ETV Bharat / state

Special: आंवले पर अस्तित्व का संकट, कम भावों ने पुष्कर के किसानों की बढ़ा दी चिंता

देश भर में अपनी पहचान बना चुका तीर्थ नगरी पुष्कर का देसी आंवला अब बदलते दौर में अपना अस्तित्व खोता जा रहा है. इससे किसानों में देसी आंवलों के उत्पादन में अब कम रुचि रह गई है.

Pushkar famous gooseberry, sale is decreasing, पुष्कर न्यूज, pushkar latest news, अजमेर न्यूज,  पुष्कर का प्रसिद्ध आंवला
पुष्कर के प्रसिद्ध देसी आंवलों पर मंडराने लगा संकट...
author img

By

Published : Dec 9, 2019, 2:36 PM IST

पुष्कर (अजमेर). पुष्कर के ग्रामीण अंचल में पानी की भारी कमी के कारण गन्नों की खेती के विकल्प में आंवले के उत्पादन को शुरू किया. लेकिन बदलते व्यावसायिक परिपेक्ष के चलते अब देसी आंवलों की बिक्री में भारी कमी देखने को मिल रही है.

पुष्कर के प्रसिद्ध देसी आंवलों पर मंडराने लगा संकट...

बता दें कि आंवला स्वास्थ्य के लिए गुणकारी और फायदेमंद होता है. साथ ही व्यावसायिक दृष्टि से भी आंवले का बहुत महत्व है. इसमें विटामिन सी भरपूर मात्रा में होता है. पुष्कर क्षेत्र में पिछले 20 साल से आंवला उत्पादन का सिलसिला शुरू हुआ था, जिसके चलते आज हर फार्म हाउस और खेत आंवले के पेड़ों से अटे पड़े हैं.

पेड़ों पर नजर आ रहे आंवले ही आंवले...

सर्दी शुरू होने के साथ ही पेड़ों पर आंवले ही आंवले नजर आ रहे हैं. लेकिन ग्राफ्टेड आंवलों की डिमांड अधिक होने के कारण देसी आंवलों की बिक्री में भारी गिरावट देखी जा रही है. किसानों का कहना है कि ग्राफ्टेड आंवले की बिक्री अत्यधिक हो रही है, जिसका सीधा असर देसी आंवले की बिक्री पर पड़ रहा है.

ग्राफ्टेड आंवला में और देसी आंवले में अंतर...

बता दें कि ग्राफ्टेड आंवले दिखने में मोटे होते हैं और मुरब्बे, आचार, औषधियों के लिए ज्यादा इस्तेमाल किए जा रहे हैं. वहीं देसी आंवला विटामिन सी से भरा होता है और शरीर के लिए अत्यधिक फायदेमंद होता है. लेकिन ग्राफ्टेड आंवले की बाजार में ज्यादा मांग है.

यह भी पढ़ेंः सीएम गहलोत ने कहा- देश का लोकतांत्रिक माहौल ठीक नहीं, राष्ट्रवाद और अनुच्छेद 370 के नाम पर हो रही राजनीति

कैंडी उत्पादन के उद्योग विकसित...

दूसरी ओर आंवले की अत्यधिक खेती होने से पुष्कर में आंवले का मुरब्बा, कैंडी उत्पादन के उद्योग विकसित हो गए हैं. यहां माल का उत्पादन होकर एक्सपोर्ट हो रहा है. साथ ही आंवले को सुखाकर एवं पाउडर तैयार कर औषधियों के लिए भी सप्लाई किया जा रहा है.

आंवले के भाव गिरे...

बता दें कि इस साल अच्छी बारिश होने के बावजूद भी आंवले के भाव गिरे हैं. पूर्व में प्रति किग्रा भाव 20 से 25 रुपए था. जो लुढ़ककर 10 से 15 रुपए किग्रा तक रह गया है.

