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गीता और कुरान की मूल शिक्षाएं एक जैसी...राष्ट्रीय संगोष्ठी में दार्शनिकों ने रखे विचार

अजमेर में श्रीमद्भागवत गीता और कुरान शरीफ में दार्शनिक विचार व मूल्यों पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी सोमवार संपन्न हुई. पवित्र धार्मिक पुस्तकों के माध्यम से देश और दुनिया से द्वेष को खत्म कर मानवता का संदेश पहुंचाना संगोष्ठी का उद्देश्य था.

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Published : Jun 17, 2019, 6:10 PM IST

गीता और कुरान की शिक्षाएं एक समान

अजमेर. गंगा जमुना तहजीब के शहर अजमेर में हिंदू और मुसलमान की पवित्र पुस्तक, श्रीमद्भागवत गीता और कुरान शरीफ में दार्शनिक विचार व मूल्यों पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी सोमवार संपन्न हुई. दोनों धर्मों को करीब लाने और इन पवित्र धार्मिक पुस्तकों के माध्यम से देश और दुनिया से द्वेष को खत्म कर मानवता का संदेश पहुंचाना संगोष्ठी का उद्देश्य था.

महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में आयोजित तीन दिवसीय संगोष्ठी में श्रीमद्भागवत गीता एवं कुरान में मानव मूल्य विषय पर आज समापन सत्र में प्रोफेसर राजधर्म मिश्र ने कहा कि धर्म की धारणा के मूल से जब व्यक्ति विमुख हो जाता है तब समाज में द्वेष फैलता है. सभी धर्म एक ही मानवता का संदेश देते हैं. श्रीमद्भागवत गीता और कुरान शरीफ में व्याप्त मानवीय गुणों की पहचान करना ही आज की आवश्यकता है.

गीता और कुरान की शिक्षाएं एक समान

संगोष्ठी में 6 सत्रों के साथ 58 शोधार्थियों ने पत्र वाचन किया. इसके अलावा 8 राज्यों से मुस्लिम और हिंदू जवानों ने गीता और कुरान को करीब लाने का प्रयास वैसे ही किया है जैसे दो धाराएं एक होकर समंदर में मिल जाती है. अकादमी समन्वयक लक्ष्मी अय्यर ने कहा कि संगोष्ठी के माध्यम से यह सफर की शुरुआत है. ऐसी संगोष्ठी भविष्य में निरंतर हो ताकि देश में लोग गीता और कुरान के बताएं सही मार्ग पर चलें और अनेकता में एकता की सार्थकता को और बल मिले.

उन्होंने कहा कि ऐसी संगोष्ठी भविष्य में हो इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय अनुसंधान परिषद को वित्तीय सहायता के लिए लिखा जाएगा. संगोष्ठी के सह समन्वयक सूरज राव ने कहा कि संगोष्ठी में तर्क वितर्क के बाद ऐसा लगा कि दोनों ही धर्म एक ही शिक्षा देते है. गीता और कुरान की जो मूल शिक्षा है, वह भी भिन्न नहीं है. संगोष्ठी के माध्यम से यह संदेश पूरे भारतवर्ष में जाएगा. तीन दिवसीय संगोष्ठी में जो मूल भावना सामने आई है, उससे उन लोगों को सबक लेना चाहिए जो गीता और कुरान के लिए लड़ते हैं. वह लोग इन्हें कभी नहीं पढ़ते हैं यदि इन्हें पढ़ा होता तो आपसी दूरियां नहीं होती.

अजमेर. गंगा जमुना तहजीब के शहर अजमेर में हिंदू और मुसलमान की पवित्र पुस्तक, श्रीमद्भागवत गीता और कुरान शरीफ में दार्शनिक विचार व मूल्यों पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी सोमवार संपन्न हुई. दोनों धर्मों को करीब लाने और इन पवित्र धार्मिक पुस्तकों के माध्यम से देश और दुनिया से द्वेष को खत्म कर मानवता का संदेश पहुंचाना संगोष्ठी का उद्देश्य था.

महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में आयोजित तीन दिवसीय संगोष्ठी में श्रीमद्भागवत गीता एवं कुरान में मानव मूल्य विषय पर आज समापन सत्र में प्रोफेसर राजधर्म मिश्र ने कहा कि धर्म की धारणा के मूल से जब व्यक्ति विमुख हो जाता है तब समाज में द्वेष फैलता है. सभी धर्म एक ही मानवता का संदेश देते हैं. श्रीमद्भागवत गीता और कुरान शरीफ में व्याप्त मानवीय गुणों की पहचान करना ही आज की आवश्यकता है.

