पुष्कर (अजमेर). पद्म पुराण के अनुसार सृष्टि की रचना जिस जगत पिता ब्रह्मा मंदिर के द्वार से हुई. उसी जगत पिता ब्रह्मा मंदिर के द्वार पहली बार 14 दिन के लिये बंद हो गए. ऐसी मान्यता है कि 8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने मंदिर का जीणोद्धार करवाया था. उसी के बाद से पुष्कर के विख्यात ब्रह्मा मंदिर को इसका मूल स्वरूप मिला था.
फिलहाल कोरोना नामक महामारी के संक्रमण को रोकने के लिये केंद्र सरकार के अधीन भारतीय पुरातत्व संरक्षण विभाग ने प्रदेश की अपनी सभी राष्ट्रीय धरोहरों को 31 मार्च तक पर्यटकों और श्रद्धलुओं के लिये बंद करने के आदेश दिए थे. इन्हीं आदेशों की पालना में जिला प्रशासन ने बुधवार रात ब्रह्मा मंदिर के द्वार बंद करवा दिए.
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उपखंड अधिकारी देविका तोमर ने बताया कि आदेशो की पालना में मंदिर के द्वार 31 मार्च तक बंद किये गए हैं. मंदिर के धार्मिक क्रियाकलाप पहले की तरह विधिवत सुचारु रहेंगे. वैकल्पिक रूप में मंदिर के बाहर बड़ी एलईडी स्क्रीन के माध्यम से देशभर से आये श्रद्धालु जगत पिता ब्रह्मा के दर्शन कर पाएंगे.
उपखंड अधिकारी बरसों से चली आ रही धार्मिक परम्पराओं के अनुसार सुबह 5 बजकर 30 मिनिट पर मंगला आरती होगी. शाम को 6 बजकर 45 मिनट पर सांयकालीन आरती होगी. श्रद्धालु मंदिर के बाहर लगी एलईडी स्क्रीन के माध्यम से सुबह 6 बजे से रात 8 बजे तक जगत पिता ब्रह्मा के दर्शन कर पाएंगे.
ब्रह्मा मंदिर के 14 दिन तक बंद करने की सूचना मिलने से स्थानीय पुरोहितों में हड़कंप मच गया. स्थानीय पुरोहितों और हिन्दूवादी संगठनों से जुड़े पदाधिकारियों ने मंदिर पहुंचकर देश भर से आये श्रद्धालुओं के लिये वैकल्पिक व्यवस्था की मांग की. साथ ही नियमित रूप से जगत पिता ब्रह्म के दर्शन कर दैनिक धार्मिक क्रियाकलाप को सम्पन्न करने वाले स्थानीय तीर्थ पुरोहितों को एक निश्चित समय में प्रवेश की अनुमति देने की गुहार लगाई.
वहीं दूसरी ओर मंदिर को बंद करने के बाद आये श्रद्धालुओं ने निराशा जाहिर करते हुए बताया कि वे पहली बार पुष्कर मात्र जगत पिता ब्रह्मा मंदिर के दर्शन के लिये आये थे. ऐसे में उन्हें दर्शन की अनुमति दी जानी चाहिए. लेकिन प्रशासन की सख्ती के चलते श्रद्धालु दर्शन नहीं कर पाए. ऐसे में श्रद्धालु भावुक हो गए. गौरतलब है कि लगभग 1200 साल के अंतराल में पहली बार 1 दिन से अधिक जगत पिता ब्रह्मा मंदिर के द्वार श्रद्धालुओं के लिये बंद किये गए हैं.