यह भी पढ़ें : स्पेशल: गौशालाओं में बदइंतजामी! 250 गायों की जगह रख रहे 350 गायें, सरकारी अनुदान के बाद भी स्थिति जस की तस

देश-विदेश में हो रहा निर्यात...

गौरतलब है कि तीर्थ नगरी पुष्कर सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से आंवला गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, दिल्ली सहित विभिन्न राज्यों में ही नहीं विदेशों में भी निर्यात किया जाता है. यही नहीं डाबर, पातंजलि, जैसी प्रतिष्ठान भी पुष्कर के किसानों से आंवलों का क्रय करते हैं.

ऐसे में पुष्कर के देसी आंवले को बचाने का सरकार को प्रयास करना चाहिए. जिससे किसानों का रोजगार बना रहे और लोगों को इसका महत्व समझ में आए और देसी आंवलों के उत्पादन में किसान रुचि दिखाए.

पुष्कर (अजमेर). पुष्कर के ग्रामीण अंचल में पानी की भारी कमी के कारण गन्नों की खेती के विकल्प में आंवले के उत्पादन को शुरू किया. लेकिन बदलते व्यावसायिक परिपेक्ष के चलते अब देसी आंवलों की बिक्री में भारी कमी देखने को मिल रही है.

पुष्कर के प्रसिद्ध देसी आंवलों पर मंडराने लगा संकट...

बता दें कि आंवला स्वास्थ्य के लिए गुणकारी और फायदेमंद होता है. साथ ही व्यावसायिक दृष्टि से भी आंवले का बहुत महत्व है. इसमें विटामिन सी भरपूर मात्रा में होता है. पुष्कर क्षेत्र में पिछले 20 साल से आंवला उत्पादन का सिलसिला शुरू हुआ था, जिसके चलते आज हर फार्म हाउस और खेत आंवले के पेड़ों से अटे पड़े हैं.

पेड़ों पर नजर आ रहे आंवले ही आंवले...

सर्दी शुरू होने के साथ ही पेड़ों पर आंवले ही आंवले नजर आ रहे हैं. लेकिन ग्राफ्टेड आंवलों की डिमांड अधिक होने के कारण देसी आंवलों की बिक्री में भारी गिरावट देखी जा रही है. किसानों का कहना है कि ग्राफ्टेड आंवले की बिक्री अत्यधिक हो रही है, जिसका सीधा असर देसी आंवले की बिक्री पर पड़ रहा है.

ग्राफ्टेड आंवला में और देसी आंवले में अंतर...

बता दें कि ग्राफ्टेड आंवले दिखने में मोटे होते हैं और मुरब्बे, आचार, औषधियों के लिए ज्यादा इस्तेमाल किए जा रहे हैं. वहीं देसी आंवला विटामिन सी से भरा होता है और शरीर के लिए अत्यधिक फायदेमंद होता है. लेकिन ग्राफ्टेड आंवले की बाजार में ज्यादा मांग है.

यह भी पढ़ेंः सीएम गहलोत ने कहा- देश का लोकतांत्रिक माहौल ठीक नहीं, राष्ट्रवाद और अनुच्छेद 370 के नाम पर हो रही राजनीति

कैंडी उत्पादन के उद्योग विकसित...

दूसरी ओर आंवले की अत्यधिक खेती होने से पुष्कर में आंवले का मुरब्बा, कैंडी उत्पादन के उद्योग विकसित हो गए हैं. यहां माल का उत्पादन होकर एक्सपोर्ट हो रहा है. साथ ही आंवले को सुखाकर एवं पाउडर तैयार कर औषधियों के लिए भी सप्लाई किया जा रहा है.

आंवले के भाव गिरे...

बता दें कि इस साल अच्छी बारिश होने के बावजूद भी आंवले के भाव गिरे हैं. पूर्व में प्रति किग्रा भाव 20 से 25 रुपए था. जो लुढ़ककर 10 से 15 रुपए किग्रा तक रह गया है.

