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अजमेर उर्स : संदल की रस्म के बाद जायरीनों के लिए जन्नती दरवाजा भी खोला गया - अजमेर

अजमेर में गरीब नवाज का उर्स परवान पर हैं. साल में चार बार खुलने वाला जन्नति दरवाजा एक बार फिर खुल गया हैं. ऐसे जन्नती दरवाजे से निकलने के लिए जायरीनों की भीड़ उमड़ी.

उर्स में जन्नती दरवाजा खोला गया
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Published : Mar 7, 2019, 11:06 AM IST

अजमेर. अजमेर में ख्वाजा गरीब नवाज का उर्स परवान पर है. चारो और ख्वाजा के तराने गूंज रहे हैं. उर्स के दौरान शुरू होने वाली रिवायतों को निभाने का सिलसिला शुरू हो चुका है. जहां एक ओर संदल की रस्म को निभाया गया तो वहीं जन्नती दरवाजा भी जायरीनों के लिए खोल दिया गया हैं.

हम बता दें आपको अजमेर ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह एकमात्र ऐसी दरगाह जो मक्का के बाद लोग इस बारगाह में हाजिरी देने को पहुंचते हैं. जायरीनों की तादाद धीरे -धीरे दरगाह में बढ़ने लगी है तो वहीं दरगाह शरीफ में उर्स के दौरान शुरू होने वाली रिवायतों को निभाने का सिलसिला शुरू हो चुका है. जहां एक और बुधवार देर रात खुद्दामो द्वारा आस्ताना मामूल होने के बाद संदल की रस्म को निभाया गया तो वही अलसुबह जन्नती दरवाजा भी जायरीनों के लिए खोल दिया गया है.

उर्स में जन्नती दरवाजा खोला गया


गुरुवार को सुबह 4 बजे जन्नती दरवाजा जायरीनो के लिए खोल दिया गया . जन्नती दरवाजा साल में केवल 4 बार ही खोला जाता है. बकरा ईद, मीठी ईद और इनके पिरो मुर्शिद के उर्स पर गरीब नवाज के उर्स में जन्नती दरवाजा पूरे समय खुला रहता है.

जब सुबह 4 बजे जन्नती दरवाजे को खोला जाता है उस समय जायरीनो में जन्नती गेट में पहले निकलने को लेकर एक होड़ सी मच जाती है. ऐसा कहा जाता है जो जन्नती दरवाजे से निकलता है उसे जन्नत नसीब होती है.

अजमेर. अजमेर में ख्वाजा गरीब नवाज का उर्स परवान पर है. चारो और ख्वाजा के तराने गूंज रहे हैं. उर्स के दौरान शुरू होने वाली रिवायतों को निभाने का सिलसिला शुरू हो चुका है. जहां एक ओर संदल की रस्म को निभाया गया तो वहीं जन्नती दरवाजा भी जायरीनों के लिए खोल दिया गया हैं.

हम बता दें आपको अजमेर ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह एकमात्र ऐसी दरगाह जो मक्का के बाद लोग इस बारगाह में हाजिरी देने को पहुंचते हैं. जायरीनों की तादाद धीरे -धीरे दरगाह में बढ़ने लगी है तो वहीं दरगाह शरीफ में उर्स के दौरान शुरू होने वाली रिवायतों को निभाने का सिलसिला शुरू हो चुका है. जहां एक और बुधवार देर रात खुद्दामो द्वारा आस्ताना मामूल होने के बाद संदल की रस्म को निभाया गया तो वही अलसुबह जन्नती दरवाजा भी जायरीनों के लिए खोल दिया गया है.

उर्स में जन्नती दरवाजा खोला गया


गुरुवार को सुबह 4 बजे जन्नती दरवाजा जायरीनो के लिए खोल दिया गया . जन्नती दरवाजा साल में केवल 4 बार ही खोला जाता है. बकरा ईद, मीठी ईद और इनके पिरो मुर्शिद के उर्स पर गरीब नवाज के उर्स में जन्नती दरवाजा पूरे समय खुला रहता है.

जब सुबह 4 बजे जन्नती दरवाजे को खोला जाता है उस समय जायरीनो में जन्नती गेट में पहले निकलने को लेकर एक होड़ सी मच जाती है. ऐसा कहा जाता है जो जन्नती दरवाजे से निकलता है उसे जन्नत नसीब होती है.

Intro:अजमेर- साल में चार बार खुलने वाला जन्नती दरवाजा अल सुबह खोला गया !

अजमेर में ख्वाजा गरीब नवाज का उर्स परवान पर है चारो और ख्वाजा के तराने गूंज रहे हैं हर एक व्यक्ति उस नवाज को नवाजने की कोशिश कर रहा है हम बता दें आपको अजमेर ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह एकमात्र ऐसी दरगाह जो मक्का के बाद लोग इस बारगाह में हाजिरी देने को पहुंचते हैं !






Body:जायरीनों की तादाद धीरे -धीरे दरगाह में बढ़ने लगी है तो वहीं दरगाह शरीफ में उर्स के दौरान शुरू होने वाली रिवायतों को निभाने का सिलसिला शुरू हो चुका है ! जहां एक और देर रात खुद्दामो द्वारा आस्ताना मामूल होने के बाद संदल की रस्म को निभाया गया तो वही अलसुबह जन्नती दरवाजा भी जायरीनों के लिए खोल दिया गया है !


Conclusion:गुरुवार को सुबह 4 बजे जन्नती दरवाजा जायरीनो के लिए खोल दिया गया ! जन्नती दरवाजा साल में केवल 4 बार ही खोला जाता है बकरा ईद ,मीठी ईद और इनके पिरो मुर्शिद के उर्स पर गरीब नवाज के उर्स में जन्नती दरवाजा पूरे समय खुला रहता है !

जब सुबह 4 बजे जन्नती दरवाजे को खोला जाता है उस समय जायरीनो में जन्नती गेट में पहले निकलने को लेकर एक होड़ सी मच जाती है ! ऐसा कहा जाता है जो जन्नती दरवाजे से निकलता है उसे जन्नत नसीब होती है !
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