यवहार ऐसे बच्चों के लिए घातक भी हो सकता है. अगर ऐसे बच्चों को सही मदद मिले तो वो भी बेहतरीन करियर बना सकते है. टेलिफोन के आविष्कारक ग्राहम बेल और महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन भी डिस्लेक्सिया पीड़ित थे, लेकिन उन्होंने वो मुकाम हासिल किया, जो मानव के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन लाया.

वर्ल्ड डिस्लेक्सिया डे 2023
डिस्लेक्सिया ग्रस्त बच्चों को समझा जाता है मनोरोगी

विश्व डिस्लेक्सिया दिवस 8 अक्टूबर को : क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट एवं काउंसलर डॉ. मनीषा गौड़ से जानते हैं कि डिस्लेक्सिया के प्रति आमजन में जागरूकता क्यों जरूरी है. देश और दुनिया में विश्व डिस्लेक्सिया दिवस 8 अक्टूबर को मनाया जाता है. इस दिवस की थीम का कलर लाल है. वहीं, हर बार की थीम 'ब्रेकिंग थ्रू बेरियर' है. यह एक एक प्रकार का न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है जो पैदाइश के साथ ही होता. बच्चों में लिखने-पढ़ने की समस्या आम बात होती है, लेकिन डिस्लेक्सिया ग्रस्त बच्चों में यह समस्या अधिक रहती है. वह ठीक से अक्षरों को समझ नहीं पाते हैं. ऐसे बच्चों को लोग मानसिक रोगी समझने लगते है, जबकि वह बौद्धिक रूप से अन्य बच्चों के समान ही होते हैं. डिस्लेक्सिया ग्रस्त बच्चों की अपनी समस्याएं हैं. उन समस्याओं के प्रति आमजन को जागरूक करने के उद्देश्य से अमेरिका में डिस्लेक्सिया संगठन ने वर्ल्ड डिस्लेक्सिया डे सन 2002 से मनाना प्रारंभ किया. धीरे-धीरे इसे वैश्विक स्तर पर मनाए जाने लगा.

डिस्लेक्सिया का रंग लाल : क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट एवं काउंसलर डॉ. मनीषा गौड़ बताती हैं कि डिस्लेक्सिया ग्रस्त बच्चों की नोटबुक में सबसे ज्यादा लाल घेरे दिखाई देंगे, जो कि टीचर लाल पेन से गलतियों को पहचानकर बनाते हैं. इसलिए डिस्लेक्सिया का रंग लाल ही माना जाता है. डॉ. गौड़ बताती है कि डिस्लेक्सिया पीड़ित बच्चों की समस्या के बारे में आमजन को पता चल सके, ताकि उनका ऐसे बच्चों को सहयोग मिल सके, जिससे उनका मनोबल टूटे नहीं, बल्कि मनोबल और बढ़े. इस उद्देश्य के साथ वर्ल्ड डिस्लेक्सिया डे मनाया जाता है.

पढ़ें :Health Tips: शरीर पर नजर आएं बैंगनी धब्बे तो हो जाएं अलर्ट, हो सकता है पीड़ादायक चर्म रोग, जानें डिटेल

उन्होंने बताया कि डिस्लेक्सिया ग्रस्त बच्चों की बौद्धिक क्षमता सामान्य बच्चों की तरह ही होती है, लेकिन उन्हें पढ़ने-लिखने में दिक्कतें आती है. ऐसा नहीं है कि डिस्लेक्सिया पीड़ित बच्चे जीवन में सफल नहीं हो सकते. दुनिया में सैकड़ो उदाहरण है. इनमें कई बड़ी शख्सियत भी शामिल है जो बचपन से डिस्लेक्सिया से ग्रस्त थे और जीवन में उन्होंने बड़े मुकाम हासिल किए. मशहूर बॉलीवुड अभिनेता रितिक रोशन, अभिषेक बच्चन और बोमन ईरानी इस बीमारी से ग्रस्त हैं. हॉलीवुड में अभिनेता टॉम हॉलैंड और टॉम क्रूज भी डिस्लेक्सिया से जूझ रहे हैं. भौतिक विज्ञानी अल्बर्ट आइंस्टीन, अमेरिका के पहले राष्ट्रपति जॉर्ज वॉशिंगटन, बॉक्सर मोहम्मद अली, व्यवसायी रिचर्ड ब्रांसन, मशहूर पेंटर पाब्लो पिकासो के नाम भी इसी बीमारी से जुड़ा हैं.

