अजमेर. बजरंगगढ़ काला बाग स्थित प्राचीन और प्रसिद्ध शीतला माता मंदिर में शीतला सप्तमी इस बार भी धूम-धाम से मनाई जाएगी. जहां शीतला माता मंदिर के पुजारी इंदर चंद प्रजापति ने जानकारी देते हुए बताया कि 15 मार्च को रांधा पुआ होगा, तो वहीं शीतला माता को पहला भोग भी मंदिर की ओर से लगाए जाएगा. जिसके बाद 16 और 17 मार्च को बजरंगढ़ सर्किल से सुभाष उद्यान के बीच शीतला सप्तमी का मेला भरेगा. मेले में खिलौने, बर्तन, इलेक्ट्रॉनिक सामान, पकवान की दुकानें और झूले भी लगेंगे.
काफी प्राचीन है मंदिर
बता दें कि काला बाग का शीतला माता मंदिर काफी प्राचीन है. जिसकी स्थापना अजमेर के लोढ़ा परिवार की ओर से की गई थी. जहां वह नागौर से शीतला माता की मूर्ति अजमेर लेकर आए. यह अजमेर के प्रसिद्ध मंदिरों में शुमार प्राचीन मंदिर है. जहां परंपरिक मान्यता के अनुसार नवविवाहित जोड़े इस स्थान पर रोक लगाने आते हैं, इसके साथ ही यहां पर शीतला को पानी में ठंडा खाने का भोग लगाने पर चिकन पॉक्स और अन्य बीमारियां भी पास नहीं आती हैं.
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शीतला सप्तमी की खास मान्यता
होली पर्व के बाद 7 दिन बाद शीतला सप्तमी की पूजा की जाती है. जहां पारंपरिक मान्यता के अनुसार इस दिन ठंडा भोजन ही किया जाता है. कोई भी पदार्थ व्यंजन घर में गर्म नहीं बनाया जाता. महिलाएं-पुरुष शीतला माता को जल, दही, ठंडे चावल, पपड़ी, लापसी और अन्य व्यंजनों का भोग लगाती हैं. जिसके बाद महिलाएं समूह में कहानी सुनकर घर - परिवार की खुशहाली की कामना करती है.
सुंदर देवी प्रजापति ने जानकारी देते हुए बताया कि मंदिर पर शीतला सप्तमी के मौके पर सुबह से ही मंदिर पर भीड़ जमा हो जाती है. जहां लोगों का तांता लगा रहता है. जिस पर लोग ठंडे भोजन का माता को भोग लगाते हैं और ठंडी पानी की चरियां माता पर डालते हैं. ऐसा माना जाता है. माता को ठंडा खाना भोग लगाने में ठंडी चरिया पानी की डालने से चिकन पॉक्स या अन्य बीमारियां भी पास नहीं आती हैं.
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मेले की तैयारियां हुई शुरू
मंदिर पर मेले की तैयारियों को लेकर सभी व्यवस्थाओं को पूर्ण कर लिया गया है. गुंबद और दीवारों पर पेंटिंग का कार्य जारी है. इसके साथ ही मंदिर में भी रिपेयरिंग की जा रही है रास्ते में लगे पेड़ों को भी हटाया गया है. जिससे मेले के दौरान किसी तरह की समस्याओं का सामना ना करना पड़े. इसका भी खासतौर से ध्यान रखा जा रहा है. वहीं मेले के दौरान सुरक्षा जाता भी मौजूद रहेगा. जिससे मेले में किसी तरह के बगदाणा ना हो इसका भी खासतौर से ध्यान रखा जाएगा.