अजमेर. विश्व विख्यात सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के उर्स पर दरगाह में हाजरी देने के लिए लाखों जायरीन अजमेर आए हुए हैं. इनमें बड़ी संख्या में गरीब तबके के जायरीन हैं. कायड़ विश्राम स्थली में 80 हजार से भी अधिक संख्या में गरीब तबके के जायरीन ठहरे हुए हैं. देश के कोने-कोने से आए जायरीन की भाषा-पहनावा अलग अलग है, लेकिन उनका मकसद ख्वाजा की दरगाह में हाजरी लगाना है. कायड़ विश्राम स्थली में इतनी बड़ी तादाद में जायरीन के होने से लगता है कि यहां जायरीन का बड़ा गांव बस गया है.
सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती को ख्वाजा गरीब नवाज भी कहते हैं. बताया जाता है कि सैकड़ों मीलों का सफर तय कर जायरीन ख्वाजा की दरगाह में खाली झोलियां लेकर आते हैं और यहां से झोलिया भर कर जाते हैं. यहां हर जायज मन्नत पूरी होती है. इस अकीदे के साथ ख्वाजा के उर्स में बड़ी संख्या में जायरीन पहुंचे हैं. ख्वाजा के चाहने वालों में अमीर गरीब, चोर-साहूकार हर आयु धर्म के लोग आते हैं.
उर्स पर आने वाले जायरीन में बड़ी संख्या गरीब तबके के जायरीन की होती है. स्थानीय प्रशासन और दरगाह कमेटी की ओर से गरीब तबके के जायरीन के लिए कायड़ विश्राम स्थली में रहने, खाने-पीने की समुचित व्यवस्था की गई है. कायड़ विश्राम स्थली पर जायरीन की मूलभूत सुविधाओं के साथ उनकी जरूरत का सामान भी यहां उपलब्ध है. यहां कई दानदाताओं की ओर से लंगर चलाये जा रहे हैं, जहां निशुल्क और पौष्टिक भोजन जायरीन को मिल रहा है. इसके अलावा जायरीन प्रशासन की ओर से रियायती दर पर खाद्य सामग्री और गैस चूल्हा भी उपलब्ध है.
सुरक्षा के लिहाज से विश्रामस्थली में अस्थाई चौकी स्थापित की गई है. सिविल डिफेंस के अलावा सीसीटीवी कैमरे से भी यहां चप्पे-चप्पे पर नजर रखी जा रही है. महिला और पुरुषों के लिए अलग-अलग शौचालय बने हुए हैं. महिलाओं के लिए अलग से स्नानघर है. कायल विश्राम स्थली में नमाज के लिए भी व्यवस्था की गई है. वहीं, नमाज से पहले वजू बनाने के लिए भी व्यवस्था है. कायड़ विश्राम स्थली में हर तरफ टेंट और जायरीन नजर आते हैं. यहां का मंजर जायरीन के गांव सा लगता है.
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80 हजार से अधिक जायरीन है ठहरे : दरगाह कमेटी में कार्यालय अधीक्षक अब्दुल रहमान बताते है कि गाइड विश्राम स्थली में जायरीन के लिए बेहतर सहूलियते उपलब्ध करवाई गई है. सभी विभागों की ओर से यहां अलग अलग व्यवस्थाएं हैं. सर्दी से बचाव के लिए जायरीन को शेड में ठहराया जा रहा है. विश्राम स्थल पर चार मंजिला एक और दो मंजिला एक बड़ी डॉरमेट्री है. इनके अलावा 15 डोम बनाए गए हैं. प्राइवेट टेंट में भी ज्यादातर लोग ठहरे हुए हैं. यहां पानी, बिजली, सफाई की व्यवस्था के साथ ही जायरीन को चिकित्सा सुविधा भी उपलब्ध है. जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की टीम यहां मौजूद है.
वहीं, कोलकाता से भी मेडिकल से जुड़े 40 लोग अपनी सेवाएं दे रहे हैं. विश्राम स्थली में कई बड़े दानदाताओं की ओर से लंगर चलाए जा रहे हैं. यहां 80 हजार से भी अधिक जायरीन ठहरे हुए हैं. जायरीन की जरूरत का हर समान यहां अस्थाई मार्केट में उपलब्ध है. यहां से दरगाह के लिए जाने के लिए रोडवेज की 60 के लगभग बसे लगी हुई हैं. दरगाह नाजिम और प्रशासनिक अधिकारी लगातार व्यवस्थाओं की मॉनिटरिंग कर रहे हैं.
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यूपी में बलिया से 60 जायरीन के दल में शामिल मोहम्मद सगीर अंसारी ने बताया कि 10 वर्ष से वह ख्वाजा गरीब नवाज के उर्स में हाजरी देने के लिए आ रहे हैं. ख्वाजा के दरबार में यहां कोई तकलीफ नहीं है. सभी मूलभूत और जरूरत के सामान विश्रामस्थली पर मौजूद है. परिवार में खुशहाली, बच्चों की सलामती और घर में बरकत आए ये दुआएं ख्वाजा की बारगाह में की है.
बाहर से आए व्यापारियों को अच्छे कारोबार की उम्मीद : कायड़ विश्राम स्थली में अस्थाई बाजार में अन्य राज्यों से भी कई व्यापारी व्यापार आए हुए हैं. कायल विश्राम स्थली में जायरीन की बढ़ती आवक को देखते हुए व्यापारियों के चेहरे भी खिले हुए हैं. व्यापारियों ने बताया कि खरीदारी अच्छी हो रही है. इस बार कारोबार अच्छा होने की उम्मीद है. मुरादाबाद के समीप बेल्लारी से आए कंबल व्यापारी हप्पू राजा बताते हैं कि यूपी के कई जिलों और बिहार से भी कई व्यापारी व्यापार के लिए आए हुए हैं. उन्होंने बताया कि वह 25 वर्षों से उर्स में अजमेर आ रहे हैं. इस बार व्यापार अच्छा होने की उम्मीद है.