अजमेर. रमजान का पवित्र महीना चल रहा है. जिसमें रोजेदार रोजे रखकर खुदा की इबादत करने में मशगूल हैं. रमजान के दौरान रोजेदार खजूर से रोजा खोलना काफी शुभ मानते हैं और यही कारण है कि रमजान के महीने में खजूर की बिक्री भी अत्यधिक बढ़ जाती है लेकिन इस बार नई गाइडलाइन के कारण खजूर की बिक्री में भारी कमी आई है.
इस समय बाजार में खजूर की दर्जन से अधिक वैरायटी बिक्री के लिए बाजार में उपलब्ध होती है. भारत में रमजान के दौरान देश के साथ-साथ विदेश से आए खजूर भी उपलब्ध होते हैं. बाजार में 80 रुपये से लेकर 2 हजार तक की कीमत वाले खजूर उपलब्ध है उनके यहां सारा माल ईरान इराक दुबई सऊदी अरब से आता है. इस बार ताजा खजूर को सबसे ज्यादा पसंद किया जा रहा है. वही दूसरे नंबर पर अरमानी खजूर है, जो खास तौर पर विदेशों से मंगाया जाता है.
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बिक्री 50 प्रतिशत तक घटी
खजूर विक्रेता सुरेश लखवानी ने बताया कि पिछली बार लॉकडाउन की वजह से खजूर की बिक्री पर काफी बुरा असर पड़ा था. इस बार भी लॉकडाउन के कारण खजूर की बिक्री और सालों के मुकाबले घट कर 50 प्रतिशत ही रह गई है.
जन अनुशासन पखवाड़े में खजूर की बिक्री पर पड़ा असर
भारत में यह सारा माल इंपोर्ट एक्सपोर्ट के लिए आता है लेकिन लॉक डाउन की वजह से ग्राहक दुकानों तक खरीदारी के लिए आने से कतरा रहे हैं वह गली मोहल्लों में स्तिथ दुकान पर से ही खरीदारी कर लेते हैं जो उन्हें महंगी भी पड़ती है ग्राहक कोरोना की दहशत की वजह से भी दुकानों तक नहीं आ रहे हैं. दूसरा कारण लॉकडाउन की गाइडलाइन के अनुसार सुबह 6 बजे से 11 बजे तक की दुकानें खोली जा सकती है. इस वजह से भी खजूर की बिक्री पर बुरा असर पड़ रहा है.
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वहीं दरगाह के कुटबुदिन सखी के अनुसार रमजान के दौरान रोजा रखने वाल शाम 6 बजे रोजा इफ्तारी करते हैं. सुबह 4 बजे उठकर सहरी करते हैं. इस खाने में सबसे पहले खजूर को रखा जाता है. इस बार रमजान के लिए विदेशी के साथ-साथ देसी खजूर भी बाजार में बिकने के लिए आया है लेकिन कोरोना महामारी के चलते देशी व विदेशी खजूर भी आम लोगों की पहुंच से दूर हो गया है.