अजमेर. ईद-उल-अज़हा के लिए लोग यूं तो कुर्बानी के लिए जानवर मंडी से लेकर आते है. लेकिन ज़्यादातर लोग घरों में ही जानवर पाल कर कुर्बानी करते है. इन्ही बकरा पालने वालों में एक नाम अजमेर के दरगाह खादिम सैय्यद गनी गुर्देजी का भी है.
ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह के खादिम सैय्यद अब्दुल गनी गुर्देजी 1963 से ही घर मे जानवर पालकर कुर्बानी करते आए है. उन्होने कहा कि घर मे जानवर पालकर कुर्बानी करने की फ़ज़ीलत भी ज़्यादा है. गुर्देजी हर साल अलग-अलग नस्लों के जानवर लेकर पालते है. और इनके नाम भी मुख्तलिफ रखते है. गुर्देजी ने इस साल जो जानवर कुर्बानी के लिए पाला है उसका नाम अराफात रखा है.
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अराफात को हर रोज़ सुबह 1 किलो दूध और 1 किलो चने की दाल खिलाया जाता हैं. गुर्देजी इन जानवरों को घर मे बच्चों की तरह पालते है.सैय्यद अब्दुल गनी गुर्देजी हर साल अपने घर 'ख्वाजा महल' में ईद उल अज़हा के मौके पर पंजतने पाक के नाम से कुर्बानी देते है. इससे एक दिन पहले इस जानवर को बग्गी में लगाकर अपने घर से होते हुए लंगर खाना गली से दरगाह के निजाम गेट तक इसकी सवारी निकालते है और दरगाह पर सलामी के बाद दोबारा घर ले जाते है.