अजमेर. जिले में कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियां जातियों को साधने में जुट चुकी है. यहां लगभग हर जाति से जुड़े कांग्रेस और भाजपा के नेताओं ने डेरा जमा रखा है. कांग्रेस ने भाजपा के वोट बैंक वैश्य समाज तो वहीं भाजपा ने गुर्जर समाज के ध्रुवीकरण में पूरा जोर लगा रखा है.
अजमेर में बीजेपी और कांग्रेस उम्मीदवारों के चयन के साथ अब जातिगत समीकरण साधने में भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है. कांग्रेस उम्मीदवार वैश्य समाज से हैं. वैश्य समाज का झुकाव बीजेपी की तरफ ज्यादा रहा है. लिहाजा कांग्रेसी वैश्य समाज से जुड़े नेताओं को अजमेर में प्रत्याशी के पक्ष में लाने में जुटे हैं. इनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री संतोष बगड़ोदिया शामिल है.
बगड़ोदिया का कहना है कि कोई भी जाति किसी के पक्ष में पूरी तरह से नहीं हो सकती. उनका कहना है कि 35 साल बाद अजमेर में वैश्य समाज को कांग्रेस से टिकट मिला है. उनका कहना है कि वैश्य समाज का वैसे भी कांग्रेस शासन में ही भला हुआ है जबकि बीजेपी राज में उन्हें व्यवसाय के लिए लोन पर जमीन तक नहीं मिल पा रही है.
इधर भाजपा भी जातियों को साधने के लिए हर जाति से जुड़े नेताओं को उनके बीच भेज रही है. किरोड़ी सिंह बैंसला अजमेर जिले के गुर्जर बाहुल्य क्षेत्र में बीजेपी प्रत्याशी के लिए समाज से समर्थन मांग रहे हैं. वहीं बीजेपी प्रवक्ता अलका गुर्जर भी अजमेर में पार्टी प्रत्याशी के समर्थन में प्रचार प्रसार कर रही है. वहीं अलका गुर्जर का भी मानना है कि कोई भी समाज एकतरफा नहीं जा सकता. गुर्जर ने कहा कि जातिगत राजनीति बीजेपी नहीं करती है. साथ ही बताया कि वोटों का ध्रुवीकरण तो मोदी के नाम से ही हो रहा है.
दरअसल बीजेपी प्रत्याशी भागीरथ चौधरी जाट समाज से हैं जाट समाज के बाद अजमेर में बड़ी जाति गुर्जर समाज ही है. इस बात का ध्यान भाजपा बखूबी रख रही है. पीसीसी चीफ सचिन पायलट अजमेर में 6 जनसभा कर चुके हैं और वह खुद गुर्जर समाज से आते हैं. ऐसे में गुर्जर वोट बैंक में सेंध लगाने की कवायद बीजेपी कर रही है. इस प्रकार भाजपा जहां गुर्जर समाज को साधने की कोशिश कर रही है तो वहीं कांग्रेस, भाजपा के वैश्य वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है. लेकिन दोनों ही सार्वजनिक रूप से पूरे मामले में यह सब स्वीकार करने से बच रहे है.