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अजमेरः नसीराबाद में वाटर स्टोरेज टैंक की दरकार, पहली बार राज्य सरकार के अनुदान से जगी जनता की उम्मीदें

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Published : Jun 27, 2020, 12:10 PM IST

अजमेर के नसीराबाद में मूलभूत आवश्यकता और विकास कार्यों के लिए 1 करोड़ 51 लाख रुपए की राजस्व अनुदान राशी दी गई है. लेकिन अभी कस्बे को वाटर स्टोरेज टैंक की आवश्यक्ता अधिक है. क्योंकि वर्तमान में जो पानी की टंकियां हैं उनकी भराव क्षमता काफी कम हैं. जिस वजह से यहां

नसीराबाद में पानी टैंकर, Water tanker in nasirabad
नसीराबाद में वाटर स्टोरेज टैंक की दरकार

नसीराबाद (अजमेर). केंद्र सरकार के रक्षा मंत्रालय के अधीन स्थानीय निकाय छावनी परिषद को पहली बार राज्य सरकार ने क्षेत्र में मूलभूत आवश्यकता और विकास कार्यों के लिए 1 करोड़ 51 लाख रुपए की राजस्व अनुदान राशी दी. जिससे की विकास कार्य को अमली जामा पहनाया जा सके. फिलहाल कस्बे को वाटर स्टोरेज टैंक की आवश्यक्ता है. जिसमे जल आपूर्ति बाधित होने पर जल संग्रह किया जा सके.

नसीराबाद में वाटर स्टोरेज टैंक की दरकार

जब ईटीवी भारत ने कस्बे की पेयजल आपूर्ति की पड़ताल की तो कई चौकाने वाले तथ्य सामने आए. जैसे कोटा रोड स्थित छावनी परिषद के निकट निर्मित दो टंकियां जिनसे कस्बे में पेयजल आपूर्ति होती है, दोनों पानी की टंकियों की भराव क्षमता पोने तीन लाख गैलन है. वहीं. दोनों टंकी करीब 35 साल पुरानी है. जिनकी गत 6 मई 2016 के बाद सफाई नहीं हुई है, जिससे कस्बे वासी दूषित जल पीने को मजबूर हैं.

पढ़ेंः प्रकृति से सामंजस्य बनाएं वरना रौद्र रूप दिखा देगी : राज्यपाल

वहीं परिषद के वाटर पंप हॉउस पर लगी मोटरें भी काफी पुरानी हो गई हैं और उनमे जंग लगा है. जिस वजह से पानी की स्पीड कम हो गई है और टंकियों के भरने में ज्यादा समय लगता है. जानकारी के अनुसार छावनी परिषद ने सन 1995 में कस्बे की पेयजल व्यवस्था को लेकर वाटर पंप हाउस स्थापित किया गया था. जलदाय विभाग से पानी लेकर कस्बे को अपने पंप हाउस में दो पानी की टंकिया में पानी का स्टोरेज कर कस्बे को पेयजल वितरण व्यवस्था शुरू की थी. उस समय कस्बे की आबादी करीब 25 हजार थी जबकि आज कस्बे की आबादी करीब 50 हजार से भी ज्यादा है. जिसके कारण वर्तमान में टैंक में बनी दोनों टंकियां जिनकी क्षमता करीब 6 लाख गैलन की है, जो कस्बे के लिए काफी नहीं है.

पढ़ेंः बीकानेर : आमने-सामने टक्कर के बाद ट्रक और डंपर में लगी आग, दोनों के चालक जिंदा जले

क्योंकि मैजुदा हालत में कस्बे को दस लाख गैलन पानी की आवश्यकता है. बीसलपुर पाइपलाइन क्षतिग्रस्त होने पर जल आपूर्ति बाधित होने से कस्बे को पेयजल वितरण समय पर नहीं हो पाता है. हालांकि पिछले साल छावनी परिषद ने कस्बे की पेयजल व्यवस्था में सुधार के लिये पंप हाउस पर करीब 5 लाख रुपए की लागत से एक बोरिंग खुदवाया था. लेकिन उसके बावजूद भी कस्बे की पेयजल व्यवस्था में सुधार नहीं आया. नगर कांग्रेस अध्यक्ष अजय गोड़ ने ईटीवी भारत को बताया की विकास कार्यों के लिए करीब डेढ़ करोड़ की राशी राज्य सरकार ने छावनी परिषद को दी है. जिसमें से यदि पेयजल के लिये स्टोरेज टैंक बन जाए तो कस्बे को पेयजल समस्या से मुक्ति मिलेगी .

