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यहूदियों का पुष्कर से है गहरा नाता, जानते हैं कैसे!

तीर्थ नगरी पुष्कर हिंदुओं की आस्था का सबसे बड़ा केंद्र है (Jewish connection to Pushkar). यहां का आध्यात्मिक वातावरण और नैसर्गिक सुंदरता हमेशा से देशी और विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करता आया है. यहूदियों को भी ब्रह्मनगरी प्रिय है. हाल ही में बड़ी संख्या में इजरायली यहां पहुंचे. जानते हैं क्यों?

Jewish connection to Pushkar
ब्रह्मनगरी का Israel Connection!
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Published : Oct 20, 2022, 7:45 AM IST

Updated : Oct 20, 2022, 11:17 AM IST

अजमेर. राजस्थान की हृदयस्थली है अजमेर. एक ऐसा जिला जो जितना दिखने में खूबसूरत है उतना ही धार्मिक तौर पर सजग भी कहा जा सकता है. हिंदू, मुसलमान, सिखों के अलावा यहूदियों को भी आकर्षित करता है ये जिला. यहीं पुष्कर में यहूदियों का बेद खबाद है (Jewish connection to Pushkar).

बेद खबाद यानी यहूदियों का पूजा करने का स्थल. इसकी स्थापना यहां 22 साल पले की गई. खास बात ये है कि साल के 8 महीने इसमें ताला लगा रहता है और 4 महीने एक हफ्ते के त्योहार सुकौत के साथ ही ये खुल जाता है और रौनक बढ़ जाती है. इन दिनों इजरायली श्रद्धालुओं से ये गुलजार है.

ब्रह्मनगरी का Israel Connection!

बीते दिनों सुकौत मनाने के बाद भारत पधारे इजराइली पुष्कर को explore करते देखे जा सकते हैं. देश में कुल 18 बेद खबाद है इनमें से सबसे बड़ा बेद खबाद अब पुष्कर बन चुका है (Pushkar Bed Chabad). ये महज एक धर्म विशेष के अनुयायियों की धर्म स्थली नहीं है बल्कि भारत और इजरायल के बेहतर संबंध की बानगी भी है. नतीजतन स्थानीय लोगों से इजरायली पर्यटक घुल मिल जाते हैं. इजरायली पर्यटकों के लिए पुष्कर हमेशा से पसंदीदा रहा है.

कई ऐसे हैं जो 30 वर्षों से लगातार पुष्कर आ रहे हैं. महीनों पुष्कर में रहते हैं. कई इजरायली युवतियों को तो इतना भाया कि उन्होंने मनपसंद साथी भी यहीं चुन लिया. विवाह कर यहीं रच बस गईं. इजरायलियों के पुष्कर में व्यापारिक संबंध भी हैं. दरअसल पुष्कर में चांदी और आर्टिफिशियल ज्वेलरी का काम होता है. बड़े पैमाने पर कपड़े बनाए जाने की फैक्ट्रियां भी पुष्कर में हैं.

बेद खबाद खास: खबाद हाउस के प्रबंधक हनुमान प्रसाद बकौलिया ने बताया कि पुष्कर आने वाले विदेशी पर्यटकों में इजरायली पर्यटकों की संख्या हमेशा से अधिक रही. नैसर्गिक सुंदरता से खिंचे वो चले आते थे. यही वजह है कि इजरायली पर्यटकों के ब्रह्मनगरी के प्रति उमड़े अगाध प्रेम के चलते 22 वर्ष पहले खबाद हाउस की स्थापना की गई. इसे बेद खबाद कहते हैं. जो यहां आने वाले इजरायली नागरिकों की मदद का भी काम करता है. वैसे ही जैसे कोई Embassy! इसका संचालन इजरायली सरकार की फंडिंग से होता है.