यह भी पढ़ें : स्पेशल: गौशालाओं में बदइंतजामी! 250 गायों की जगह रख रहे 350 गायें, सरकारी अनुदान के बाद भी स्थिति जस की तस

देश-विदेश में हो रहा निर्यात...

गौरतलब है कि तीर्थ नगरी पुष्कर सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से आंवला गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, दिल्ली सहित विभिन्न राज्यों में ही नहीं विदेशों में भी निर्यात किया जाता है. यही नहीं डाबर, पातंजलि, जैसी प्रतिष्ठान भी पुष्कर के किसानों से आंवलों का क्रय करते हैं.

ऐसे में पुष्कर के देसी आंवले को बचाने का सरकार को प्रयास करना चाहिए. जिससे किसानों का रोजगार बना रहे और लोगों को इसका महत्व समझ में आए और देसी आंवलों के उत्पादन में किसान रुचि दिखाए.

Intro:पुष्कर(अजमेर) तीर्थ नगरी पुष्कर के नाम से पूरे देश भर में अपनी पहचान बना चुका देशी आंवला अब बदलते दौर में अपना अस्तित्व खोता जा रहा है । जिससे किसानों में देशी आंवलो के उत्पादन में अब कम रुचि रह गई है ।

Body:पुष्कर के ग्रामीण अंचल में पानी की भारी कमी के कारण गन्नो की खेती के विकल्प में आंवले के उत्पादन को शुरू किया । पर बदलते व्यावसायिक परिपेक्ष के चलते अब देशी आंवलो की बिक्री में भारी कमी देखने को मिल रही है । आंवला स्वास्थ्य के लिए गुणकारी एवं फायदेमंद है। साथ ही व्यावसायिक दृष्टि से भी आंवले का बहुत महत्व है। इसमें विटामिन सी भरपूर मात्रा में होता है। पुष्कर क्षेत्र में पिछले 20 वर्षो में आंवला उत्पादन का सिलसिला शुरू क्या हुआ आज हर फार्म हाउस एवं खेत आंवले के पेड़ों से अटे पड़े हैं। सर्दी शुरू होने के साथ ही पेड़ों पर आंवले ही आंवले नजर आ रहे हैं। लेकिन ग्राफ्टेड आवलो की डिमांड अधिक होने के कारण देसी आंवलो की बिक्री में भारी गिरावट देखी जा रही है। किसानों का कहना है कि ग्राफ्टेड आंवले की बिक्री अत्यधिक हो रही है वही देसी आंवले की बिक्री में भारी असर पड़ा है ग्राफ्टेड आंवले दिखने में मोटे होते हैं तथा मुरब्बे, आचार, ओर औषधियों के लिए ज्यादा इस्तेमाल किए जा रहे हैं वही देसी आंवला विटामिन से भरा होता है तथा शरीर के लिए अत्यधिक फायदेमंद होता है लेकिन ग्राफ्टेड आंवले की बाजार में ज्यादा मांग है। दूसरी ओर आंवले की अत्यधिक खेती होने से पुष्कर में आंवले का मुरब्बा, कैंडी उत्पादन के उद्योग विकसित हो गए हैं। यहां माल का उत्पादन होकर एक्सपोर्ट हो रहा है। साथ ही आंवले को सुखाकर एवं पाउडर तैयार कर औषधियों के लिए भी सप्लाई हो रहा है। लेकिन इस साल अच्छी बारिश होने के बावजूद भी आंवले के भाव गिरे हैं। पूर्व में प्रति किग्रा भाव 20 से 25 रूपए था जो लुढ़ककर 10 से 15 रूपए किग्रा तक रह गया।

बाइट--अजय रावत,किसान
बाइट--कुंदन सिंह रावत, किसानConclusion:गौरतलब है कि तीर्थ नगरी पुष्कर सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से आंवला गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, दिल्ली सहित विभिन्न राज्यों में ही नहीं विदेशों में भी निर्यात किया जाता है।यही नही डाबर, पातंजलि, जैसी प्रतिष्ठान पुष्कर के किसानों से आंवलो का क्रय करते है ।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.