डिस्लेक्सिया जन्मजात रोग : डॉ. गौड़ बताती हैं कि डिस्लेक्सिया रोग की पहचान बच्चों के 8 से 9 वर्ष की आयु के बाद होती है. हालांकि, बच्चों में जन्म से डिस्लेक्सिया होता. इसके आनुवांशिक कारण भी हो सकते हैं. वहीं, गर्भावस्था के दौरान होने वाली जटिल समस्याओं के कारण भी गर्भस्थ शिशु में डिस्लेक्सिया हो सकता है. बातचीत में उन्होंने बताया कि ऐसे बच्चों में मिरर इमेज देखना यानी अक्षरों में फर्क नहीं जानना शामिल है, जैसे b को d समझना, बोलना और लिखना. इससे ग्रसित बच्चे स्पेलिंग गलत पढ़ते है और बोलते है. शब्दों की पहचान नहीं कर पाते, रीडिंग में मुश्किलें आती है, अपनी बात कहने में ऐसे बच्चों को वक्त लगता है.

डिस्लेक्सिया ग्रस्त बच्चों को समझा जाता है मनोरोगी : डिस्लेक्सिया ग्रस्त बच्चों को सहयोग नहीं मिलने के कारण उनका मनोबल टूट जाता है. स्कूल में उनके दोस्त नहीं बनते, जागरूकता की कमी के कारण अन्य बच्चों की ओर से उपहास और घृणा मिलती है. डॉ. गौड़ बताती है कि ऐसे बच्चे पढ़ने में भले ही अच्छे ना हो लेकिन वह अन्य किसी भी गतिविधि में सामान्य बच्चों से बेहतर कर जाते हैं. डिस्लेक्सिया पीड़ित बच्चों को घर, स्कूल और बाहर दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है, जिसके कारण वे तनाव में आ जाते हैं. कभी-कभी निराशा इतनी बढ़ जाती है कि वह आत्मघाती विचार तक लाने लगते हैं. उन्होंने बताया कि डिस्लेक्सिया मनोरोग नहीं है. यह न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसके कारण बच्चों में तनाव आता है. यह अवस्था पागलपन नहीं है.

पढ़ें : Health Tips: मूड डिसऑर्डर मैनिया भी हो सकता है स्वभाव में बदलाव, इस रोग के बारे में जानिए डॉ. मनीषा गौड़ से

जीवन भर भी रह सकता है डिस्लेक्सिया : क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट एवं काउंसलर डॉ. मनीषा गौड़ बताती है कि डिस्लेक्सिया का कोई मेडिकल उपचार नहीं है. समय पर विभिन्न रेमेडीज थेरेपी दिए जाने से इसको नियंत्रित किया जा सकता है. ऐसे बच्चों को विभिन्न तकनीक सिखाई जाती है, जिससे ब्रेन सेल्स को रिवायरिंग किया जा सके. साथ ही अलग-अलग तकनीक के माध्यम से रीडिंग, राइटिंग, स्पेलिंग और शब्दों को पहचानने की क्षमता को स्पेशल एजुकेशन के माध्यम से बढ़ाया जाता है.

आम जन में जागरूकता बेहद जरूरी : डॉ. गौड़ बताती हैं कि आंकड़ों के अनुसार हर 10 बच्चें में से एक बच्चे को डिस्लेक्सिया होता है. डिस्लेक्सिया ग्रस्त बच्चों की अपनी समस्याएं होती है, जिसे समझना माता-पिता ही नहीं बल्कि शिक्षकों के लिए भी आवश्यक होता है. जागरूकता के अभाव में माता-पिता बच्चों के पढ़ने-लिखने और अक्षरों को समझ नहीं पाने के चक्कर में बच्चों पर दबाव बनाते हैं तो स्कूल में शिक्षक और बच्चें भी उसकी अवस्था को नहीं समझ पाते और मानसिक रूप से कमजोर समझने लगते है. इसलिए डिस्लेक्सिया के प्रति आमजन को जागरूक होना बहुत जरूरी है. ऐसे बच्चों को सामान्य बच्चों के माता-पिता, भाई-बहन और अन्य रिश्तेदारों का प्यार और सहयोग मिलना चाहिए. वहीं, स्कूल में भी उनके प्रति अनुकूल वातावरण होना चाहिए. उनसे किया गया दुर्व्यवहार उनकी तकलीफ को कम नहीं करता बल्कि और बढ़ा देता है.

डॉ. मनीषा गौड़ ने क्या कहा

अजमेर. डिस्लेक्सिया एक ऐसी बीमारी है, जिससे ग्रसित बच्चों को दुनिया पागल, मूर्ख और कम बुद्धि वाला कहकर संबोधित करती है, लेकिन सच्चाई इसके परे है. ये सच है कि डिस्लेक्सिया का सीधा संबंध मस्तिष्क से है, लेकिन ये बुद्धि को प्रभावित नहीं करती, बल्कि ये एक लर्निंग डिसेबिलिटी है.