यहां इजरायली पर्यटकों को इजरायली धर्मगुरु धर्म की शिक्षा के साथ ही एकजुटता और देशभक्ति की बातें सिखाते हैं. इसके अलावा उन्हें पुष्कर की मान मर्यादा का भी ख्याल रखने की सीख दी जाती है. पिछले दिनों सुकौत त्योहार के दौरान कुछ ऐसा ही देखने को मिला. 7 दिन तक मानो इजराइल की संस्कृति, संस्कार पुष्कर में बिखरी दिखी. शाम 7:30 बजे से 8:30 बजे तक पूरे 1 सप्ताह बेद खबाद में लोग प्रार्थना को जुटे फिर साथ में सामूहिक भोजन का आयोजन किया गया.

पढ़ें-Shadi Dev Mandir: जहां दीपावली पर कुंवारे जलाते हैं दीया

पढ़ें- सुशीला किन्नर की पॉजिटिव जिद्द! दिवाली पर बेचेंगी मात्र 10 रुपए में देसी घी की मिठाइयां

आतंकियों की रही है नजर: पुष्कर स्थित बेद खबाद आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के निशाने पर हमेशा से रहा है. इस बात का खुलासा अमेरिका में पकड़े गए मुंबई हमले के आरोपी कोलमैन हेडली के पास से पुष्कर के नक्शे और यहां के बेद खबाद के बारे में जानकारी बरामद की गई थी. आतंकी कोलमैन हेडली पुष्कर में रहकर बेद खबाद की रेकी करके गया था. इसके लिए उसने खबाद हाउस के सामने होटल ओएसिस में कमरा भी लिया था. इस खुलासे के बाद से ही बेद खबाद की सुरक्षा में हथियारबंद पुलिस के जवान 24 घण्टे तैनात रहते हैं.

क्यों रहता है 4 महीने बंद!: पुष्कर स्थित बेद खबाद के सिम सांग गॉड स्टीन धर्मगुरु हैं जो अपने परिवार के साथ 8 महीने पुष्कर में ही रहते हैं. उनके साथ सहायक पुजारी भी होता है. अप्रैल में उनका परिवार वापस इजराइल लौट जाता है. बेद खबाद के सहायक पुजारी मेनाखिया बताते हैं कि काफी संख्या में इजराइल से लोग भारत भ्रमण के लिए आते हैं. पुष्कर में जेवर और कपड़ों की मैन्युफैक्चरिंग होती है इसलिए कई इजराइलियों के व्यापारिक संबंध भी पुष्कर से बन गए हैं.

क्या होता है सुकौत जो बढ़ाता है रौनक: 13 वीं सदी बीसीई में मिस्र से पलायन की स्मृति में सुकौत मनाया जाता है. बताया जाता है कि मिस्र से पलायन के बाद रेगिस्तान पार करने में यहूदियों को 40 वर्ष लगे थे. रेगिस्तान में खजूर की पत्तियों से झोपड़ी बनाकर वो रहे थे. इजरायली पर्यटक शिमोन अमर बताते हैं कि सुकौत को फसल पर्व के रूप में भी मनाया जाता है. जहां दूसरी फसल की कटाई, शरद फलों का भंडारण, खेती के सीजन की शुरुआत और पहली बारिश इस त्यौहार के प्रसंग होते हैं. कहते हैं वो खुद 25 से 30 बार पुष्कर आ चुके हैं. यहां आकर सुकून मिलता है.

मिनी इजराइल: इजरायली पर्यटकों का पुष्कर से गहरा संबंध बन चुका है. महज सुकौत के दौरान ही नहीं पूरे वर्ष पर्यटकों की मौजूदगी से ब्रह्मनगरी गुलजार रहती है. यही वजह है कि परदेसी इजरायलियों को जरूरत के सामानों के लिए भी ज्यादा माथापच्ची नहीं करनी पड़ती. बेद खबाद, अनुकूल वातावरण और अपनत्व का एहसास उन्हें कराता है. कई होटल और रेस्त्रां इजरायली पर्यटक की वजह से आबाद हैं. शाम के वक्त पुष्कर सरोवर के किनारे घाट पर से सन सेट का नजारा देखने बड़ी संख्या में विदेशी और देशी पर्यटक जुटते हैं. इनमें भी सबसे ज्यादा इजराइली होते हैं. तभी तो पुष्कर का पंच कुंड रोड क्षेत्र मिनी इजराइल के नाम से चर्चित होने लगा है.