नसीराबाद (अजमेर). केंद्र सरकार के रक्षा मंत्रालय के अधीन स्थानीय निकाय छावनी परिषद को पहली बार राज्य सरकार ने क्षेत्र में मूलभूत आवश्यकता और विकास कार्यों के लिए 1 करोड़ 51 लाख रुपए की राजस्व अनुदान राशी दी. जिससे की विकास कार्य को अमली जामा पहनाया जा सके. फिलहाल कस्बे को वाटर स्टोरेज टैंक की आवश्यक्ता है. जिसमे जल आपूर्ति बाधित होने पर जल संग्रह किया जा सके.

नसीराबाद में वाटर स्टोरेज टैंक की दरकार

जब ईटीवी भारत ने कस्बे की पेयजल आपूर्ति की पड़ताल की तो कई चौकाने वाले तथ्य सामने आए. जैसे कोटा रोड स्थित छावनी परिषद के निकट निर्मित दो टंकियां जिनसे कस्बे में पेयजल आपूर्ति होती है, दोनों पानी की टंकियों की भराव क्षमता पोने तीन लाख गैलन है. वहीं. दोनों टंकी करीब 35 साल पुरानी है. जिनकी गत 6 मई 2016 के बाद सफाई नहीं हुई है, जिससे कस्बे वासी दूषित जल पीने को मजबूर हैं.

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वहीं परिषद के वाटर पंप हॉउस पर लगी मोटरें भी काफी पुरानी हो गई हैं और उनमे जंग लगा है. जिस वजह से पानी की स्पीड कम हो गई है और टंकियों के भरने में ज्यादा समय लगता है. जानकारी के अनुसार छावनी परिषद ने सन 1995 में कस्बे की पेयजल व्यवस्था को लेकर वाटर पंप हाउस स्थापित किया गया था. जलदाय विभाग से पानी लेकर कस्बे को अपने पंप हाउस में दो पानी की टंकिया में पानी का स्टोरेज कर कस्बे को पेयजल वितरण व्यवस्था शुरू की थी. उस समय कस्बे की आबादी करीब 25 हजार थी जबकि आज कस्बे की आबादी करीब 50 हजार से भी ज्यादा है. जिसके कारण वर्तमान में टैंक में बनी दोनों टंकियां जिनकी क्षमता करीब 6 लाख गैलन की है, जो कस्बे के लिए काफी नहीं है.

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क्योंकि मैजुदा हालत में कस्बे को दस लाख गैलन पानी की आवश्यकता है. बीसलपुर पाइपलाइन क्षतिग्रस्त होने पर जल आपूर्ति बाधित होने से कस्बे को पेयजल वितरण समय पर नहीं हो पाता है. हालांकि पिछले साल छावनी परिषद ने कस्बे की पेयजल व्यवस्था में सुधार के लिये पंप हाउस पर करीब 5 लाख रुपए की लागत से एक बोरिंग खुदवाया था. लेकिन उसके बावजूद भी कस्बे की पेयजल व्यवस्था में सुधार नहीं आया. नगर कांग्रेस अध्यक्ष अजय गोड़ ने ईटीवी भारत को बताया की विकास कार्यों के लिए करीब डेढ़ करोड़ की राशी राज्य सरकार ने छावनी परिषद को दी है. जिसमें से यदि पेयजल के लिये स्टोरेज टैंक बन जाए तो कस्बे को पेयजल समस्या से मुक्ति मिलेगी .

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