गीता और कुरान की शिक्षाएं एक समान

संगोष्ठी में 6 सत्रों के साथ 58 शोधार्थियों ने पत्र वाचन किया. इसके अलावा 8 राज्यों से मुस्लिम और हिंदू जवानों ने गीता और कुरान को करीब लाने का प्रयास वैसे ही किया है जैसे दो धाराएं एक होकर समंदर में मिल जाती है. अकादमी समन्वयक लक्ष्मी अय्यर ने कहा कि संगोष्ठी के माध्यम से यह सफर की शुरुआत है. ऐसी संगोष्ठी भविष्य में निरंतर हो ताकि देश में लोग गीता और कुरान के बताएं सही मार्ग पर चलें और अनेकता में एकता की सार्थकता को और बल मिले.

उन्होंने कहा कि ऐसी संगोष्ठी भविष्य में हो इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय अनुसंधान परिषद को वित्तीय सहायता के लिए लिखा जाएगा. संगोष्ठी के सह समन्वयक सूरज राव ने कहा कि संगोष्ठी में तर्क वितर्क के बाद ऐसा लगा कि दोनों ही धर्म एक ही शिक्षा देते है. गीता और कुरान की जो मूल शिक्षा है, वह भी भिन्न नहीं है. संगोष्ठी के माध्यम से यह संदेश पूरे भारतवर्ष में जाएगा. तीन दिवसीय संगोष्ठी में जो मूल भावना सामने आई है, उससे उन लोगों को सबक लेना चाहिए जो गीता और कुरान के लिए लड़ते हैं. वह लोग इन्हें कभी नहीं पढ़ते हैं यदि इन्हें पढ़ा होता तो आपसी दूरियां नहीं होती.

Intro:अजमेर। गंगा जमुना तहजीब के शहर अजमेर में हिंदू और मुसलमान की पवित्र पुस्तक श्रीमद्भागवत गीता और कुरान शरीफ में दार्शनिक विचार व मूल्यों पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आज संपन्न हुई। दोनों धर्मों को करीब लाने और इन पवित्र धार्मिक पुस्तकों के माध्यम से देश और दुनिया से द्वेष को खत्म कर मानवता का संदेश पहुंचाना संगोष्ठी का उद्देश्य था।

महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में आयोजित तीन दिवसीय संगोष्ठी श्रीमद्भागवत गीता एवं कुरान में मानव मूल्य विषय पर आज समापन सत्र में प्रोफेसर राजधर्म मिश्र ने कहा कि धर्म की धारणा के मूल से जब व्यक्ति विमुख हो जाता है तब समाज में द्वेष फैलता है। सभी धर्म एक ही मानवता का संदेश देते हैं श्रीमद्भागवत गीता और कुरान शरीफ में व्याप्त मानवीय गुणों की पहचान करना ही आज की आवश्यकता है। संगोष्ठी में 617 के साथ 58 शोधार्थियों ने पत्र वाचन किया। इसके अलावा 8 राज्यों से मुस्लिम और हिंदू के जवानों ने गीता और कुरान को करीब लाने का प्रयास वैसे ही किया है जैसे दो धाराएं एक होकर समंदर में मिल जाती है। अकादमी समन्वयक लक्ष्मी अय्यर ने कहा कि संगोष्ठी के माध्यम से यह सफर की शुरुआत है ऐसी संगोष्ठी हम भविष्य में निरंतर हो ताकि देश में लोग गीता और कुरान के बताएं सही मार्ग पर चलें और अनेकता में एकता की सार्थकता को और बल मिले। उन्होंने कहा कि ऐसी संगोष्ठी भविष्य में हो इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय अनुसंधान परिषद को वित्तीय सहायता के लिए लिखा जाएगा। संगोष्ठी के सह समन्वयक सूरज राव ने कहा कि संगोष्ठी में तर्क वितर्क के बाद ऐसा लगा कि दोनों ही धर्म एक ही शिक्षा देते हैं गीता और कुरान की जो मूल शिक्षा है वह भी भिन्न नहीं है। संगोष्ठी के माध्यम से यह संदेश पूरे भारतवर्ष में जाएगा....
बाईट- लक्ष्मी अय्यर अकादमिक समन्वयक
बाइट- सूरज राव सह समन्वयक

तीन दिवसीय संगोष्ठी में जो मूल भावना सामने आई है उससे उन लोगों को सबक लेना चाहिए जो गीता और कुरान के लिए लड़ते हैं वह लोग इन्हें कभी नहीं पढ़ते हैं यदि इन्हें पढ़ा होता तो आप ही दूरियां नहीं होती।


Body:प्रियांक शर्मा
अजमेर


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