अजमेर. राजस्थान की हृदयस्थली है अजमेर. एक ऐसा जिला जो जितना दिखने में खूबसूरत है उतना ही धार्मिक तौर पर सजग भी कहा जा सकता है. हिंदू, मुसलमान, सिखों के अलावा यहूदियों को भी आकर्षित करता है ये जिला. यहीं पुष्कर में यहूदियों का बेद खबाद है (Jewish connection to Pushkar).

बेद खबाद यानी यहूदियों का पूजा करने का स्थल. इसकी स्थापना यहां 22 साल पले की गई. खास बात ये है कि साल के 8 महीने इसमें ताला लगा रहता है और 4 महीने एक हफ्ते के त्योहार सुकौत के साथ ही ये खुल जाता है और रौनक बढ़ जाती है. इन दिनों इजरायली श्रद्धालुओं से ये गुलजार है.

ब्रह्मनगरी का Israel Connection!

बीते दिनों सुकौत मनाने के बाद भारत पधारे इजराइली पुष्कर को explore करते देखे जा सकते हैं. देश में कुल 18 बेद खबाद है इनमें से सबसे बड़ा बेद खबाद अब पुष्कर बन चुका है (Pushkar Bed Chabad). ये महज एक धर्म विशेष के अनुयायियों की धर्म स्थली नहीं है बल्कि भारत और इजरायल के बेहतर संबंध की बानगी भी है. नतीजतन स्थानीय लोगों से इजरायली पर्यटक घुल मिल जाते हैं. इजरायली पर्यटकों के लिए पुष्कर हमेशा से पसंदीदा रहा है.

कई ऐसे हैं जो 30 वर्षों से लगातार पुष्कर आ रहे हैं. महीनों पुष्कर में रहते हैं. कई इजरायली युवतियों को तो इतना भाया कि उन्होंने मनपसंद साथी भी यहीं चुन लिया. विवाह कर यहीं रच बस गईं. इजरायलियों के पुष्कर में व्यापारिक संबंध भी हैं. दरअसल पुष्कर में चांदी और आर्टिफिशियल ज्वेलरी का काम होता है. बड़े पैमाने पर कपड़े बनाए जाने की फैक्ट्रियां भी पुष्कर में हैं.

बेद खबाद खास: खबाद हाउस के प्रबंधक हनुमान प्रसाद बकौलिया ने बताया कि पुष्कर आने वाले विदेशी पर्यटकों में इजरायली पर्यटकों की संख्या हमेशा से अधिक रही. नैसर्गिक सुंदरता से खिंचे वो चले आते थे. यही वजह है कि इजरायली पर्यटकों के ब्रह्मनगरी के प्रति उमड़े अगाध प्रेम के चलते 22 वर्ष पहले खबाद हाउस की स्थापना की गई. इसे बेद खबाद कहते हैं. जो यहां आने वाले इजरायली नागरिकों की मदद का भी काम करता है. वैसे ही जैसे कोई Embassy! इसका संचालन इजरायली सरकार की फंडिंग से होता है.

यहां इजरायली पर्यटकों को इजरायली धर्मगुरु धर्म की शिक्षा के साथ ही एकजुटता और देशभक्ति की बातें सिखाते हैं. इसके अलावा उन्हें पुष्कर की मान मर्यादा का भी ख्याल रखने की सीख दी जाती है. पिछले दिनों सुकौत त्योहार के दौरान कुछ ऐसा ही देखने को मिला. 7 दिन तक मानो इजराइल की संस्कृति, संस्कार पुष्कर में बिखरी दिखी. शाम 7:30 बजे से 8:30 बजे तक पूरे 1 सप्ताह बेद खबाद में लोग प्रार्थना को जुटे फिर साथ में सामूहिक भोजन का आयोजन किया गया.

