किशनगढ़ (अजमेर). एशिया की सुप्रसिद्ध मार्बल मंडी के नाम से विख्यात मार्बल सिटी किशनगढ़ में कोरोना संघर्ष के बीच मार्बल व्यवसाय ने फिर से रफ्तार पकड़ ली है. लॉकडाउन के दौरान मार्बल व्यवसाय ने करोड़ों रुपए की मार झेली और सरकार को भी करोड़ो के राजस्व की हानि हुई. बहरहाल शहर के जनप्रतिनिधियों और मार्बल एसोसिएशन के प्रयास के बाद मार्बल व्यवसाय फिर से पटरी पे आ गया है.
मार्बल व्यवसाइयों ने नए जोश और हौसलों को रफ्तार देते हुए अपना व्यवसाय शुरू कर दिया है. सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन की पालना करते हुए व्यवसायियों ने व्यापार शुरू कर दिया है. लॉकडाउन में बंद पड़े व्यवसाय में सुखद खबर ये भी है कि अब प्रतिदिन करीब 200 से 250 गाड़ियों का डिस्पैच होने लगा है. मार्बल एसोसिएशन अध्यक्ष सुधीर जैन ने बताया कि हमारे व्यवसायी संकट की घड़ी में शहर के साथ खड़े थे और आगे भी रहंगे. व्यापारियों ने सरकार के निर्देश की पालना करते हुए सोशल डिस्टनेस बनाते हुए व्यपार शुरू कर दिया है. लॉकडाउन के चलते बाहर से व्यापारी और कस्टमर तो नही आ रहे मगर ऑनलाइन ऑर्डर मिलने से मार्बल व्यवसाय ने गति पकड़ ली है.
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बता दे की लॉकडाउन से पहले करीब 350 गाड़ियों का डिस्पैच होता था. पर अभी 200 से 250 गाड़ियों का डिस्पैच हो रहा है. जो आगे के व्यापार के लिए अच्छा संकेत है. हालांकि श्रमिकों का पलायन व्यवसायियों और मार्बल उद्योग के लिए परेशानी बना हुआ है. मजदूरों के पलायन के चलते मार्बल प्रोसेसिंग में समस्या आ रही है. किशनगढ़ मार्बल मंडी का वर्चस्व देश-विदेश में कितना है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की पहले यहां प्रतिदिन सौकड़ों बाहरी गोदामों के मालिक और सैकड़ों ग्राहक यहां मार्बल ग्रेनाइट खरीदने आते थे. अब हालात यह है की विगत 2 माह से लॉकडाउन के चलते व्यापार ठप्प पड़ा था. व्यपारियों का कहना है कि जुलाई के बाद अगर सब ठीक ठाक रहा तो व्यापार अपनी रफ्तार पकड़ पायेगा.