क्या है डिस्लेक्सिया : स्कूल में कोई बच्चा ठीक से पढ़-लिख नहीं पा रहा है या उसे शब्दों को पहचानने में समस्या आ रही है तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह मानसिक रूप से कमजोर है. ऐसा बच्चा डिस्लेक्सिया ग्रसित भी हो सकता है. उसे मनोरोगी समझने की भूल न करें. उसे स्नेह और सहयोग करें. पढ़ाई में कमजोर मानकर किया गया दुर्व्यवहार ऐसे बच्चों के लिए घातक भी हो सकता है. अगर ऐसे बच्चों को सही मदद मिले तो वो भी बेहतरीन करियर बना सकते है. टेलिफोन के आविष्कारक ग्राहम बेल और महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन भी डिस्लेक्सिया पीड़ित थे, लेकिन उन्होंने वो मुकाम हासिल किया, जो मानव के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन लाया.

वर्ल्ड डिस्लेक्सिया डे 2023
डिस्लेक्सिया ग्रस्त बच्चों को समझा जाता है मनोरोगी

विश्व डिस्लेक्सिया दिवस 8 अक्टूबर को : क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट एवं काउंसलर डॉ. मनीषा गौड़ से जानते हैं कि डिस्लेक्सिया के प्रति आमजन में जागरूकता क्यों जरूरी है. देश और दुनिया में विश्व डिस्लेक्सिया दिवस 8 अक्टूबर को मनाया जाता है. इस दिवस की थीम का कलर लाल है. वहीं, हर बार की थीम 'ब्रेकिंग थ्रू बेरियर' है. यह एक एक प्रकार का न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है जो पैदाइश के साथ ही होता. बच्चों में लिखने-पढ़ने की समस्या आम बात होती है, लेकिन डिस्लेक्सिया ग्रस्त बच्चों में यह समस्या अधिक रहती है. वह ठीक से अक्षरों को समझ नहीं पाते हैं. ऐसे बच्चों को लोग मानसिक रोगी समझने लगते है, जबकि वह बौद्धिक रूप से अन्य बच्चों के समान ही होते हैं. डिस्लेक्सिया ग्रस्त बच्चों की अपनी समस्याएं हैं. उन समस्याओं के प्रति आमजन को जागरूक करने के उद्देश्य से अमेरिका में डिस्लेक्सिया संगठन ने वर्ल्ड डिस्लेक्सिया डे सन 2002 से मनाना प्रारंभ किया. धीरे-धीरे इसे वैश्विक स्तर पर मनाए जाने लगा.

डिस्लेक्सिया का रंग लाल : क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट एवं काउंसलर डॉ. मनीषा गौड़ बताती हैं कि डिस्लेक्सिया ग्रस्त बच्चों की नोटबुक में सबसे ज्यादा लाल घेरे दिखाई देंगे, जो कि टीचर लाल पेन से गलतियों को पहचानकर बनाते हैं. इसलिए डिस्लेक्सिया का रंग लाल ही माना जाता है. डॉ. गौड़ बताती है कि डिस्लेक्सिया पीड़ित बच्चों की समस्या के बारे में आमजन को पता चल सके, ताकि उनका ऐसे बच्चों को सहयोग मिल सके, जिससे उनका मनोबल टूटे नहीं, बल्कि मनोबल और बढ़े. इस उद्देश्य के साथ वर्ल्ड डिस्लेक्सिया डे मनाया जाता है.

पढ़ें :Health Tips: शरीर पर नजर आएं बैंगनी धब्बे तो हो जाएं अलर्ट, हो सकता है पीड़ादायक चर्म रोग, जानें डिटेल

उन्होंने बताया कि डिस्लेक्सिया ग्रस्त बच्चों की बौद्धिक क्षमता सामान्य बच्चों की तरह ही होती है, लेकिन उन्हें पढ़ने-लिखने में दिक्कतें आती है. ऐसा नहीं है कि डिस्लेक्सिया पीड़ित बच्चे जीवन में सफल नहीं हो सकते. दुनिया में सैकड़ो उदाहरण है. इनमें कई बड़ी शख्सियत भी शामिल है जो बचपन से डिस्लेक्सिया से ग्रस्त थे और जीवन में उन्होंने बड़े मुकाम हासिल किए. मशहूर बॉलीवुड अभिनेता रितिक रोशन, अभिषेक बच्चन और बोमन ईरानी इस बीमारी से ग्रस्त हैं. हॉलीवुड में अभिनेता टॉम हॉलैंड और टॉम क्रूज भी डिस्लेक्सिया से जूझ रहे हैं. भौतिक विज्ञानी अल्बर्ट आइंस्टीन, अमेरिका के पहले राष्ट्रपति जॉर्ज वॉशिंगटन, बॉक्सर मोहम्मद अली, व्यवसायी रिचर्ड ब्रांसन, मशहूर पेंटर पाब्लो पिकासो के नाम भी इसी बीमारी से जुड़ा हैं.