पढ़ें-Shadi Dev Mandir: जहां दीपावली पर कुंवारे जलाते हैं दीया

पढ़ें- सुशीला किन्नर की पॉजिटिव जिद्द! दिवाली पर बेचेंगी मात्र 10 रुपए में देसी घी की मिठाइयां

आतंकियों की रही है नजर: पुष्कर स्थित बेद खबाद आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के निशाने पर हमेशा से रहा है. इस बात का खुलासा अमेरिका में पकड़े गए मुंबई हमले के आरोपी कोलमैन हेडली के पास से पुष्कर के नक्शे और यहां के बेद खबाद के बारे में जानकारी बरामद की गई थी. आतंकी कोलमैन हेडली पुष्कर में रहकर बेद खबाद की रेकी करके गया था. इसके लिए उसने खबाद हाउस के सामने होटल ओएसिस में कमरा भी लिया था. इस खुलासे के बाद से ही बेद खबाद की सुरक्षा में हथियारबंद पुलिस के जवान 24 घण्टे तैनात रहते हैं.

क्यों रहता है 4 महीने बंद!: पुष्कर स्थित बेद खबाद के सिम सांग गॉड स्टीन धर्मगुरु हैं जो अपने परिवार के साथ 8 महीने पुष्कर में ही रहते हैं. उनके साथ सहायक पुजारी भी होता है. अप्रैल में उनका परिवार वापस इजराइल लौट जाता है. बेद खबाद के सहायक पुजारी मेनाखिया बताते हैं कि काफी संख्या में इजराइल से लोग भारत भ्रमण के लिए आते हैं. पुष्कर में जेवर और कपड़ों की मैन्युफैक्चरिंग होती है इसलिए कई इजराइलियों के व्यापारिक संबंध भी पुष्कर से बन गए हैं.

क्या होता है सुकौत जो बढ़ाता है रौनक: 13 वीं सदी बीसीई में मिस्र से पलायन की स्मृति में सुकौत मनाया जाता है. बताया जाता है कि मिस्र से पलायन के बाद रेगिस्तान पार करने में यहूदियों को 40 वर्ष लगे थे. रेगिस्तान में खजूर की पत्तियों से झोपड़ी बनाकर वो रहे थे. इजरायली पर्यटक शिमोन अमर बताते हैं कि सुकौत को फसल पर्व के रूप में भी मनाया जाता है. जहां दूसरी फसल की कटाई, शरद फलों का भंडारण, खेती के सीजन की शुरुआत और पहली बारिश इस त्यौहार के प्रसंग होते हैं. कहते हैं वो खुद 25 से 30 बार पुष्कर आ चुके हैं. यहां आकर सुकून मिलता है.

मिनी इजराइल: इजरायली पर्यटकों का पुष्कर से गहरा संबंध बन चुका है. महज सुकौत के दौरान ही नहीं पूरे वर्ष पर्यटकों की मौजूदगी से ब्रह्मनगरी गुलजार रहती है. यही वजह है कि परदेसी इजरायलियों को जरूरत के सामानों के लिए भी ज्यादा माथापच्ची नहीं करनी पड़ती. बेद खबाद, अनुकूल वातावरण और अपनत्व का एहसास उन्हें कराता है. कई होटल और रेस्त्रां इजरायली पर्यटक की वजह से आबाद हैं. शाम के वक्त पुष्कर सरोवर के किनारे घाट पर से सन सेट का नजारा देखने बड़ी संख्या में विदेशी और देशी पर्यटक जुटते हैं. इनमें भी सबसे ज्यादा इजराइली होते हैं. तभी तो पुष्कर का पंच कुंड रोड क्षेत्र मिनी इजराइल के नाम से चर्चित होने लगा है.

Last Updated : Oct 20, 2022, 11:17 AM IST
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