अजमेर. प्याज के बढ़ते दाम से आमजन के आंसू निकल रहे हैं. कभी गरीब के लिए प्याज रोटी आहार होता थी लेकिन आज वहीं प्याज आमजन की थाली से ही नहीं रसोई से भी गायब होने लगी है. प्याज के बढ़ते दामों पर ईटीवी भारत की पड़ताल. देखिए महंगे प्याज का सच.
आमजन के खाने में प्याज सबसे जरूरी खाद्य वस्तु है. इसके बिना सब्जियों में स्वाद नहीं आता. लेकिन प्याज के बढ़ते दामों ने ग्रहणीयों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. रोज खाए जाने वाला प्याज अब कभी कभार खाया जा रहा है. रिटेल में प्याज की कीमत 80 रुपए किलो है. वहीं, अजमेर की सबसे बड़ी मंडी में प्याज 65 रुपए किलो बिक रहा है.
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अमूमन सर्दियों के मौसम में सब्जियां सस्ती हो जाती है, लेकिन प्याज के भाव आसमान छू रहे हैं. बड़ी मंडी में सब्जी खरीदने आई ग्रहणीयों ने बताया कि प्याज के बढ़ते दामों ने उनकी रसोई का बजट बिगाड़ दिया है. 80 रुपए किलो का प्याज उनके बजट में फिट नहीं हो रहा है.
वहीं, सब्जी मंडी के अध्यक्ष भैरू धनवानी की माने तो महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में अधिक बारिश की वजह से फसलें खराब हो गई है. अजमेर में जो भी माल आ रहा है वह महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश से ही आ रहा है. लेकिन सभी प्याज पुराने हैं, यानी व्यापारियों की ओर से स्टॉक किया गया पुराना माल मंडी में आ रहा है.
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जिसमें काफी मात्रा में प्याज खराब होता है. जिनकी छटनी के बाद उन्हें रिटेल व्यापारी को बेचा जाता है. जिसके बाद प्याज की क्वालिटी के आधार पर रिटेल व्यापारी बाजार में प्याज को 75 से 80 रुपए किलो में बेच रहे है. वहीं, धनवानी ने बताया कि अजमेर में भी बारिश का असर प्याज की फसल पर पड़ा है. अजमेर में पैदा हुआ प्याज का आकार छोटा है जिसकी कीमत मंडी में 5 रुपए किलो भी नहीं है.
अजमेर में काश्तकारों ने बड़ी मेहनत से प्याज की फसल पैदा की है. लेकिन व्यापारियों ने मनमानी करते हुए उनके प्याज की बिक्री को लेकर झूठ फैला दिया है. अजमेर में सुरसुरा, नयागांव, सरमालिया सहित कई गांवों में प्याज की अच्छी फसल हुई है. स्थानीय काश्तकार अजमेर सब्जी मंडी में अपना माल बेचने जाते हैं तो उनके प्याज की कीमत 40 से 50 रुपए के बीच उन्हें दी जाती है.
जबकि, यही प्याज व्यापारी खरीद कर 70 रुपए में रिटेल व्यापारी को बेच रहे हैं. काश्तकारों की माने तो खुली बोली में व्यापारी मनमानी करते हैं और उनके प्याज की सही कीमत उन्हें नहीं मिल रही है.