डिस्लेक्सिया जन्मजात रोग : डॉ. गौड़ बताती हैं कि डिस्लेक्सिया रोग की पहचान बच्चों के 8 से 9 वर्ष की आयु के बाद होती है. हालांकि, बच्चों में जन्म से डिस्लेक्सिया होता. इसके आनुवांशिक कारण भी हो सकते हैं. वहीं, गर्भावस्था के दौरान होने वाली जटिल समस्याओं के कारण भी गर्भस्थ शिशु में डिस्लेक्सिया हो सकता है. बातचीत में उन्होंने बताया कि ऐसे बच्चों में मिरर इमेज देखना यानी अक्षरों में फर्क नहीं जानना शामिल है, जैसे b को d समझना, बोलना और लिखना. इससे ग्रसित बच्चे स्पेलिंग गलत पढ़ते है और बोलते है. शब्दों की पहचान नहीं कर पाते, रीडिंग में मुश्किलें आती है, अपनी बात कहने में ऐसे बच्चों को वक्त लगता है.

डिस्लेक्सिया ग्रस्त बच्चों को समझा जाता है मनोरोगी : डिस्लेक्सिया ग्रस्त बच्चों को सहयोग नहीं मिलने के कारण उनका मनोबल टूट जाता है. स्कूल में उनके दोस्त नहीं बनते, जागरूकता की कमी के कारण अन्य बच्चों की ओर से उपहास और घृणा मिलती है. डॉ. गौड़ बताती है कि ऐसे बच्चे पढ़ने में भले ही अच्छे ना हो लेकिन वह अन्य किसी भी गतिविधि में सामान्य बच्चों से बेहतर कर जाते हैं. डिस्लेक्सिया पीड़ित बच्चों को घर, स्कूल और बाहर दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है, जिसके कारण वे तनाव में आ जाते हैं. कभी-कभी निराशा इतनी बढ़ जाती है कि वह आत्मघाती विचार तक लाने लगते हैं. उन्होंने बताया कि डिस्लेक्सिया मनोरोग नहीं है. यह न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसके कारण बच्चों में तनाव आता है. यह अवस्था पागलपन नहीं है.

पढ़ें : Health Tips: मूड डिसऑर्डर मैनिया भी हो सकता है स्वभाव में बदलाव, इस रोग के बारे में जानिए डॉ. मनीषा गौड़ से

जीवन भर भी रह सकता है डिस्लेक्सिया : क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट एवं काउंसलर डॉ. मनीषा गौड़ बताती है कि डिस्लेक्सिया का कोई मेडिकल उपचार नहीं है. समय पर विभिन्न रेमेडीज थेरेपी दिए जाने से इसको नियंत्रित किया जा सकता है. ऐसे बच्चों को विभिन्न तकनीक सिखाई जाती है, जिससे ब्रेन सेल्स को रिवायरिंग किया जा सके. साथ ही अलग-अलग तकनीक के माध्यम से रीडिंग, राइटिंग, स्पेलिंग और शब्दों को पहचानने की क्षमता को स्पेशल एजुकेशन के माध्यम से बढ़ाया जाता है.

आम जन में जागरूकता बेहद जरूरी : डॉ. गौड़ बताती हैं कि आंकड़ों के अनुसार हर 10 बच्चें में से एक बच्चे को डिस्लेक्सिया होता है. डिस्लेक्सिया ग्रस्त बच्चों की अपनी समस्याएं होती है, जिसे समझना माता-पिता ही नहीं बल्कि शिक्षकों के लिए भी आवश्यक होता है. जागरूकता के अभाव में माता-पिता बच्चों के पढ़ने-लिखने और अक्षरों को समझ नहीं पाने के चक्कर में बच्चों पर दबाव बनाते हैं तो स्कूल में शिक्षक और बच्चें भी उसकी अवस्था को नहीं समझ पाते और मानसिक रूप से कमजोर समझने लगते है. इसलिए डिस्लेक्सिया के प्रति आमजन को जागरूक होना बहुत जरूरी है. ऐसे बच्चों को सामान्य बच्चों के माता-पिता, भाई-बहन और अन्य रिश्तेदारों का प्यार और सहयोग मिलना चाहिए. वहीं, स्कूल में भी उनके प्रति अनुकूल वातावरण होना चाहिए. उनसे किया गया दुर्व्यवहार उनकी तकलीफ को कम नहीं करता बल्कि और बढ़ा देता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.